बोर्ड बैठक में दिए थे ठेकेदार से रिकबरी के आदेश, बजाए रिकबरी के लौटा दी ठेकेदार की रकम, छह सौ सफाई कर्मियों से अफसरों का विश्वासघात
नई दिल्ली/मेरठ। मेनफोर्स के ठेकेदार से बजाए बयालिस लाख की एक बड़ी रकम की रिकबरी करने के कैंट बोर्ड के आला अफसरों ने बगैर एक पाई काटे उसकी सिक्योरिटी मनी लौटा दी। चर्चा है कि इसके लिए ठेकेदार से एक बड़ी रकम बतौर नजराना तत्कालीन बोर्ड अफसरों को मिली थी। पर्दे के पीछे खेले गए इस खेल में कैंट बोर्ड के अफसर और ठेकेदार दोनों की जेबें गरम हो गयीं, लेकिन घाटे में रह गए वो बदनसीब छह सौ सफाई कर्मचारी जिनका हक चहेते ठेकेदार को खुश करने के लिए कैंट बोर्ड अफसरों ने मार लिया।
अफसरों की कारगुजारी बनी सरकारी दस्तावेज
कैँट बोर्ड के अफसरों की उक्त कार्रगुजारी अब फाइलों में अफसरों का सरकारी दस्तावेज बन गई है और छह सौ संविदा सफाई कर्मियों के साथ अयाय को चींख चींख कर बता रही है। दरअसल में 13 जुलाई 2022 की बैठक में (सीबीआर No. 25) में बोर्ड अफसरों के निर्देश पर दर्ज है कि ठेकेदार वर्क फोर्स सॉल्यूशन ने जो संविदा सफाई कर्मचारी काम पर लगाए थे, उनकी मजदूरी नहीं दी। यहां यह भी याद दिला दें कि कैंट बोर्ड के तमाम कर्मचारी नेताओं ने अनेक बार संविदा सफाई कर्मचारियों की मेहनत का पैसा ठेकेदार से दिलाए जाने के लिए अनेकों बार सीईओ कैंट से आग्रह किया था। तमाम मर्तबा उन्हें ज्ञापन भी दिए थे, जिसके बाद जो बोर्ड बैठक 13 जुलाई 2022 को हुई थी उसमें ठेकेदार की सिक्योरिटी मनी जो बैंक में जमा थी, संविदा कर्मचारियों के 23 लाख की रकम निकाल कर संविदा कर्मचारियों को बांटने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ उल्टे एकाउंट सेक्शन के अफसरों ने खेल करते हुए ठेकेदार की सिक्योरिटी मनी ही लौटा दी। सुनने में तो यहां तक आया है कि इस खेल को तत्कालीन सीईओ की छत्रछाया में ठेकेदार को खुश करने के लिए खेला गया था।
ठेकेदार पर आरोप
कैंट बोर्ड के लिए काम करने वाले वर्क फोर्स सॉल्यूशन ठेकेदार पर आरोप है कि उसने तीन माह तक ईपीएफ व ईएसआई जमा नहीं किया। कर्मचारियों से ₹2210–₹2300 प्रति माह अवैध कटौती की जाती रही। जबकि अनुबंध की शर्त में यह साफ लिखा है कि ठेकेदार नियमित रूप से कर्मचारियों से कटौती की गई रकम को जमा करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ वो इसलिए क्योंकि तत्कालीन अफसरों को उसको पूरा संरक्षण हासिल था। इसीलिए आदेश दिए गए थे कि ठेकेदार की बैंक गारंटी में से लगभग 42 लाख की रिकबर कर कर्मचारियों को भुगतान किया जाए।”
आज तक जांच नहीं
हैरानी तो इस बात की है कि छह सौ संविदा कर्मचारियो के पेट पर लात माने वाले कैंट बोर्ड के अफसरों के खिलाफ आज तक कोई जांच के आदेश नहीं दिए गए, लेकिन सूत्रों की मानें तो कुछ कर्मचारियों ने अब इस मामले की शिकायत रक्षामंत्री और डायरेक्टर जरनल डिफैंस को भेजी है। इतना ही नहीं कुछ कर्मचारी इस मामले को लेकर कैंट बोर्ड अफसरों को हाईकोर्ट में घसीटने की तैयारी में लगे हैं। जल्दी ही इसको लेकर कैंट बोर्ड प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर होने जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि कैँट बोर्ड के तमाम घपले घोटालों की जांच का दम भरने वाली सीबीआई व सीवीसी इस घोटाले की फाइलों पर जमी गर्द को साफ करने की हिम्मत जुटा पाएगाी। गरीब कर्मचारियों की हक की कमाई मारने व चहेते ठेकेदार की जेब गरम करने के लिए यह ऐसा घेटाला है जिसमें कैंट बोर्ड के तमाम अफसरों के हाथ कहीं ना कहीं सने हुए हैं। इन कर्मचारियों को आज तक एक पाई नहीं मिल सकी है।
क्या कहता है कैंट एक्ट

यह पीसी एक्ट 13(1)(d), 7, 8, 12 तथा कैंनटोनमेंट एक्अ 2006 की धारा 340 के तहत स्पष्ट भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश है।” नियमानुसार ऐसे मामले में लिप्त सभी के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यही कि जब खेल में सभी शामिल हों तो फिर एफआईआर कराने की जहमत कौन और क्यों उठाएगा।