अवैध कालोनियों में सुविधा के नाम पर मुसीबतों का पहाड़, मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्टचारियों और सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में भूमाफियाओं द्वारा काटी जा रही अवैध कालोनियों में जिंदगी भर की कमाई दांव पर लगाकर आशियाने का सपना देखने वालों को सुविधा के नाम पर इन कालोनियों में केवल मुसीबत का पहाड़ सामने खड़ा नजर आता है। ऐसी ही एक अवैध कालोनी मेरठ विकास प्राधिकरण के गंगा नगर से सटे जोन डी भावनपुर-अब्दुल्लापुर संपर्क मार्ग पर काटी गयी है। इस कालाेनी में पहुंचकर जब इस संवाददाता ने हालात का जायजा लिया तो ऐसा लगा ही नहीं कि मेरठ में जैसे महानगर में कालोनी के नाम पर कोई इतना ज्यादा पिछड़ा इलाका भी हो सकता है। शक्ति कालोनी के नाम से काटी गयी इस कालोनी को काटने वाला भूमाफिया कौन है तो यह पक्की तौर पर नहीं पता चल सका, लेकिन कालोनी का जो नजारा था उससे साफ था मेरठ विकास प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अफसर भले ही कुछ भी दावें करें, लेकिन भू-माफियाओं पर लगाम लगाना इतना आसान काम नहीं है। भूमाफियाओं की यदि बात की जाए तो इस कालोनी की दशा देखकर तो यही लगता है कि उन्हें किसी का खौफ नहीं। उनका काम केवल लूट भर करना है।
सजा सरीखे हालात:
प्राधिकरण के जोन डी शक्ति नाम से काटी गयी अवैध कालोनी में रहना किसी सजा से कम नहीं। सजा इसलिए कि अवैध कालोनी में जिस जगह मकान बनाए गए हैं, वहां पहुंचना किसी मुसीबत से काम नहीं। मुसीबत ऐसे कि रास्ता इस लायक नहीं कि वहां पैदल चलकर या फिर दो पहिया वाहन से पहुंचा जा सके। रास्ते के नाम पर केवल उबड़ खाबड़ सड़क। बारिश ने इस सड़क का हुलिया बिगाड़ कर रख दिया है। भूमाफिया ने रास्ते के नाम पर जो कारगुजारी दिखाई है, उससे होकर जाना हादसे या कहें दुर्घटना को दावत देना है। अभी तो सावन पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुआ है, केवल प्री मानसून बारिश हो रही हैं। इस रेंज में सावन के पूरी तरह से सक्रिया होने के बाद जोन डी में काटी गयी शक्ति कालोनी तथा इस सरीखी महानगर में दूसरी अवैध कालोनियों की क्या हालत होने वाली है इसका अंदाजा फिलहाल तो शक्ति कालोनी की अब की हालात देखकर आसानी से लगाया जा सकता है।
अवैध कालोनी में कनैक्शन क्यों:
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि पीवीएनएल किसी भी अवैध कालोनी में बिजली के कनैक्शन नहीं देगा, लेकिन प्राधिकरण के जोन डी की अवैध बतायी गयी शक्ति कालोनी की यदि बात की जाए तो लगता है कि पीवीएनएल के अफसरों को सूबे की योगी सरकार के सिस्टम या चाबुक का कोई खौफ नहीं है। शक्ति कालोनी और इस जैसी महानगर की तमाम अवैध कालोनियाें में पीवीएनएल के अफसरों ने बिजली के कनैक्शन जारी कर दिए हैं। इसके लिए वहां बाकायदा खंबे लगाए गए हैं। उन पर तारें भी खींच दी गयी हैं। इससे साबित हो जाता है कि भूमाफिया का नैक्सस केवल प्राधिकरण में ही असर नहीं रखता बल्कि शक्ति कालोनी सरीखी अवैध कालोनियां काटने वाले भूमाफियाओं की पकड़ पीवीएनएल और ऐसे ही सूबे की योगी सरकार के दूसरे महकमों की बेहद पुख्ता है। वर्ना ऐसी क्या वजह है कि