डिप्टी रजिस्ट्रार और तीन लोगाें की गवाही करेगी गवन के आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम
मेरठ। सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्रीपार्श्वनाथ 1008 दिगंबर पंचायती मंदिर का एक किलो सोना व करोड़ों की रकम डकारने वाले पुलिस की जांच व मंदिर समिति के करीब तीस पदाधिकारियों द्वारा दोषी बताए गए मृदुल जैन व अनिल बंटी तथा सुनील जैन की आजादी सिर्फ 15 अगस्त तक है। हाईकोर्ट ने जो स्टे दिया है, वह टाइमबार्ड है, इन्हें केवल साठ दिन का स्टे दिया गया है। केवल इन्हें ही नहीं बल्कि पुलिस को साठ दिन के भीतर जांच पूरी कर कार्रवाई अर्थात अरेस्टिंग करनी होगी। पुलिस यदि ऐसा नहीं करती तो कोर्ट की अवमानना की तलवार लटक जाएगी। अब यह पुलिस को तय करना है कि अनिल बंटी, मृदुल व सुनील जैन की अरेस्टिंग करनी है या फिर हाईकोर्ट की अवमानना का सामना करना है।
वहीं दूसरी इस मामले के साक्ष्यों की बात करें तो तथाकथित (तथाकथित इसलिए क्योंकि मंदिर के चुनाव के कोई साक्ष्य स्वयं भू पदाधिकारी डिप्टी रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर सके) मंदिर के करीब तीस पदाधिकारियों जिनमें रंजीत जैन, दिनेश मंत्री, सुशील चावल, विनोद बुरा, प्रेम मामा, विजय सनमती आदि कुल तीस ने अपने बयान में मृदुल पर ही एक किलो सोना व करोड़ों की नकदी गवन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने पुलिस को दिए बयान में स्पष्ट कहा है कि मंदिर का एक किलो सोना व करोड़ों की रकम मृदुल के पास है। उसने आज तक उसका हिसाब नहीं दिया। वहीं दूसरी ओर डिप्टी रजिस्ट्रार ने भी पुलिस को वो तमाम साक्ष्य उपलब्ध करा दिए जिनसे मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर गवन के आरोपों की पुष्टि होती है। वहीं इस मामले में सदर बाजार थाना के आईओ की तमाम कारगुजारी की जानकारी एसएसपी तक भी पहुंच गई। इसी के चलते उन्हें सदर जैसे थाने से हटाकर देहात में पहुंचा दिया। यह किसी सजा से कम नहीं। इतना ही नहीं इसकी जांच भी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी गयी। विधि विशेषज्ञों की राय में विवेचना क्राइम ब्रांच को जाना एक बड़ी बात और आरोपी मृदुल, सुनील व बंटी के को शिकंजे में पहुंचाना सरीखा है। माना जा रहा है कि अब इस मामले में 15 अगस्त के बाद कुछ बड़ा होने जा रहा है वो बड़ा क्या हो सकता है जैन समाज को इसका इंतजार 15 अगस्त गुजरने तक करना होगा।