जहां तक भी नजर जाती है, बस कांवड़िया ही कांवड़िया आते हैं नजर
मेरठ। कांवड़ियों और उनके स्वागत सत्कार के लिए लगे विश्राम व भाेजन शिविराें को देखकर लगता है कि कांवड़ मार्ग मानों कांवड़ियों का एक नगर सा बस गया है। मु नबर के खतौली के मेरठ के हिस्से सकौती में कांवड़ियों के जत्थे पहुंचने शुरू होते हैं तो मु नगर की अपेक्षा मेरठ की सीमा में कांवड़ियों की सेवार्थ शिविरों का सिलसिला शुरू हो जाता है। हालांकि कांवड़िया बताते हैं कि मु नगर में भी कांवड़ियों की सेवा के लिए मु नगर में भी सेवा शिविरों की कमी नहीं, लेकिन उससे पूर्व रूड़की में सेवा शिविर काम होते हैं, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो यहां पर्याप्त सेवा शिविर होते हैं। तमाम कांवड़िया मानते हैं, लेकिन मेरठ में सेवा शिविर प्रयाप्त संख्या में हाेते हैं। सकैती से लेकर गाजियाबाद की सीमा तक कांवड़ियों के सेवा शिविरों को देखकर लगता है कि कांवड़ियों की सेवा में पूरा नगर ही बसा गया हो। कांवड़ियों के आते हुए जत्थे और उनको रोकते हुए शिविरों में सेवा करने वालों को रोकने वाले किसी नगर सरीखे लगते हैं। कांवड़ियों के जो जत्थे एनएच-58 हाईवे की ओर होकर वाया परतापुर से गुजरते हैं, तो पूरे हाईवे पर रोड की एक साइड में सड़क पर जत्थें की कतार लगी है। वहां केवल ठहरने की व्यवस्था नहीं है, बल्कि वहां भोजन आदि का समुचित इंजाम है। कुछ पर कढी चावल है कुछ पर तंदूरी व तवे की रोटी व दाल आदि का इंतजाम है। तो कुछ शिविरों में कचौरी व आलू तथा कद्दू की सब्जी व हल्वा सेवा में दिया जा रहा है। कुछ कांवड़ शिविर जो बागवत बाईपास के समीप है, वहां कांवड़ शिविरों पर महादेव की भक्ति पूर्ण गीत संगीत के कार्यक्रम हैं। ऐसा नहीं कि यहां भोजना भाेजन का इंतजाम नहीं। कावड़ियों के लिए भोजन का इंतजाम सभी शिविरों में है। परतापुर से लेकर गाजियाबाद में प्रवेश तक सभी कांवड़ शिविरों में भाजना आदि का पूरा इंतजाम किया गया है। शिविर चलाने वाले कांवड़ियों से बाकायदा मिन्नते कर उन्हें राेकते हैं, वाे भोले-भोले भोजन कर लो ठहर जाओ शिशिर में अच्छा इंतजाम है। हालांकि ज्यादातर भोले हाथ जोड़कर आगे चल देते हैं। कमोवेश ऐसी ही व्यवस्था मोदीपुरम फ्लाई ओवर से बेगमपुल की ओर जाने वाले मार्ग पर है। इस मार्ग पर गढ़ पर मेरठ की सीमा से बाहर निकलने तक जगह-जगह कांवड़ शिविर जगह-जगह मिलेंगे। हापुड़ रोड़ पर खरखौदा पहुंचने तक भी सेवा शिविर नजर आएंगे। इन्हें देखकर किसी नगर के बसने सरीखा लगता है।