नई दिल्ली/मुंबई। एकनाथ डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे वाली शिवेसना या तो हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी या फिर एक हो जाएगी। दो में से एक ही काम होगा, यह तय समझा जाए। इसकी माकूल वजह भी है जो यहां बतायी जा रही है और यही होने जा भी रहा है। हां इतना जरूर है कि भाजपा के रणनीतिकार एकनाथ शिंदे से पिंड छुडाना चाहते हैं लेकिन एकनाथ शिंदे जानते हैं कि यदि भाजपा उन्हें धकियाया तो महाराष्ट्र की राजनीति में उनका सूरज डूब जाएगा। अब इसकाे समझ लीजिए। किसके मन में क्या चल रहा है यह कहना बहुत मुश्किल है। सीएम बने एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने से कतई खुश नहीं है। यह बात उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को भी बता दी है। लेकिन अमित शाह ने उन्हें आफर दिया है कि शिवसेना को भाजपा में मर्ज यानि विलय कर दीजिए। एकनाथ को यह सौदा बेहद महंगा नजर आता है। भाजपा में विलय से वह कुछ समय के लिए भले ही सीएम बन जाएं लेकिन उनकी अपनों का राजनीतिक भविष्य खत्म हो जाएगा। दूसरा ऑप्शन उनके पास शिवसेना की घर वापसी का है। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार यह आसनी से होने नहीं देंगे। दरअसल इस वक्त एकनाथ दोराहे पर खड़े हैं। उनके सामने दो रास्ते हैं और दोनों पर ही नुकसान साफ नजर आ रहा है। लेकिन बड़ा नुकसान उनके लिए भाजपा में शिवसेना के विलय का है। इसके अलावा उन्हें यह भी डर है कि यदि राज ठाकरे और उद्वव एक हो जाते हैं तो भी उनका नुकसान है। उस दशा में महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा का भी नुकसान है। इसलिए भाजपा यह नहीं चाहेगी कि एकनाथ कभी भी घर वापसी करें। एकनाथ की बैसाखी के सहारे ही भाजपा अगले लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। अब यह वक्त बताएंगा कि एकनाथ वाली शिवसेना एक होगी या खत्म।
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