15 साल पूरे कर चुके कामर्शियल वाहन दौड़ रहे सड़कों पर, ओवर ऐज गाड़ियों का ठिकाना बना मेरठ, पांच सौ से ज्यादा पुराने डीजल वाहन मौजूद
मेरठ। दिल्ली के प्रदूषण का जहर मेरठ की हवा को जहरीली बना रहा है। पंद्रह साल की मियाद पूरी कर चुकी दिल्ली से निकाली गई गाड़ियां एनसीआर में बैन कर दिए जाने के बावजूद मेरठी अफसरों की कृपा से शहर की सड़कों में बेरोकटोक दौड़ रही हैं और प्रदूषण का जहर परोस रही हैं। इनमें ज्यादातर छोटी बसें हैं जो शहर में तमाम रूटों पर दौड़ रही हैं। इसके बाद भी पुलिस और आरटीओ के अफसर या तो बे-खबर हैं या फिर खबर होते हुए भी खास वजहों से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ओवरऐज होने के चलते दिल्ली से निकाले गए ऐसी तमाम गाड़ियां मेरठ में मोदीपुरम से सरधना व परतापुर रूट पर दौड़ रही हैं।
परमिट नहीं केवल सेटिंग
केवल इन दो रूटों पर ही नहीं बल्कि उन तमाम रूटों पर दौड़ रही हैं जहां परमिट होना ना होना इतना जरूरी नहीं है जितना जरूरी आरटीओ और पुलिस के अफसरों से सेटिंग का होना जरूरी है। उसी के बूते दिल्ली की ओवरऐज ये ओवरऐज गाड़ियां मेरठ में आकर संजीवनी पा रही हैं। एक अनुमान के तहत दिल्ली से बाहर कर दिए गए ऐसी करीब पांच सौ डीजल गाड़ियां शहर की आबाहवा को जहरीली बना रहे हैं। नियम की बात करें तो 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर बैन लगने से हजारों वाहन राजधानी से बाहर कर दिया गया है। नोएडा व गाजियाबाद में सख्ती के चलते ही ऐसी डीजल गाड़ियों ने मेरठ का रूख किया है। जिसके बाद ऐसे आउट डेटेड डीजल वाहनों ने मेरठ को अपना ठिकाना बना लिया है। शहर के पर्यावरण कार्यकर्ता आसिम बताते हैं कि दिल्ली प्रदूषण कम करने के नाम पर अपनी समस्या दूसरे शहरों पर थोप रही है। ये डीजल गाड़ियां एनजीटी के मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, इसलिए उनका धुआं प्रदूषण को आसमान छूने पर मजबूर कर रहा है। इसके लिए शहर में चेकपाइंट बनाए जाने चाहिए