नए साल की शुरूआत हो सकती है गिरावट के साथ, दुनिया भर के निवेकशें में भारी चिंता, भारत के बाजार से हाथ खींच रहे विदेशी निवेशक
नई दिल्ली/न्यूयार्क। साल 2026 की शुरूआत दुनिया के शेयर बाजार खासतौर से छोटे निवेशकों के लिहाज से अच्छी नहीं मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर भारतीय बाजार की यदि बात करें तो लो वॉल्यूम के चलते अब विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार नहीं सुहा रहा है, जिसके चलते विदेशी निवेशक अपना हाथ खींच रहे हैं। नए साल में यह भारत के छोटे निवेशकाें के लिए बुरी खबर हो सकती है।2026 की शुरुआत में बड़े गिरावट का खतरा बढ़ा रहा है। यह निगेटिव ट्रेंड साल के अंत में ‘सांता क्लॉस रैली’ की उम्मीदों को झटका दे रहा है।
लगातार कमजोर हो रहा भारत का रुपया
दुनिया भर के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जबकि भारत की बात करें तो रुपए की लगातार गिरती कीमत से बाजार लुढक रहा है। हालांकि भारत सरकार का वित्त मंत्रालय ऐसा नहीं मानता। दुनिया के बाजारों की बात करें तो शेयर मार्केट में आज निगेटिव माहौल है। 2025 का अंत होने के बावजूद, प्रमुख इंडेक्स में गिरावट और अनिश्चितता जारी है। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियां, AI बबल की चिंताएं, तेल की गिरती कीमतें और वैश्विक आर्थिक मंदी के संकेत निवेशकों को परेशान कर रहे हैं।
दुनिया के बाजरों में बड़े क्रेश की आहट
S&P 500 और Nasdaq S&P 500 और Nasdaq हाल के दिनों में गिरावट के दौर से गुजर रहे हैं। दिसंबर में S&P 500 और Nasdaq दोनों महीने में निचले स्तर पर हैं, जो ऐतिहासिक रूप से मजबूत दिसंबर में असामान्य है। AI से जुड़े स्टॉक्स में गिरावट जारी – Oracle और Broadcom जैसे स्टॉक्स 11-19% गिरे। Nike जैसे स्टॉक्स में 10%+ की गिरावट, चीन में कमजोर डिमांड और टैरिफ के कारण। डाउ जॉन्स भी दिसंबर में सिर्फ 0.9% ऊपर, जबकि Nasdaq सबसे बड़ा लूजर। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि AI बबल फूट सकता है, जिससे 2026 में बड़ा क्रैश आ सकता है।
यूरोप में निवेशक डरे
यूरोप में STOXX 600 और Euro Stoxx 50 में हल्की गिरावट। Nike के खराब रिजल्ट्स से Adidas और Puma जैसे स्टॉक्स 1-3% गिरे। यूरोपीय अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत – कंज्यूमर कॉन्फिडेंस कम, और ECB की नीतियां अनिश्चित। दिसंबर में रिकॉर्ड हाई से दूर, निवेशक सतर्क हैं। वहीं दूसरी ओर एशिया में Nikkei और Hang Seng में उतार-चढ़ाव, लेकिन ओवरऑल दबाव। जापान में येन की कमजोरी और BOJ की रेट हाइक के बावजूद स्पेकुलेटिव सेलिंग। दक्षिण कोरिया में AI उम्मीदों के बावजूद, चीन में इक्विटी फंड्स में इनफ्लो के बावजूद मंदी के डर। तेल की गिरती कीमतें (WTI 21% YTD डाउन) ग्लोबल सप्लाई ग्लूट से मार्केट पर नकारात्मक असर। भारत में Sensex और Nifty आज ऊपर हैं, लेकिन दिसंबर में FII आउटफ्लो (6,584 करोड़) और रुपए की कमजोरी (90.15 पर) दबाव डाल रही है। टैरिफ और ग्लोबल अनिश्चितता से इंपैक्ट।