
भाजपा की अंदरूनी राजनीतिक चरम पर, राख कुरेदकर अंगोरों को दी जा रही हवा, आला कमान तय करेगा किसमें कितना है दम
लखनऊ/मेरठ। राज्यमंत्री के करीबी बताए जा रहे भाजपा के एक नेता के द्वारा सरेआम सड़क पर एक व्यापारी से मारपीट कर उसको नाक रगडने पर मजबूर करने के मामले ने भाजपा के मेरठी नेताओं के बीच की खाई को बेपर्दा कर दिया है। सूत्रों की मानें तो सत्यम रस्तौगी तो महज बहाना है इस मामले को लेकर आस्तीन चढाए नजर आ रहे भाजपा नेताओं का निशाना कहीं और है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह घटना वाकई शर्मसार करने वाली है और इसको यदि हलके में लिया जाता या दक्षिण विधानसभा मं और इस विधानसभा में अन्य घटनाओं की तरह लीपापोती कर दी जाती तो तो आने वाले चुनाव में दक्षिण विधानसभा में तो बड़ा नुकसान होना ही था, साथ ही मेरठ के सभी सात विधानसभाओं में भाजपा को इसके दुष्परिणाम झेलने होते।
वैश्यों की नाराजगी की चुकाते कीमत
व्यापारी सत्यम रस्तौगी के साथ भाजपा नेता के अमानवीय व्यवहार से वेश्यों की नाराजगी मेरठ ही नहीं लखनऊ में बैठे भाजपा नेताओं को भी समझ में आ गयी थी। शायद यही वजह थी कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अलल एलान कहना पड़ गया कि वैश्य समाज भाजपा को कोर वोट बैंक है, उनके साथ यह स्वीकाार्य नहीं। मेरठ की कैंट व शहर सीट ऐसी हैं जहां वैश्यों की नाराजगी का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता।
दुश्मन का दुश्मन दोस्त
राजनीति में पुरानी कहावत है कि ना तो कोई स्थायी दोस्त होता है और ना ही दुश्मन होता है, लेकिन दुश्मन का दुश्मन दोस्त जरूर होता है। सत्यम प्रकरण को लेकर जो कुछ भी मेरठ भाजपा के बड़े नेताओं ने किया और एक छतरी के नीचे नजर आए उसने यह साबित कर दिया कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। तमाम वो नेता जो आमतौर पर ऐसे मामलों से दूर रहते हैं वो भी मुखर नजर आए। घटना को जिस प्रकार से भाजपा के बड़े नेता ले रहे थे ऐसा लगता था मानों इसके पीछे विरोधी दल के किसी बड़े नेता का हाथ है और पर बुल्डोजर सरीखी कार्रवाई चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो केवल नाम भर सत्यम रस्तौगी का था बाकि निशाने पर कोई बड़ा भाजपाई है। भाजपा सूत्र बताते हैं कि यह मामला भले ही दब गया हो, लेकिन संगठन स्तर पर यह मामला पूरी तरह से गरमाया हुआ है। इतना ही नहीं यह भी तय किया गया है कि इस मामले को ठंड़ा नहीं पड़ने देना है। वहीं दूसरी ओर इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा के जो नेता टारगेट पर हैं उनकाराजनीतिक प्रतिद्वंदियों से ज्यादा नुकसान अपनों ने किया है।
ये है मामला
19 अक्तूबर 2025 की रात करीब दस बजे तेजगढ़ी चौराहे के पास कार पार्किंग को लेकर भाजपा नेता विकुल चपराना का हैंडलूम व्यापारी सत्यम रस्तोगी से विवाद हो गया था। विकुल ने राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर के नाम का रौब दिखाते हुए व्यापारी से अभद्रता की थी। इतना ही नहीं उनसे नाक रगड़वाकर माफी भी मंगवाई थी। मौके पर पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही। इसकी वीडियो क्लिप वायरल हुई। तब से यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
आम आदमी पार्टी ने की जांच की मांग
दलित समाज के पट्टे सोमेंद्र ने कराए अपने नाम, जांच हो: आम आदमी पार्टी
ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर के समर्थक विकुल चपराना ने जो हरकत की है, उसने सब को शर्मसार कर दिया। डॉ. सोमेंद्र ने कायस्थ गांवड़ी गांव में दलित समाज के लोगों के 24 पट्टे अपने और अपने लोगों के नाम करा दिए हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिए। यह गंभीर विषय है।
– अंकुश चौधरी, जिलाध्यक्ष आम आदमी पार्टी