सील तोड़कर बना डाला अवैध कांप्लैक्स

अवैध निर्माण ही नहीं दबंगई भी
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सील तोड़कर बना डाला अवैध कांप्लैक्स, मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन-ए-3 में एक भूमाफिया इस जोन के जोनल अधिकारी/ओएसडी पर भारी पड़ रहा है। इस भूमाफिया के जिस अवैध कांप्लैक्स पर प्राधिकरण के दस्ते ने सील लगायी थी, उस सील को न केवल तोड़कर फैंक दिया बल्कि वहां बहुमंजिला कांप्लैक्स बना डाला। केवल कांप्लैक्स ही नहीं बनाया उसमें बेसमेंट भी निकाल दिया। एमडीए के ओएसडी रंजित सिंह का कहना है कि प्राधिकरण बेसमेंट की अनुमित नहीं देता और जिस कांप्लैक्स यहां बात की जा रही है, वो पूरी तरह सेअवैध है। पूर्व में भी इसको कोई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। सील लगायी जा चुकी है। अब अंतिम कार्रवाई सीधे अवैध इमारत को ध्वस्त करने की ही की जाएगी। एमडीए के अफसर भले ही कहने को कुछ भी कहते रहें, लेकिन जमीनी हकीकत की यदि बात की जाए तो एमडीए के स्टाफ की मिलीभगत के बगैर पूरे महानगर में कोई एक टायलेट तक नहीं बना सकता, यहां तो बात की जा रही है बहुमंजिला इमारत की। जोन-ए-3 में प्राधिकरण पर इस इलाके के तमाम भूमाफिया भारी पड़ रहे हैं। केवल अवैध कलोनियां ही नहीं बल्कि अवैध निर्माणों की भी यहां बाढ़ आयी हुई है। कुछ तो ऐसे भी मामले हैं जहां अवैध निर्माण करने वालों ने बड़े-बड़े एमडीए से मानचित्र स्वीृत के बोर्ड टांगे हुए हैं। जब ऐसे मामलों की पड़ताल की गयी तो पता चला कि मानचित्र तो तभी स्वीकृत किया जाएगा जब निर्माण करने वाला मानचित्र दाखिल करेगा। सूत्रों ने जानकारी दी है कि केवल जोन-ए-3 में ही नहीं पूरे महानगर मे ऐसे सैकड़ाें प्रकरण या मामले मिल जाएंगे जिसमें एमडीए से मानचित्र स्वीकृत के बोर्ड टांग दिए जाते हैं, जबकि मानचित्र स्वीकृत को दूर की बात प्राधिकरण में दाखिल तक नहीं कराया जाता। सूत्र यह भी बताते हैं कि इस प्रकार के तमाम रास्ते सुझाने का काम भी एमडीए का स्टाफ करता है। आमतौर पर जोन का स्टाफ ही भूमाफियाओं व अवैध निर्माण करने वालों को तरीके बताते हैं और साथ ही यह भी बताते है कि निर्माण शुरू होने या फिर अवैध कालोनी काटने जाने के बाद एमडीए की ओर से उनके द्वारा क्या-क्या कार्रवाई मसलन जैसे चालान, नोटिस, सील सरीखी कार्रवाई की जाएंगी साथ ही यह भी बता दिया जाता है कि इन कार्रवाइयों के बाद भी काम रोके जाने की कोई जरूरत नहीं है जैसा कि  मेरठ विकास प्राधिकरण के चमड़ा पैठ हापुड़ रोड पर जोन ए-3 हापुड़ रोड पर बहु मंजिला मंजिला काप्लैक्स के अवैध निर्माण को लेकर किया गया है। इस अवैध निर्माण को लेकर  मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर कितने संजीदा हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार्रवाई के नाम पर अधिकारी केवल जांच में अपनी गर्दन फंसने से बचाने के नाम नोटिस जारी करने और सील लगाने से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जिस कांप्लैक्स की यहां बात की जा रही है उस पांच मंजिला कांप्लैक्स पर यूं प्राधिकरण स्टाफ दो बार सील लगा चुका है, लेकिन प्राधिकरण के स्टाफ के हटते ही सील को तोड़कर वहां अवैध निर्माण शुरू कर दिया गया। होना तो यह चाहिए था कि सील तोड़ने के बाद वहां जेसीबी भेजकर इस अवैध इमारत को जमीदोज कर दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, बल्कि हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवैध कांप्लैक्स बनाने वाले असलम का दावा है कि उसकी प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अधिकारियों से पूरी सैटिंग हो चुकी है। उनकी छत्रछाया में ही यह अवैध कांप्लैक्स बन रहा है। उसने यहां तक चुनौती दी कि उसका यह काम कोई एक दो दिन या रातों रात नहीं हुआ है। सालों से वह यहां निर्माण का काम जारी रखे हुए हैं। बेसमेंट से लेकर पांच मंजिल तक का काल बगैर किसी रोक टोक के जारी है। अब यदि इस जोन के स्टाफ की बात की जाए तो तो इस जोन ए में अवैध निर्माण व अवैध कब्जे रोकने की जिम्मेदारी ओएसडी/जोनल अधिकारी रंजीत सिंह की है। रंजीत सिंह के अलावा अवर अभियंता साेमेन्द्र प्रताप व सुरपरवाइजर राजेन्द्र उर्फ घोड़ा की भी अवैध निर्माण रोकने के नाम पर बराबर की जिम्मेदारी है, इसके बावजूद बेसमेंट बना लिया जाता है। नियमानुसार बेसमेंट के निर्माण के लिए प्रशासन से पहले खनन की अनुमति लेनी अनिवार्य है, लेकिन आरोप है कि एमडीए के जोनल स्टाफ की छत्रछाया में अवैध निर्माण करने वाले असलम को बेसमेंट ही नहीं पूरा कांप्लैक्स बनाने में किसी प्रकार की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ी । उसके काम में कोई अनुमति की औपचारिकता आड़े नहीं आयी। हालात कितने गंभीर हैं और कांप्लैक्स के मालिक असलम की पकड़ कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवर अभियंता बजाए कार्रवाई के कांप्लैक्स बनाने वाले असलम की पैरवी में अब खुलकर उतर आए हैं। जब उनसे अवैध निर्माण पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया तो उन्होंने ताल ठोक कर कहा कि उनकी जहां चाहे शिकायत कर लीजिए, इसका काम नहीं रूकेगा। जो कांप्लैक्स बनाया जा रहा है उसमें तमाम कायदे कानून ताक पर रख दिए गए हैं। ऐसा नहीं कि एमडीए से केवल नक्शा ही पास नहीं कराया गया है। फायर एनओसी से लेकर जो अन्य औपचारिकताएं जरूरी होती है वो भी पूरी करने की जरूरत नहीं समझी गयी। मेन रोड पर इस अवैध इमारत में पार्किंग तक का ध्यान नहीं रखा गया है। एमडीए प्रशासन ने करीब चार माह पूर्व अवैध कालोनियों व निर्माणाें के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी थी, उसका अन्य पर कितना असर हुआ उसका अंदाजा इस अवैध इमारत को देखकर लगाया जा सकता है।

वर्जन

ओएसडी/ जोनल अधिकारी रंजीत सिंह का कहा है कि एमडीए के स्तर से अवैध कांप्लैक्स के विरूद्ध सभी नियमित कार्रवाई की गयी हैं और आगे भी जारी रहेंगी।

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