जांच को खुद ही खारिज कर रही सीबीआई, रिपोर्ट में कोई अनियमितता नहीं, फिर भी दो अफसरों पर सजा की सिफारिश
नई दिल्ली/लखनऊ/मेरठ। कैंट बोर्ड के करोड़ों रुपए के कथित डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन घोटाले में जांच को जांच की दरकार है। जिस जांच ने मेरठ से वाया लखनऊ और नई दिल्ली रक्षा मंत्रालय के गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है, जानकारों की मानें तो अब उसी जांच रिपोर्ट की जांच की नौबत आ गयी हैं। ऐसा मानने वालों का कहना है कि सजा और क्लीनिचट तो बाद की बात है पहले तो जो जांच की गई है उसकी जांच करा ली जाए। क्योंकि जांच अधिकारी अपनी ही बात को काट रहे हैं। जिसके चलते जांच की जांच की बात उठ रही है। जांच में तो जो किया सो किया उससे भी बड़ा कारनामा कैंट बोर्ड प्रशासन ने किया, यदि जांच रिपोर्ट में कोई अनियमितता की बात सही है तो फिर सजा किस बात सुना दी गयी। कैंट बोर्ड इस पर कुछ भी बोलने को तेयार नहीं।
झोल ही झोल
डोर टू डोर कूडा कलेक्शन घोटाले की जांच रिपोर्ट पर इसलिए भी सवाल खड़े हो रहे क्योंकि तत्कालीन बोर्ड सदस्य विपिन सोढी की शिकायत पर मामला साल 2022 से हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद जांच अधिकारी ने क्लीनचिट दे डाली, जबकि घोटाला हुआ है या नहीं यह तय करना हाईकोर्ट का काम है, जांच ऐजेंसी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल भर कर सकती थी, लेकिन जांच करते-करते खुद ही फैसला भी सुना दिया। जिस रिपोर्ट पर हंगामा बरपा है जानकारी मिली है कि उस रिपोर्ट में सीबीआई ने शिकायत निराधार हैं कोई अनियमितता नहीं मिली है यह आख्या अंकित है, लेकिन दो अधिकारियों पर सफाई अधीक्षक वीके त्यागी और सफाई इंस्पेक्टर अभिषेक गंगवार पर सजा की सिफारिश कर जांच रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारों की मानें तो 23 जनवरी 2024 को दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायत निराधार है कोई अनियमितता नहीं मिली है, इसी रिपोर्ट में कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन के दो अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश कर दी गयी है। रिपोर्ट में एक ओर कोई अनियमितता नहीं की बात और दूसरी ओर सेनेट्री सेक्शन के एसएस और इंस्पेक्टर के खिलाफ पेनल्टी की बात। विधि विशेषज्ञ सीनियर एडवोकेट अनिल बक्षी ने भी इसी आधार पर इस रिपोर्ट को खारिज करने की बात कही है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट का निर्णय अंतिम माना जाएगा। यदि किसी को आपत्ति है तो डबल बैंच या फिर सुप्रीमकोर्ट जाए।
कौन सही
रक्षा मंत्रालय सेंट्रल कमान के डायरेक्टर डीएन यादव की 6 जुलाई 2022 की इन्वारी रिपोर्ट कहती है कि डिजिटल मेटाडेटा से जालसाजी और बैकडेटिंग सिद्ध जिसके चलते कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन के कंप्यूटर व हार्ड्र डिस्क सील किए हैं। सबसे चौंकाने वाला घालमेल वर्कआर्डर 30 मार्च 2021 को और ठेकेदार का पत्र 2 अप्रैल 2021 को। इन तथ्यों पर रिपोर्ट में पर्दा डाल दिया है।कैंट बोर्ड के अफसर यदि जांच रिपोर्ट को सही मान रहे हैं तो फिर उन्होंने सजा किस बात की दी। जब कोई घोटाला हुआ ही नहीं तो फिर सजा कैसी। यदि घोटाले के तथ्यों की बात करें तो एमएसडब्लू नियम का उल्लंघन, कथित फर्जी अग्रिम बिल, एक ही इनवॉइस पर अलग-अलग रकम और बैकडेटेड दस्तावेज। ये सभी साक्ष्य रिकार्ड में भी मौजूद हैं जिसकी वजह से यह मामला अब पूरी तरह से उलझ गया है।