शहर के जोन वन में कई-कई बिजलीघर संभाने पड़ रहे हैं एक जेई को, कैसे लाइन पर आए बिजली सप्लाई
मेरठ। सूबे की योगी सरकार बिजली की सुदृढीकरण के नाम पर अरबों रुपए खर्च करने का दावा करती है, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो यहां बिजलीघर तो हैं, लेकिन इन बिजलीघरों को संभाने वाले जेई (अवर अभियंताओं ) का भारी टोटा है। बिजलीघरों को संभालने वाले अवर अभियंताओं की पीवीवीएनएल के पास भारी कमी है, हालांकि कमी के बाद भी किसी तरह सिस्टम को चलाया जा रहा है। मेरठ के पूरे बिजली सिस्टम को दो जोन में बांटा गया है जोन वन शहरी क्षेत्र और जोन टू देहात व बागपत के इलाके के बिजलीघर। जोन वन में कुल 52 बिजलीघर हैं, जबकि देहात में इनकी संख्या करीब 480 है। मेरठ जैसे जिले में शहरी आबादी जिसमें बड़ी संख्या संवेदनशील इलाकों की है, वहां बिजलीघर संभालने वाले अवर अभियंताओं की कमी का होना वाकई गंभीर बात है। शहर के संवेदनशील इलाके जिनमें लिसाड़ीगेट क्षेत्र, ब्रह्मपुरी, नौचंदी क्षेत्र, कोतवाली, देहलीगेट सरीखे ऐसे इलाके हैं जहां छोटी-छोटी बातों पर लोग सड़कों पर उतर आते हैं। बिजली का कट लगना तो बड़ी बात है। बिजली कटौती के चलते पिछले दिनों शहर घंटाघर और शारदा रोड बिजलीघर पर जमकर हंगामे हुए थे। पीवीवीएनएल अफसर खुद भी मानते हैं कि बिजली कटौती की बड़ी वजह ट्रांसफार्मर व दूसरे कीमती उपकरणों के रखरखाव में कमी तथा लाइन लॉस होना है। इन बातों से तभी बचा जा सकता है जब बिजलीघर को संभालने वाले अवर अभियंता हों। एक बिजलीघर पर कम से कम एक अवर अभियंता होना जरूरी है, लेकिन मेरठ के जोन वन की यदि बात करें तो कम से कम पच्चीस फीसदी अवर अभियंताओं की यहां कमी है।
नई व्यवस्था के बाद कुछ बदलाव
मेरठ के बिजलीघरों को लेकर जब से जोन सिस्टम लागू किया गया है तब से कुछ बिजलीघरों को जाेन भी बदल गया है। नयी व्यवस्था के बाद खड़ौली, परतापुर, उद्योगपुरम-1 व 2, शताब्दीनगर सेक्टर 5, 4 और 2, मलियाना, वेदव्यासपुरी, पल्लवपुरम फेस-1 व 2 के बिजलीघर शहर क्षेत्र में लगेंगे जबकि शहर के चार बिजलीघर अम्हैड़ा, सैनी, नंगला सेखू और ललसाना देहात क्षेत्र में शामिल किए गए हैं।