पत्रकारिता समाज उत्थान का अस्त्र

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पत्रकारिता समाज उत्थान का अस्त्र, मेरठ। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पत्रकारिता को समाज के वंचित और उत्पीड़ित हिस्से के उत्थान का अस्त्र बनाया। मूकनायक’ से ‘प्रबुद्ध भारत’ तक की उनकी यात्रा उनके जीवन, चिंतन और संघर्ष का भी प्रतीक है। उक्त विचार आईआईएमटी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मीडिया फिल्म्स एंड टेलीविजन स्टडीज में डॉ. भीमराव आंबेडकर की पत्रकारिता विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए। विश्व संवाद केंद्र के साथ साझा आयोजन में अमर उजाला के स्थानीय संपादक राजेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ. आंबेडकर की पत्रकारिता का संघर्ष ‘मूकनायक’ के माध्यम से मूक लोगों की आवाज बनने से शुरू हुआ।  और ‘प्रबुद्ध भारत’ के निर्माण के स्वप्न तक पहुंचा। ‘प्रबुद्ध भारत’ अर्थात एक नए भारत का निर्माण अर्थात जहां कोई असमानता न हो। डॉ. आंबेडकर का बुनियादी संघर्ष एक अलग स्वाधीनता का संघर्ष था। यह संघर्ष भारतीय समाज के सर्वाधिक वंचित और पीड़ित वर्ग की मुक्ति का संघर्ष था। उनका स्वाधीनता संग्राम उपनिवेशवाद के खिलाफ चलाए जा रहे स्वाधीनता संग्राम से कहीं बड़ा और गहरा था। उनकी नजर नवराष्ट्र के निर्माण पर थी। डॉ. आंबेडकर एक पत्रकार के रूप में भी बहिष्कृत समाज की मुक्ति के साथ नए राष्ट्र के निर्माण के लिए कार्य करते रहे। उन्हें इस तथ्य का गहरा अहसास था कि बहिष्कृत भारत की पूर्ण मुक्ति और प्रबुद्ध भारत का निर्माण एक दूसरे के पर्याय हैं। उन्होंने डॉ. आंबेडकर के बचपन और उनके जीवन की संघर्ष यात्रा के बारे में छात्र-छात्राओं को छोटे-छोटे प्रसंगों के माध्यम से बताया। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ केके शर्मा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने सभी को पढ़ने और आगे बढ़ने का मूल मंत्र दिया था। उनके पास 1934 तक 8 हजार किताबों का संग्रह था जो उनके जीवन के अंतिम पड़ाव तक करीब 35 हजार पहुंच गया था। हिंदी, अंग्रेजी, जर्मन समेत उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था। छात्र-छात्राओं को जीवन में सफलता का मूल मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि किताबों से दोस्ती करें। उन्होंने छात्रों से कहा कि ‘बाबा साहब भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष होने के अलावा एक सजग पत्रकार भी थे। उन्होंने बहिष्कृत भारत, मूक नायक और प्रबुद्ध भारत नाम के तीन समाचार पत्र भी निकाले। उन्होंने कहा कि देश के महापुरुषों को जातियों के खांचे में बांटकर देखना बड़ी भूल होगी। महापुरुष देश की धरोहर हैं और उनके विचार हमेशा समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। विश्व संवाद केंद्र के गोष्ठी प्रमुख सुमंत ने छात्रों से बाबा साहेब के विचारों को जीवन में उतारने की अपील की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रचार विभाग का कार्य देखने वाला विश्व संवाद केंद्र सदैव इस तरह के आयोजनों में सहयोग देता रहेगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख सुरेंद्र ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के विचारों का गहन अध्ययन जरूरी है। डॉ. आंबेडकर के समय में समाज में बदलाव की व्यापक चर्चा शुरू हो गई थी। आज हमारे समाज में निश्चित तौर पर सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। इतिहास के सही पक्ष को समाज तक ले जाना जरूरी हो गया है। कार्यक्रम में पत्रकारिता के अलावा मैनेजमेंट और कॉमर्स के छात्रों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। स्कूल ऑफ मीडिया फिल्म्स एंड टेलीविजन स्टडीज के डीन डॉ रविंद्र प्रताप राणा ने अतिथियों का आभार जताया। विभाग के शिक्षक डॉ नरेंद्र कुमार मिश्रा, विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट करके उनका सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन सचिन गोस्वामी ने किया। शिक्षक पृथ्वी सेंगर, विभोर गौड़, निशांत सागर, अमित राय व ज्ञानप्रकाश ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।

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