आज ही के दिन की गई थी आयरन लेडी की हत्या, पूरा देश था स्तब्ध, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह थे अंगरक्षक
इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या — अपने ही अंगरक्षकों ने बरसाईं तीस गोलियाँ!
देश स्तब्ध, दिल्ली में आग की लपटें, सेना सड़कों पर
नई दिल्ली 31 अक्तूबर को उस दिन हलक गुनगुनी धूप बादलों के बीच से झांक रही थी। सुबह 9.19 बजे का वक्त था सफदरजंग रोड पर आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी चल रही थीं। सफेद साड़ी, चाल में दृढ़ता, आँखों में भविष्य। और फिर… धाँय-धाँय-धाँय! हवा फटी। धरती हिली। बेअंत सिंह ने रिवॉल्वर तानी — तीन गोलियाँ सीधे सीने में! सतवंत सिंह ने स्टेन गन थामी — लगातार 27 राफेल! इंदिरा गांधी लहूलुहान होकर धरती पर ढह गईं। उनका खून बगीचे की हरी घास पर लाल फूल बनकर बिखर गया।
“माँ…!” — चीख निकली निजी सचिव आर.के. धवन की। “नहीं… नहीं…!” — सहायक नारायणन फट पड़े। मानों वक्त पल भर के लिए ठहर गया हो।
एम्स में वो पांच घंटे की जंग जिसे मौत ने जीता
11 सर्जनों की टीम, 80 यूनिट खून, तीन बार दिल रोका-चलाया पर दोपहर 2.20 बजे — डॉक्टरों ने सिर झुका लिया। “We have lost her.” इंदिरा गांधी मृत।
राजीव गांधी का दिल दहला
उस दिन राजीव गांधी पश्चिम बंगाल में भाषण दे रहे थे। अचानक फोन। “माँ को गोली लगी है…” विशेष विमान। दिल्ली। एम्स। राजीव ने माँ का खून से सना चेहरा देखा — रो पड़े।
“माँ… तुम कहाँ चली गईं?”
साजिश की काली छाया
क्या कोई बड़ा षड्यंत्र? गृह मंत्रालय ने सीबीआई जाँच की घोषणा की।
दोनों हत्यारे सिख अंगरक्षक — ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला?
बेअंत सिंह: घटना के तुरंत बाद गोली मारकर खत्म
सतवंत सिंह: पकड़ा गया, मुस्कुराता रहा
ये थी इंदिरा गांधी की हत्या की देश को दुनिया में शर्मसार करने वाली घटना
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस (आई) की सर्वोच्च नेता श्रीमती इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर को सुबह उनके सरकारी निवास 1 सफदरजंग रोड पर उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सुबह करीब 9 बजकर 19 मिनट पर हुई इस घटना में श्रीमती गांधी को कम-से-कम ३० गोलियाँ लगीं, जिनमें से अधिकांश स्टेन गन से दागी गईं। घटना उस समय हुई जब श्रीमती गांधी अपने निवास से निकलकर निकटवर्ती 1 अकबर रोड स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय जा रही थीं। उनके साथ चल रहे निजी सचिव आर.के. धवन और एक सहायक ने बताया कि अचानक अंगरक्षक बेअंत सिंह ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से तीन गोलियाँ चलाईं, जिनमें से दो सीने में लगीं। तत्पश्चात् साथी अंगरक्षक सतवंत सिंह ने स्टेन गन से लगातार फायरिंग की थी।