रोड सरकार की 12 करोड़ सालाना की कमाई माफिया की

रोड सरकार की 12 करोड़ सालाना की कमाई माफिया की
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रोड सरकार की 12 करोड़ सालाना की कमाई माफिया की,

-थाना पुलिस या  सत्ताधारी दल के नेताओं का संरक्षण या फिर गोरखधंधे से ही अंजाम बेखबर है पुलिस

-पूरे जनपद में किसी भी सड़क पर माफिया को महिना दिए बगैर नहीं चला सकते ई-रिक्शा व ऑटो

-करीब आठ हजार ई रिक्शा व चालिस हजार ऑटो व दूसरे ऐसे वाहनों से की जाती है उगाही

शेखर शर्मा

सूबे की योगी सरकार की सड़कों पर अवैध कब्जे कर माफिया प्रवृत्ति के लोग सालाना 12 करोड़ की अवैध उगाही कर रहे हैं। यह अवैध उगाही ई रिक्शाओं, ऑटो व सिटी बसों से की जाती है। हालांकि शहर में अब प्राइवेट सिटी बसों की संख्या बहुत कम रह गयी है। ऐसा ई-रिक्शाओं व ऑटो के सड़कों पर उतरने के बाद हुआ है। योगी सरकार की सड़कों पर माफियाओं का यह उगाही का खेल केवल शहर ही नहीं बल्कि देहात में भी चल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि यह अभी शुरू हुआ है। सूबे में सरकार किसी भी दल की हो, लेकिन उगाही माफियाओं का धंधा कभी भी बंद होता या रूकता नहीं। ये पहले भी इसी प्रकार से अवैध उगाही करते थे। अभी भी कर रहे हैं और माना जा रहा है कि आगे भी रोड माफियाओं का इसी प्रकार से धंधा फलता फूलता रहेगा।

कौन है बेगमपुल का संजय व दौराला का हरीश

सरकारी सड़कों पर दौड़ने वाले ई-रिक्शा व आटो से उगाही की तह में पहुंचने का प्रयास किया गया तो बेगमपुल जीरो माइल से लेकर मोदीपुरम फ्लाई ओवर तक की रोड का ठेका किसी संजय नाम के ठेकेदार पर बताया गया है। इसके आगे यानि दौराला वाली रोड का ठेका किसी हरीश नाम के शख्स के पास बताया गया है। इसी प्रकार महानगर की जितनी भी सड़कें हैं , उन सभी के अलग-अलग ठेकेदार उगाही के लिए लगाए हुए हैं। केवल शहर ही नहीं देहात के इलाकों में भी जितने भी प्राइवेट वाहन सवारियां ढोह रहे हैं, सभी के हिस्से की अलग-अलग सड़के हैं।

महीना देने में देरी पर निर्ममता

नाम न छापे जाने की शर्त पर एक आटो चालक ने बताया कि उन्हें हर माह पांच सौ से लेकर एक हजार तक की रकम पूरे शहर का जो भी माफिया हो, उसको हर माह देनी होती है। इस रकम के अलावा प्रतिदिन दस से पचास रुपए तक रोड माफिया के ठेकेदार को देने होते हैं। दस रुपए ई रिक्शा का रेट और उसी प्रकार दूसरे वाहनों का अलग-अलग रेट है जो प्रतिदिन देना होता है। यह रकम न दें ऐसा तो हो ही नहीं सकता, महीना और प्रतिदिन की उगाही देने में यदि देरी हो जाए तो फिर खैर नहीं। ठेकेदार के लोग जमकर पिटाई करते हैं। वाहन को जब्त कर लिया जाता है। पुलिस किसी प्रकार की या  कोई मदद करेगी, यह बात तो एक दम भूल जाइए।

माफिया-नेता-पुलिस का का संगठित गिरोह

करीब बाहर करोड़ रुपए सालाना के इस कलेक्शन में अकेले केवल माफिया ही फल फूल रहा हो, जानकारों का कहना है कि ऐसा बिलकुल नहीं है। इन माफियाओं को सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं व थाना पुलिस का पूरा संरक्षण हासिल है। या यूं कहें कि एक संगठित गिरोह की तर्ज पर जाड़ा-गर्मी-बरसात सरीखे मौसम की परवाह न करते हुए परिवार पालने वाले गरीब ई-रिक्शा व आटो चालकों से उगाही की जाती है।

