पुरस्कार समिति के पैमाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नहीं बेनेजुएला की मारिया उतरी खरी

नई दिल्ली। शांति के लिए नोबल पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरीना माचाडो को मिला है। इसको अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ा झटका माना जा रहा है। ट्रंप अरसे से खुद को दुनिया का शांति दूत साबित करने पर तुले हुए थे, लेकिन नोबल पुरस्कार देने वाले समिति के मानकों पर खरे नहीं उतरे। मारिया के हिस्से में दुनिया का यह सबसे बड़ा पुरस्कार आया है। नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के उनके अथक कार्य और तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए दिया जाएगा।
कौन है मारिया
मारिया कोरिना मचाडो पेरिस्का (जन्म 7 अक्टूबर 1967) एक वेनेज़ुएला की राजनीतिज्ञ और औद्योगिक इंजीनियर हैं। एक प्रमुख विपक्षी नेता तौर पर उन्होंने वेनेजुएला की नेशनल काउंसिल की कार्यकर्ता के रूप में काम की शुरूआत की। साल 2002 में मतदान-निगरानी संगठन सुमाते की संस्थापक के रूप में उन्होंने राजनीतिक पारी की शुरूआत की और 2012 के विपक्षी राष्ट्रपति पद के प्राथमिक चुनाव में भाग लिया था, यह चुनाव उन्होंने जीता भी। लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस की सरकार के खिलाफ कई प्रदर्शनों में अग्रणीय भूमिका निभाई थी। उन्हें जून 2023 में वेनेज़ुएला के महालेखा नियंत्रक द्वारा सार्वजनिक पद धारण करने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जनवरी 2024 में बेनेजुएला की सबसे बड़ी अदालत में वो फैसला बरकरार रखा था। हालांकि देश में उसकी काफी आलोचना हुए थी। बाद में उन्हें पहले कोरिना योरिस और बाद में एडमंउो गोंजालेज उरूतिया ने उम्मीदवार के रूप में स्थापित किया। अगस्त 2024 में मारिया मादुरों सरकार के तहत खुद के जीवन के लिए खतरे का हवाला देकर भूमिगत हो गयी थीं। मारिया मादुरो सरकार को हटाने के लिए अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप का समर्थन करती हैं। अब 2025 में उन्हें “वेनेज़ुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के उनके अथक कार्य और तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण बदलाव लाने के उनके संघर्ष के लिए उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।