अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्तकी ने भारत दौरे को दुनिया भारत और अफगानिस्ता की बढ़ती हुई नजदीकियां देख रही है, लेकिन इस नजदीकि से ट्रंप खुश नहीं
नई दिल्ली। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीन खान मुत्तकी के नई दिल्ली दौरे पर सभी की नजर लगी है। अफगानिस्तान से अमेरिका को खदेड़े जाने और वहां तालिबानियों के काविज होने के बाद तमाम मुल्क अफगानिस्तान को लेकर बेहद सधे हुए कदम रख रहे थे। भारत भी इसमें शामिल रहा। लेकिन अब अफगानी विदेश मंत्री के दौरे को भारत और अफगान के बीच पुरानी दोस्ती को दोनों देशों के पुराने परंपरागत संबंधों की बहाली के रूप में देखा जा रहा है। अफगानिस्तान को लेकर भारत का रूख हमेशा ही सकारात्मक व नरम रहा है। भारत और अफगानियों का संबंध महाभारत कालीन है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे पर एशिया के तमाम देशों की नजर लगी हैं,लेकिन सबसे ज्यादा ट्रंप इस दौरे पर नजर रख रहे है। उसकी वजह इन दिनों भारत व अमेरिका के बीच कुछ दूरी और अफगानिस्तान का बरगाम ऐयरबेस अमेरिका को देने से मना कर देना।
छुपा रूस्तम है चीन
इन दोनों ही घटनाओं के विशेषज्ञ निहितार्थ निकाल रहे हैं और अमेरिका से बड़ा फैक्टर भारत और अफगानिस्तान के बीच चीन का है। एशिया में चीन बड़ी आर्थिक शक्ति है इसको नकारा नहीं जा सकता और अफगानिस्तान का भारत के करीब आना कहीं ना कहीं चीन जरूर खुद को इससे इफैक्टेड मान रहा होगा। दरअसल पूरी दुनिया चीन को साइलेंट एनिमी मानती है यानि छिपा हुआ शत्रु चीन ऐसा मुल्क है जो बगैर सामरिक व आर्थिक और भौगोलिक महत्व के कभी भी कुछ नहीं करता। चीन की दुनिया भर में कुछ ऐसी ही पहचान बन गयी है। चीनियों के लिए ना तो कोई स्थायी दुश्मन है और न ही ही दोस्त। इसकी बड़ी मिसाल अमेरिका है। भारत की आयरन लेडी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में चीन और अमेरिका की दोस्ती जगजाहिर थी, हालांकि अब दोनों के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है।