आसपास के शहर उड़ान भर चुके, मेरठ कब?”

kabir Sharma
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शहरवासियों को मेरठ से उड़ने का बेसब्री से इंतजार, बार-बार टूट रहा है हवाई उड़ान का सपना, (AAI) से विस्तार की मंजूरी, फिर भी 26 वर्षों से अधिक इंतजार

नई दिल्ली/ मेरठ। आसपास के तमाम शहरों से हवाई उड़ान शुरू हो चुकी है, लेकिन मेरठ का हिस्से में करीब 26 सालों से इंतजार आ रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर मेरठ लंबे समय से हवाई संपर्क की बाट जोह रहा है। परतापुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर हवाई पट्टी पर 72 सीटर विमानों की उड़ानें शुरू करने का वादा वर्षों से किया जा रहा है, लेकिन कागजी कार्रवाई और जमीन अधिग्रहण की देरी ने इस सपने को बार-बार टाल दिया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने विस्तार के लिए मंजूरी दे दी है, फिर भी 26 वर्षों से अधिक इंतजार जारी है। स्थानीय निवासी और व्यापारी अब हताश हो चुके हैं, क्योंकि आसपास के शहरों जैसे मुरादाबाद और सहारनपुर में उड़ानें शुरू हो चुकी हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों के अनुसार, यदि जमीन और फंड तुरंत उपलब्ध हो, तो 6-12 महीनों में उड़ानें शुरू हो सकती हैं। 2023 में 19 सीटर विमानों के लिए NOC जारी हो चुकी थी, लेकिन विस्तार न होने से वह भी रुकी। अब उम्मीद है कि आगामी बजट सत्र में प्रस्ताव पास हो।

हवाई पट्टी का इतिहास 1990 के दशक से है जुड़ा

हवाई पट्टी का इतिहास 1990 के दशक से जुड़ा है, जब इसकी नींव रखी गई थी। केंद्र सरकार की ‘उड़ान’ योजना के तहत मेरठ को शामिल किया गया, और 2014 में पट्टी को AAI के हवाले कर दिया गया। वर्तमान में 80 मीटर चौड़ी और 1800 मीटर लंबी यह पट्टी छोटे विमानों के लिए पर्याप्त है, लेकिन 72 सीटर प्लेन के लिए इसे 210-280 मीटर चौड़ा और 2280 मीटर लंबा बनाने की जरूरत है। AAI ने इसके लिए 96.14 एकड़ जमीन मांगी है, जिसके अभाव में विस्तार रुका हुआ है।

उम्मीद की किरन

बीती 11 सितंबर को राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ एडीएम सिटी बृजेश सिंह, एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (Airport Authority of India)के एजीएम आपरेशन अनिल प्रकाश, वरूण कुमार, दिनेश पटेल, आलम हसन, गौरव कर्णवाल, जीबी बैरवा और मनोज कुमार, उत्तर प्रदेश के नागरिक उड्डयन के नोडल आरसीएस मोती राय, हवाई पट्टी प्रभारी सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, वन विभाग, पावर कारपोरेशन, लघु सिंचाई, एमडीए समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी हवाई पट्टी पर पहुंचे थे। उसके बाद उम्मीद थी कि यह मामला आगे बढ़ेगा।

देरी के प्रमुख कारण

  • जमीन अधिग्रहण में फंसा प्रस्ताव: प्रदेश सरकार को AAI को जमीन निःशुल्क उपलब्ध करानी है। इसके लिए लगभग 23 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जिसमें किसानों और प्रभावित पक्षों को मुआवजा शामिल है। जिला प्रशासन ने शासन को खर्च का अनुमान भेजा, लेकिन निर्णय लटका हुआ है। वन विभाग, विकास प्राधिकरण और तहसील स्तर पर समन्वय की कमी ने काम को और धीमा कर दिया।
  • कागजी कार्रवाई और NOC का इंतजार: मार्च 2025 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की, लेकिन DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC/NOC) न मिलने से फंड ट्रांसफर नहीं हो सका। बिना NOC के कोई कार्य आगे नहीं बढ़ सकता।
  • बजट और प्रशासनिक अड़चनें: 2019 में पूर्ण एयरपोर्ट विकसित करने का अनुमान 800 करोड़ रुपये का था, जिसे फिलहाल उपलब्ध जमीन पर सीमित रखा गया। लेकिन 11 वर्ष बाद भी फाइलें दफ्तरों में धूल खा रही हैं। सांसदों ने AAI चेयरमैन से मुलाकात की, लेकिन जमीन की उपलब्धता न होने से प्रगति शून्य है।

यह कहना है राज्यसभा सदस्य का

राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्री से मुलाकात कर मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि नई पट्टी 59-60 मीटर दूर 1800×45 मीटर आकार की बनेगी, लेकिन डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद कार्य शुरू नहीं हुआ। बाजपेयी ने कहा, “मेरठ और आसपास के पांच जिलों (सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली) के लाखों लोग लाभान्वित होंगे। छोटे प्लेन से लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और अयोध्या तक कनेक्टिविटी जरूरी है।”

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