22 को यलगार का किया एलान

kabir Sharma
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निजीकरण के विरोध में आरपार, कर्मचारियों को उत्पीड़न सहन नहीं, अब व्यापक स्तर पर चलेगा आंदोलन

मेरठ। प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने अब यलगार का एलान कर दिया है। 22 जनवरी को आंदोलनकारी लखनऊ में गरजेंगे। एक बड़ी रैली का एलान किया गया है। निजीकरण एवं उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में 01 जनवरी से व्यापक आंदोलन का ऐलान व 22 जनवरी को लखनऊ में विशाल रैली होगी। इससे पहले 08 जनवरी से ड्यूटी के उपरांत बिजली आपूर्ति के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं किया जाएगा।

यह कहना है आलाेक त्रिपाठी का

संघर्ष समिति के संयोजक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि आन्दोलन के दौरान बिजली कर्मी उपभोक्ताओं और किसानों की समस्यायें प्राथमिकता पर अटेण्ड करेंगे और सरकार की बिजली बिल राहत योजना में पूर्ण सहयोग करेंगे। संघर्ष समिति की लखनऊ में हुई बैठक में प्रदेश के समस्त जनपदों के संघर्ष समिति के संयोजक और सह संयोजक उपस्थित थे। इसके साथ ही संघर्ष समिति से जुड़े हुए सभी श्रम संघों और सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में बैठक में उपस्थित थे।
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि आज की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बिजली कर्मी आगामी 08 जनवरी से 22 जनवरी तक कार्यालय समय के उपरांत बिजली आपूर्ति को छोड़कर अन्य कोई कार्य नहीं करेंगे। आगामी 22 जनवरी को लखनऊ में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं की प्रदेशव्यापी विशाल रैली होगी, जिसमें आंदोलन के अगले कार्यक्रम घोषित किए जाएगें।

एक जनवरी को काली पट्टी

इसके पूर्व आंदोलन के 400 दिन पूरे होने पर 01 जनवरी को बिजली कर्मी समस्त जनपदों और परियोजनाओें पर पूरे दिन काली पट्टी बांधेंगे और कार्यालय समय के उपरांत विरोध प्रदर्शन करेंगें। संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में बिजली कर्मी 01 जनवरी से 08 जनवरी तक प्रतिदिन ड्यूटी के दौरान काली पट्टी बांधेंगे। 08 जनवरी को सभी डिस्कॉम मुख्यालयों और परियोजनाओं पर बड़े विरोध प्रदर्शन किए जाएंगें। इसके अतिरिक्त निजीकरण के विरोध में समस्त जनपदों एंव परियोजनाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन पूर्ववत जारी रहेंगे।

बैठक में जताया रोष

लखनऊ में हुई बैठक में बिजली कर्मियों पर की गयी एवं की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में भारी रोष व्यक्त किया गया। उन्होंने बताया कि निजीकरण के विरोध के चलते पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने विगत एक वर्ष में मनमाने ढंग से अत्यंत अल्प वेतन भोगी हजारों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, कई हजार बिजली कर्मचारियों का प्रशासनिक आधार पर दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है जिसमें महिला कर्मी भी सम्मिलित हैं, फेसियल अटेंडेंस के नाम पर महीनों तक बिजली कर्मियों का वेतन रोक कर रखा गया है, कार्यालय समय के उपरांत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अलग हटने वाले 87 अधिशासी अभियंताओं को चार्ज शीट देकर उनकी पदोन्नति और अन्य देय रोक दिए गए हैं, बिजली कर्मियों को एक्ट के तहत मिल रही रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने हेतु उनके घरों पर जबरिया स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर डिस्प्रोपोर्सनेट एसेट के मामले में झूठी एफआईआर दर्ज की गई है आदि।

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