अवैध कालोनियों में बिजली के कनैक्शन की मनाही के बाद भी शक्ति सरीखी कालोनियों में पीवीएनएल अफसरों ने कनैक्शन के नाम पर वो सभी काम करा दिए हैं जो एक अधिकृत कालोनी में कराए जाते हैं। इससे साफ है कि यही आशंका जतायी जा रही है कि अवैध कालोनी क काले कारोबार में होने वाली काली कमाई में पीवीएनएल के कुछ भ्रष्ट अफसरों का भी मोटा हिस्सा है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर अवैध कालोनियों में क्यों कनैक्शन दिए जा रहे हैं।
ना सीवर सिस्टम ना पानी की टंकी:
अवैध कालोनियों में न तो सीवर सिस्टम दिया जा रहा है। शक्ति सरीखी कालोनियों में जो लोग मकान बनाकर रहेंगे उनके घरों से निकलने वाला पानी कहां जाएगा। सीवर व ड्रेनेज सिस्टम का कोई नामो निशान तो अवैध कालोनियों में होता ही नहीं। भूमाफिया किसी भी अवैध कालोनी में ड्रेनेज सिस्टम और सीवर सिस्टम नहीं रखते हैं। यहां तक कि नालियां तक भी नहीं बनायी जाती है। ऐसे में घरों से निकलने वाला पानी और दूसरी गंदगी का निस्तारण कैसे होगा या फिर घरों से निकलने वाला पानी घरों के बाहर ही फैलेगा और घर से बाहर आने जाने के लिए उस गंदे पानी से होकर ही जाना होगा। दरअसल होता यह है कि शुरूआत में भूमाफिया जब किसी को प्लाट बेचेते हैं और शख्स प्लाट में मकान बनाकर रहने लगता है तो उसके घर से निकलने वाले पानी को पास के प्लाट में छोड़ दिया जाता है, जब वो प्लाट भी बेच दिया जाता है तो अवैध कालोनी के किसी ऐसे ही दूसरे प्लाट में पानी छुडवा दिया जाता है। यह सिलसिला लगातार तब तक जारी रहता है जब तक सीवर व पानी की निकासी की समस्या पूरी तरह से मुसीबत न बन जाए जब तक ड्रेनेज सिस्टम की समस्या मुसीबत बनती है तब तक भूमाफिया अवैध कालोनी के सारे प्लाट बेचकर निकल चुका होता है।
एनओसी हो गयी बेमाने:
मेरठ विकास प्राधिकरण क्षेत्र में बात चाहे अवैध कालोनी की हो या फिर बड़े-बड़े अवैध निर्माणों की अवैध कालोनियां काटने वाले तथा अवैध कांप्लैक्स बनाने वालों को कभी भी किसी विभाग में एनओसी दाखिल करने की जरूरत पड़ती हो ऐसा नजर नहीं आ रहा है। उसकी वजह यह है कि जब कहीं भी कोई कांप्लैक्स बनाया जाता है और वहां पर दूसरे विभागों से संबंधित काम कराए जाते हैं तो सबसे पहले उसमें एनओसी की जरूरत पड़ती है। इनमें सबसे ज्यादा जरूरी फायर एनओसी की होती है, लेकिन भूमाफियाओं के हाथों जो अवैध काप्लैक्स बनाए जा रहे हैं उसमें किसी एनओसी की जरूरत उन्हें पड़ी हो ऐसा नहीं लगता। प्राधिकरण के रूडकी रोड स्थित श्रीराम प्लाजा में नक्शे में जिस स्थान पर पार्किंग तय की गयी थी वहां भी दुकानें बनाकर भूमाफिया ने बेच डालीं। इसके अलावा इस कांप्लैक्स में फायर एनओसी की जरूरत भी भूमाफिया ने पूरी नहीं की। इसकी पुष्टि पुलिस लाइन स्थित फायद आफिसर के कार्यालय से कर ली गयी है। वहां से श्रीराम प्लाजा रूडकी रोड के नाम पर कोई एनओसी ली ही नहीं गयी न ही अप्लाई की गयी। यदि कोई हादसा इस प्रकार के कांप्लैक्स में हो जाता है तो जब पीड़ित को मुआवजा की बारी आएगी तो सबसे पहले यही पूछा जाएगा कि क्या फायर या दूसरी एनओसी ली गयी थीं, जब एनओसी ही नहीं ली गयी तो फिर मुआवजा की बात कैसे की जा सकती है।