ना बीटीसी ना बीएड ना डॉयट का प्रशिक्षण फिर भी स्कूलों में टीचर, कई तो डॉयट के प्रशिक्षण के बाद भी परीक्षा में फेल के बाद भी टीचर
इलहाबाद। जिले में बेसिक के स्कूलों में ऐसे टीचर बच्चों को पढ़ रहे हैं मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त किए गए, इन्हें प्रशिक्षण लेना अनिवार्य था। लेकिन ऐसे 31 शिक्षकों ने आज तक भी डायट से प्रशिक्षण नहीं लिया है। जबकि साल 2009 में शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू किया, जिसकों प्रदेश सरकार ने साल 2011 में प्रदेश सरकार ने लागू किया, जिसमें सभी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण लेना अनिवार्य कर दिया। प्रदेश के मृतक कोटे में नियुक्त जिन्होंने प्रशिक्षण नहीं लिया तो साल 2014 में प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव नितिश्वर कुमार ने अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण लेने का शासनादेश जारी कर दिया। मेरठ के अप्रशिक्षित शिक्षकों ने प्रशिक्षण नहीं लिया तो आरटीआई एक्टिविस्ट कुलदीप शर्मा ने बेशिक शिक्षा के शासन के अफसरों व सीएम योगी से शिकायत की, उसके क्रम में बेसिक शिक्षक परिषद के सचित संजय सिन्हा ने तत्कालीन बीएसए को आदेश किया कि अनुपालन में बीएसए ने 31 मई 16 को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिए कि सभी अप्रशिक्षित टीचरों को प्रशिक्षण प्राप्त करने को भेजा जाए। ऐसे अप्रशिक्षित टीचरों में कई ऐसे भी पूर्व प्रशिक्षण के बाद भी फेल हाे गए थे। इस आदेश के खिलाफ विरोध स्वरूप हाईकोर्ट में चले गए। जिला बेसिक के आदेश के खिलाफ उनकी ओर से याचिका दायर की गई। 4 जुलाई साल 2016 को 24 अगस्त साल 2016 तक के लिए अगली सुनवाई हाेने तक बीएसके आदेश को स्टे कर दिया गया। अगली सुनवाई होने तक उक्त स्टे स्वत: ही खत्म हो जाना था, तब से आज तक वो अप्रशिक्षित शिक्षक हाईकोर्ट गए ही नहीं। इनमें 31 में बड़ी संख्या ऐसे टीचरों की है, जो पहले एक साल के प्रशिक्षण में फेल हो गए। जब वो फेल हो गए तो दोबारा प्रशिक्षण के लिए गए ही नहीं, जबकि डायट से इन्हें अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण लेना था।