जिस आरोप में सजा वही झूठा!

kabir Sharma
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करोड़ों रुपए का कैंट बोर्ड कूडा घोटाला, बोर्ड के एसएस व एसआई की सजा पर सवाल, “जिस आरोप में सजा दी गई—वही आरोप झूठा!

नई दिल्ली/मेरठ। कैंट बोर्ड का करोड़ों का कूडा घोटाला जांच ऐंजेंसी और बोर्ड के कुछ अफसरों के लिए अब मुसीबत बनता जा रहा है। इस पूरे मामले की जिस तरह से परत दर परत उधड़ रही हैं उससे एक बात तो साबित हो गयी कि जांच को मजाक बना कर रख दिया गया। जो आरोप लगाए उनको लेकर कह दिया कि साबित नहीं हो रहे हैं जब आरोप ही साबित नहीं हो रहे हैं तो फिर सजा किस बात की दी गई

सभी जानते थे लेकिन बोला कोई नहीं

“जिस आरोप में सजा दी गई—वही आरोप झूठे साबित हुए यह बात CBI, DGDE, PDDE, CEO… सभी जानते थे”
सजा जिस आरोप पर दी गई, वही आधिकारिक रिकॉर्ड में झूठा निकला। इसके अलावा सबसे चौकाने वाला और बड़ा खुलासा यह कि सफाई अधीक्षक (SS) और सफाई निरीक्षक (SI अभिषेक) को जिस आरोप में सजा दी गई थी,वही आरोप दो आधिकारिक दस्तावेजों द्वारा 100% झूठा साबित हो चुका है।
सजा का आधार था:
“Issuing of backdated work order to the contractor”
लेकिन ठेकेदार 2 अप्रैल 2021 का पत्र जिस पर तत्कालीन सीईओ के हस्ताक्षर सहित 6 जुलाई 2022 को Director Central Command की Statutory Enquiry दोनों दस्तावेज़ चींख चींख कर कह रहे हैं कि Work Order समय पर जारी हुआ था
Backdating का आरोप असंभव था। लेकिन उसके बाद भी सजा क्यों दी गयी इसका उत्तर किसी के भी पास नहीं है।

बड़ा खुलासा

Director Central Command की रिपोर्ट ने खोला सबसे बड़ा राज CEO द्वारा 06. जुलाई 2022 को जारी पत्र में स्पष्ट है कि Work Order (30.मार्च .2021) SS के कंप्यूटर पर 09. अगस्त .2021 को टाइप मिला। Contractor Letter (02.अप्रैल .2021) 01.जुलाई .2021 को टाइप मिला। यानि दो नोटशीटें जुलाई 2021 में टाइप हुईं। स्पष्ट है कि अप्रैल का पत्र जुलाई में टाइप हुआ, लेकिन उस पर 02 अप्रैल 2021 और 03.अप्रैल .2021 की बैकडेटेड तिथियाँ डाली गईं। Director Central Command ने Metadata से यह जालसाज़ी साबित की। इसके अलावा Statutory Enquiry Findings “binding” थीं (CVC Manual 6.2.3) फिर भी CBI ने PE में इनका एक शब्द भी शामिल नहीं किया। चर्चा है कि CBI, CEO, DGDE, PDDE—सभी जानते थे कि आरोप fabricated है।

सबसे बड़ा सबूत
इन चारों के पास आधिकारिक रूप से मौजूद थे:
✔ ठेकेदार का पत्र (02.04.2021)
✔ Ex-CEO के हस्ताक्षर (03.04.2021)
✔ Director Central Command की Binding Report (06.07.2022)
✔ SS के कंप्यूटर से मिले Backdated documents के डिजिटल प्रमाण
यानी—
सभी प्राधिकरणों को पता था कि “Backdated Work Order” का आरोप झूठा है
फिर भी SS और SI पर आरोप लगाकर सजा दी गई
प्रश्न यह है—
जब सब जानते थे कि आरोप गलत है, तो सजा किसे बचाने के लिए दी गई?

कॉलम-4
सबसे बड़ा सवाल — गलत आरोप में सजा क्यों स्वीकार की गई? और SI अभिषेक की अपील 6 महीने से बोर्ड में क्यों दबाई गई?
SS VK Tyagi ने सजा क्यों स्वीकार की?
क्योंकि—

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  • उनके कंप्यूटर पर Backdated documents मिले
  • यह Major Penalty / Dismissal का मामला बन सकता था
  • इसलिए उन्होंने Minor Penalty स्वीकार कर ली
  • ताकि मामला आगे न जाए और असली जिम्मेदार बच जाएँ
    SI अभिषेक की Statutory Appeal का क्या हुआ?
    SI अभिषेक ने सजा के खिलाफ कानूनी अपील दायर की,
    जो—
    पिछले 6 महीनों से Board के स्तर पर लंबित रखी गई है
    कारण स्पष्ट है:
    यदि अपील पर सुनवाई हो गई,
    तो ठेकेदार का पत्र, backdated documents और Director की findings सब रिकॉर्ड में आ जाएँगे।
    और फिर fabricated आरोप की सच्चाई उजागर हो जाएगी।
    इसीलिए अपील दबाकर रखी गई।
    निष्कर्ष — आरोप झूठा, सबूत उपलब्ध, अधिकारी अवगत… फिर भी सजा दी गई और appeal दबा दी गई। किसके बचाव में यह पूरा खेल खेला गया?
    👉 चौथी कड़ी में प्रकाशित होंगे ठेकेदार और Ex-CEO के backdated पत्र,
    जिन्हें Director Central Command ने “fabricated” घोषित किया था।
    👉 और यह सच्चाई कि इन दस्तावेज़ों को छिपाने के लिए किसने, कैसे और क्यों साजिश रची।
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