भूमाफिया निकल रहे जमीन

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भूमाफिया निकल रहे जमीन, हरियाली पर भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि, -खेतों को कंकरीट के जंगल में तब्दील कर रहे भूमाफिया- मेरठ। मेरठ विकास प्राधिकरण से न तो नक्शा पास कराने की जरूरत समझते हैं और न ही प्रशासन से भू उपयोग बदलने की अनुमति के योगी सरकार के कायदे कानून उनके लिए मायने रखते हैं। हालात इतने गंभीर है कि मेरठ के चारों ओर दूर तक जो हरियाली आंखों को सकून दिया करती थी उस इलाके को कंकरीट का जंगल बनाते पर उतारू है। राताें रात धनपशु बनने की इस होड़ में भूमाफिया अकेले नहीं हैं। धन पशु बनने की इस होड़ में उनके बड़े मददगार सत्ता से जुड़े कुछ नेता, अपराधी व माफिया और सरकार की मंशा के विपरीत आचरण करने वाले कुछ अफसर खासतौर से मेरठ विकास प्राधिकरण के वो अफसर जिनकी जिम्मेदारी अवैध कालोनियों व अवैध निर्माणों को रोकने की है। लेकिन हो यह रहा है कि एमडीए के कुछ अफसरों की छत्रछाया में ही अवैध कालोनियां तेजी से पांव पसार  रही हैं। भोले भाले किसानों से साम-दाम-दंड़-भेद की तर्ज पर उनके खेत छीने जा रहे हैं। औने पौने रेट पर किसानों से बीधों के हिसाब से ली गयी जमीन को गजों व सर्किल रेट के हिसाब से बेचा जा रहा है। महज अवैध कालोनी नहीं: मेरठ के भूमाफिया अब केवल अवैध कालोनी तक सीमित नहीं रह गए हैं, जानकारों की मानें तो उनके बीच अपराधियों की गैंगवार की तर्ज पर अब किसानों के खेतों को कब्जाने की वार चल रही है। शायद यही कारण है जो एमडीए के रूडकी रोड, मोदीपुरम, पल्लवपुरम, सोफीपुर लावड रोड सरीखे इलाकों में खेती की जमीन तेजी से भूमाफिया निकल रहे हैं। खेती की जमीन को किसी भी तरह से कब्जा कर किसानाें से उनका पुश्तैनी परिवार का भरण पोषण करने का साधन भी छीना जा है। खेती के जिस काम से पुश्तों से किसानों के परिवार पलते आ रहे हैं वो उन खेतों पर भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि पड़ गयी है। जमीनी हकीकत जानने को दफ्तर से निकला होगा बाहर: अवैध कालोनियों को लेकर हालात कितने गंभीर हैं, इसकी जानकारी कम से कम दफ्तर में बैठकर तो नहीं हो सकती। यह बात यूं ही नहीं कही जा रही है, इसके पीछे ठोस वजह भी है। एमडीए के जिन जोनल अधिकारियों और अवर अभियंताओं की कारगुजारियों के चलते अवैध कालोनियों का जाल बिछ रहा है, वो कभी भी नहीं चाहेंगे कि उपाध्यक्ष तक उनकी कारगुजारियां पहुंचें। बल्कि ऑल इज वैल जैसी रिपोर्ट देकर भरमाने का पूरा प्रयास किया जाएगा, लेकिन धारा जो रिपोर्ट दे रहा है उसकी पुष्टि रूडकी रोड सोफीपुर से सटे लावड रोड के बाग तक महज जाने की जरूरत भर है। कारगुजारियों की स्वत ही खुल जाएगी पोल: एमडीए उपाध्यक्ष यदि दफ्तर से निकलकर दस मिनट की ड्राइव दूरी पर स्थित सोफीपुर लावड रोड का भले ही सूचना देकर भी निरीक्षण कर लें तो उनके मातहत कैसी ड्यूटी कर रहे हैं, किस प्रकार से सूबे की योगी सरकार को राजस्व हानि पहुंचोन का काम कर रहे हैं, पल भर में इसकी पोल खुल जाएगी। यहां औचक्क या छाप मारने की सलाह नहीं दी जा रही है, अल एलान कर सोफीपुर लावड रोड का निरीक्षण करने का आग्रह भर किया जा रहा है।  कई-कई कारगुजारियों का खुलासा तय: जिन इलाका का इस रिपोर्ट में उल्लेखा किया गया है यदि वहां का पूर्व सूचना देकर भी निरीक्षण करने को उपाध्यक्ष निकल जाएं तो एक साथ कई कारगुजारियों मसलन नाक के नीचे क्या खेल चल रहा है, इसका भी खुलासा हो जाएगा। सोफीपुर हिन्दू शमशान के पास खेत में अवैध मार्केट की बात तो अब पुरानी हो गयी है। इससे सटे लावड़ रोड की यदि बात की जाए तो तेजी से विशाल काल अवैध कालोनी काट रही हैं। इस रोड पर जगह-जगह अवैध मार्केट नजर आएंगे। चंद कदम की दूरी पर कुछ और चलेंगे मसलन श्रीराम प्लाजा रूडकी रोड पर तो वहां बेसमेंट का जो स्थान वाहनों की पार्किंग के लिए छोड़ा गया था वहां दुकानें मिलेंगी। लेकिन यह भी पुरानी बातें हैं। फिलहाल तो बड़ा काम लावड रोड पर तेजी से काटी जा रही अवैध कालोनियों पर अंकुश का है।

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