ये है गणित उगाही का

ई-रिक्शाओं से होने वाली उगाही की बात की जाए तो आरीओ के यहां 12 हजार ई रिक्शा पंजीकृत हैं। लेकिन रोड पर करीब साठ हजार ई रिक्शा दौड़ हैं। हाई रेट वाली रोड जिनमें दिल्ली रोड, हापुड़ रोड से भूमियापुल व लिसाड़ी रोड इनका रेट ज्यादा होता है। जिन पर सवारियों की भरमार है, वहां रेट ज्यादा है, लेकिन न्यूनमत रेट प्रतिमाह पांच सौ और प्रतिदन दस रुपए है। यदि साठ हजार ई रिक्शाओ का अनुमान मान लिया जाए तो कलैक्शन बनता है करीब साठ लाख। ये तो केवल ई रिक्शाओ का कलेक्शन है। बाकि रह गए आटो और सिटी बसें तथा ऐसे ही दूसरे प्राइवेट वाहन जो सवारियां ढोहतें हैं उनको मिलाकर कुल कलेक्शन बैठता है एक करोड़ महीना यानि साल का बारहा करोड़। इससे अंदाजा लगा लीजिए् की भले ही गंदा है लेकिन धंधा है और चौखा है। बस कुछ नहीं करना बांट कर खाना है।

रडार पर हैं माफिया व ठेकेदार

तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर जो भी लोग शहर में अवैध ई रिक्शाओ का संचालन करा रहे हैं वो तमाम तत्व रडार पर हैं। इनकी पहचान कराकर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

राधवेन्द्र मिश्रा: एसपी ट्रैफिक

 


पीयूष काे भेजा सुलतानपुर आयुष मेरठ के एसपी सिटी

SP सिटी पीयूष कुमार सिंह का तबादला हो गया है। शासन ने पीयूष कुमार सिंह का तबादला सुल्तानपुर कर दिया है। उनके स्थान पर IPS आयुष विक्रम सिंह को मेरठ भेजा है। मूल रूप से गाजियाबाद निवासी आयुष विक्रम सिंह अब मेरठ में एसपी सिटी का पद संभालेंगे। पीयूष सिंह को सुल्तानपुर पीटीएस भेजा गया है। IPS आयुष विक्रम सिंह अभी तक मुजफ्फरनगर में डीएसपी के पद पर तैनात थे।


बिजली चोरी से राजस्व की हानि

शहर में दौड़ रहे वैध और 15 हजार से ज्यादा अवैध ई-रिक्शा न केवल जाम का पर्याय बन चुके हैं, बल्कि हर महीने ढाई करोड़ रुपये की बिजली चोरी कर रहे हैं। शहर में एक भी चार्जिंग स्टेशन नहीं है और हर रोज ई-रिक्शा सड़क पर उतर रहे हैं। रजिस्ट्रेेशन के लिए पांच हजार की लिमिट है, लेकिन संचालन 15 हजार का हो रहा है।शहर की यातायात जरूरतों और प्रदूषण से ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने पांच हजार ई-रिक्शाओं के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी थी। इनमें 4935 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन हुआ है। शहर में ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने थे। पीवीवीएनएल ने पहल करते हुए यूनिवर्सिटी रोड स्थित 33 केवी बिजलीघर में चार्जिंग स्टेशन बनवाया था। तत्कालीन एमडी अभिषेक प्रकाश ने शुभारंभ किया था। यहां 50 रुपये प्रति ई-रिक्शा चार्जिंग शुल्क रखा गया। लेकिन उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इस पर आपत्ति करते बंद करा दिया। इसके बाद से बिजली विभाग लगातार ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन बनाने के इच्छुक लोगों को कनेक्शन लेने के लिए आमंत्रित कर रहा है, लेकिन कोई आगे नहीं आया है।

चोरी की बिजली से हो रहे चार्ज
ई-रिक्शा सर्विस कामर्शियल गतिविधि के अंतर्गत आती है। इन्हें कामर्शियल कनेक्शन के जरिये ही चार्ज किया जा सकता है। लेकिन ई-रिक्शा मालिक अपने घरेलू कनेक्शन के जरिये ही इन्हें चार्ज कर रहे हैं या अवैध चार्जिंग स्टेशनों पर चोरी-छिपे चार्ज कराते हैं। यह धंधा लिसाड़ीगेट और नौचंदी थाना क्षेत्र में सर्वाधिक चल रहा है।
हर महीने ढाई करोड़ रुपये की बिजली पर डाका
ई-रिक्शा में 12-12 वोल्ट की 4 बैटरी (48 वोल्ट) होती हैं। इन्हें चार्ज करने के लिए कम से कम 10 से 12 घंटे का समय लगता है। इसमें करीब 8 यूनिट बिजली खर्च होती है। शहर में दौड़ रहे 15 हजार ई-रिक्शा प्रतिदिन करीब 1 लाख 20 हजार यूनिट बिजली खपत करते हैं, जो 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से 8 लाख 40 हजार रुपये बैठती है। यानी हर महीने करीब ढाई करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो रही है। यहां सवाल ये भी है कि जब ई रिक्शा चार्जिंग स्टेशन ही नहीं हैं, तो वैध वाले भी कहां चार्ज कराएं।

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