पहले शमशान अब किला रोड

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पहले शमशान अब किला रोड, रूड़की रोड जोन बी-2 व जोन बी-वन इलाके के अलावा विशेष रूप से  का सोफीपुर स्थित प्राचीन हिन्दू शमशान घाट का दौराला के भूमाफिया का रामा कुंज का अवैध मार्केट और अब मेरठ विकास प्राधिकरण का जोन डी-फोर किला रोड पर किसी सुभाष उपाध्यक्ष की अवैध कालोनी। मेरठ विकास प्राधिकरण के जिन दो इलाकों का यहां जिक्र किया गया है उनमें कुछ भी असानता नहीं, बल्कि हालात बयां कर रहे हैं कि दोनों ही इलाकों में शत प्रतिशत समानता है। मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन बी के जिस पूर्व अभियंता मनोज सिसौदिया पर कृषि भूमि यानी खेत में सोफीपुर के हिन्दू शमशान घाट के बराबर में अवैध मार्केट रामा कुंज को आबाद कराने के आरोप क्षेत्र के लोग यहां तक कि प्राधिकरण स्टाफ के भी कुछ लोग लगा रहे हैं, उन्हीं अवर अभियंता को अब प्राधिकरण के जोन डी-फोर खासतौर से किला रोड पर अवैध कालोनियों का जाल बिछाने का महती जिम्मा दे दिया गया है। हालांकि ऐसा नहीं कि इस जोन के जोनल अधिकारी अर्पित यादव और अवर अभियंता मनोज सिसौदिया के आने के बाद यहां अवैध कालोनियाें का जाल बिछना शुरू हुआ है। किला रोड पर किसानों से उनके खेत लेकर अवैध कालोनियां काटने का काम पहले से चल रहा है। अवैध कालोनी काटने वालों पर आमतौर पर इस बात का कोई फर्क पड़ते कभी देखा नहीं कि प्राधिकरण के जिस जोन में वो अवैध कालोनी काट रहे हैं वहां जोनल अधिकारी कौन है या नया अवर अभियंता कौन तैनात किया गया है। नाम न छापे जाने की शर्त पर अवैध कालोनियों के कारोबार से जुड़े एक बिल्डर जो लावड रोड, पल्लवपुरम, बाईपास और अब किला रोड भी इलाके में जितनी भी अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं उन सभी में कुछ न कुछ हिस्सेदारी रखता है, ने बताया कि अवैध कालोनी जिसे वह रियल एस्टेट बता रहा था, सिर्फ इतना ही कहा कि पत्रकार जी पैसा बोलता है। जहां तक प्राधिकरण और रियल स्टेट जिसे मीडिया अवैध कालोनियां बताकर आसमान सिर पर उठाए है यदि धन धना धन का कीर्तन जोरशोर से किया जाए तो फिर जिस प्रकार से कोई बिल्डर अफसरों के आगे धन धना धन करता है, आसमान से पैसा भी वैसा ही बरसता है। जितना बोओगे उतना ही ज्यादा काटोगे। जिन इलाकों में कालोनियों का काम चल रहा है, वहां कौन जोनल अधिकारी है कौन नया अवर अभियंता आया है इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि हमाम में आकर कोई भी कपड़े पहन कर नहीं नहाता है। हमाम में सभी को पकड़े उतारने पड़ते हैं जो पहले से हमाम में मौजूद है वो तो नंगा है ही जो नया इस हमाम में आता है वो भी दूसरों की देखा देखी कपड़े उतार कर नहाना ही मुनासिब समझता है। इसलिए किस जोन में या फिर मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन डी-फोर किला रोड पर कौन नया जोनल अधिकारी या अवर अभियंता आया है, इससे कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। बल्कि कई बार यह बदलाव काफी मुनाफे का सौदा साबित होता है, जैसा कि जोन डी-फोर में भेजे गए अवर अभियंता को ही ले लीजिए। जब तक जोन बी में उनकी ड्यूटी रही वो दौराला के भूमाफिया जिसने रामा कुंज अवैध मार्केट व   पल्लवपुरम के उदय सिटी में किसी पौराणिक नाम से अवैध कालोनी काटी है और रूडकी रोड स्थित श्रीराम प्लाजा कांप्लैक्स में पार्किंग के लिए छोड़ी गई जगह में भी दुकानें बनाकर बेच दी हैं, उनके लिए बेहद मुफीद साबित हुए। जब दौराला के भूमाफिया की मदद की जा सकती है तो फिर प्राधिकरण के जोन डी-फोर में जितनी भी अवैध कालोनियां हों वो चाहे खुद को भाजपा का नेता बनाते वाले किसी प्रजापति की अवैध कालोनी हो या फिर पवित्र मित्रा की अवैध कालोनी का मामला हो या लोगोंं द्वारा बताए गए किसी सुभाष उपाध्यक्ष की अवैध कालोनी का मामला हो क्या फर्क पड़ता है नवागत अवर अभियंता सभी के लिए मुफीद साबित होंगे। बल्कि यूं कहें कि ऐसे अवर अभियंता या फिर मेरठ विकास प्राधिकरण के स्टाफ के जो भी कर्मचारी या अधिकारी होते हैं उन्हें इस प्रकार की कालोनियां काटने वाले बिल्डर मसलन भूमाफिया हाथों हाथ लेते हैं। उनकी तमाम जरूरतों व परेशानियों को पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है। शर्त बस इतनी होती है कि जब तक अवैध कालोनी का काम चल रहा है तब तक यह ध्यान रहे कि कोई विध्य बाधा पैदा न हो। विध्न बाधा यदि पैदा भी हो तो मेरठ विकास प्राधिकरण की फाइल से वो बाधा बाहर निकलने की हिमाकत न करे। इसकी मिसाल भी दी गयी। खुद को भाजपा नेता बताने वाले प्रजापति द्वारा जोन डी-फोर किला रोड पर काटी जा रही अवैध कालोनी के संबंध में जब पूर्व के अवर अभियंता धीरज यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया था कि प्रजापति की अवैध कालोनी मे काम को रूकवा दिया गया है। वहां शीघ्र ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि ये तमाम आदेश सिर्फ फाइलों में कैद भर करने के लिए किए जाते हैं। आमतौर पर इस प्रकार के आदेशों को अमलीजाना नहीं पहनाया जाता है। केवल शासन की ओर से आने वाली किसी प्रकार की जांच के दौरान अधिकारी खुद की गर्दन बचाने के लिए ऐसे आदेश करते रहते हैं। इस प्रकार के आदेशों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता जिसकी बड़ी मिसाल किला रोड पर प्रजापति की कालोनी है। रोक के आदेश फाइलों में कैद हो कर रहे गए। इसकी देखा देखी वहां पवित्र मित्रा और सुभाष उपाध्यक्ष सरीखों की अवैध कालोनियाें अब खुलकर सामने आ रही हैं। दिन रात काम जारी है। इसलिए जोन में कौन नया अधिकारी आया है और कौन नया अवर अभियंता आया है, इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। कालोनी काटने वालाें को बस सेटिंग गेटिंग में स्ट्रांग होना चाहिए।

@Babk Home


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