ठेकेदार से ये रिश्ता क्या कहलाता है, डायरेक्टर मध्य कमान ने जिस ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे और जिसको ब्लैक लिस्टेड किया जाना था, जिसकी सिक्योरिटी मनी जब्त कर ली जानी थी, मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन मसलन सीईओ कैंट बोर्ड ने उस मनोज चौधरी नाम के ठेकेदार की कैंट बोर्ड के खजाने में जमा करीब एक करोड़ की आंकी जा रही सिक्योरिटी मनी रिलीज कर दी। सीईओ कैंट की इस कार्रवाई के बाद सवाल पूछा जाने लगा है कि जिस ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट की श्रेणी में रखा जाना था, उससे ये रिश्ता क्या कहलाता है। जिस ठेकेदार पर संविदा कर्मचारियों की कई-कई माह की सेलरी न दिए आरोपी संविदा कर्मियों द्वारा लगाकर शिकायतों की जांच के लिए मेरठ आए डायरेक्टर मध्यम कमान डीएन यादव से भी शिकायत की गयी थी और डायरेक्टर डीएन यादव ने कैंट बोर्ड प्रशासन के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। जिस ठेकेदार का ठेका निरस्त कर संविदा कर्मचारियों की सेलरी का भुगतान कैंट बोर्ड के खजाने से करना पड़ा था। इतना ही नहीं जिस ठेकेदार पर चौदह हजार की सेलरी पर साइन करा कर संविदा कर्मचारियों को महज करीब दस हजार रुपए सेलरी के नाम पर भुगतान करने के आरोप लगे थे, उस ठेकेदार पर इस मेहरबानी के पीछे की वजह क्या है। जिस ठेकेदार ने अरसे तक संविदा कर्मचारियों की हक और हलाल की सेलरी के एक बड़े हिस्से पर डाका डाला, उस ठेकेदार को एक करोड़ की सिक्योरिटी मनी के भुगतान के पीछे असल वजह क्या है। या फिर यह मान लिया जाए कि डायरेक्टर मध्यम कमान डीएन यादव के आदेशों के इतर कैंट बोर्ड प्रशासन ने दागदार बताए जा रहे ठेकेदार को क्लीनचिट इसलिए दी है ताकि दोबारा जब कैंट क्षेत्र में सफाई का ठेका छोड़ा जाए तो उक्त ठेकेदार को भी हाथ आजमाने का मौका दिया जा सके या फिर एक करोड़ के इस पेमेंट के पीछे खेल कुछ और ही चल रहा है। इसके पीछे क्या खेल है यह तो ठेकेदार या फिर कैंट बोर्ड प्रशासन ही स्पष्ट कर सकते हैं, लेकिन इस कार्रवाई से इतना जरूर साबित हो गया है कि ठेकेदार को लेकर कुछ तो ऐसा है जिसकी पर्दादारी है। कैंट प्रशासन के इस फैसले से सबसे ज्यादा हैरान परेशान वो संविदा सफाई कर्मचारी हैं जिनसे साइन चौदह हजार पर कराए जाते थे और दिए जाते थे महज दस हजार रुपए। नाम न छापे जाने की शर्त पर उनका कहना है कि सेलरी के नाम पर जो लूट ठेकेदार संविदा कर्मचारियों के साथ कर रहा था ऐसा प्रतित होता है उस लूट में कैंट बोर्ड के कुछ अफसरों का भी हिस्सा था। उन्होंने इसको लेकर कैंट बोर्ड के कर्मचारी नेताओं पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ठेकेदार को एक करोड़ की सिक्योरिटी मनी रिलीज कर दी जाती है और कर्मचारियों के हितों का दम भरने वाले कर्मचारी नेता व पदाधिकारियों के मुंह एक एक बोल तक नहीं फूटता। लगता है कि भ्रष्टचार व लूट के इस हमाम में सभी नंगे हैं।