नई दिल्ली। जैसी आशंका व्यक्त की जा रही थी या कहें जैसा हमेशा होता है वैसा ही आज 18 सितंबर को भी हुआ। दो दिन से झूम रहा शेयर बाजार गुरूवार की दोपहर होते होते हांफने लगा। एक दिन पहले बुधवार को शेयर मार्केट में चारों ओर हरियाली नजर आ रही थी। लेकिन गुरूवार की दोपहर तक यह हरियाली देखते ही देखते खुश्की में बदलती नजर आने लगी। मुनाफा वसूली के चक्कर में मार्केट का रंग उतर गया। हालांकि इन्वेस्टर्स को घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा आमतौर पर होता है। दो दिन झूमने के बाद अक्सर बाजार में ऐसे हालात बन जाते हैं। भारतीय शेयर बाजार गुरुवार 18 सितंबर को अपनी शुरुआती बढ़त खो बैठे और दोपहर बाद मुनाफावसूली के चलते दबाव में आ गया। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार के दौरान 447.5 अंक चढ़कर 83,141.21 के स्तर तक पहुंच गया था। लेकिन बाद में दिन के हाई से इसमें 364 अंकों की गिरावट आई और यह फिसलकर 82,777 के स्तर पर आ गया। निफ्टी भी 25,448.95 के हाई से नीचे खिसककर 25,400 अंक के नीचे चला गया। सेक्टोरल इंडेक्स में, ऑटो, मेटल, पीएसयू बैंक और रियल्टी इंडेक्स 0.4 फीसदी तक गिर गए। कोल इंडिया, बजाज फाइनेंस, ट्रेंट, ओएनजीसी और टाटा मोटर्स जैसे दिग्गज शेयरों में 2% तक की गिरावट देखने को मिली। शेयर बाजार में लगातार तीन दिनों से लगातार तेजी जारी है। निफ्टी पिछले 14 दिनों में करीब 1,000 अंक तक बढ़ चुका था। ऐसे में आज निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर कुछ मुनाफावसूली की। खासतौर से बैंकिंग और ऑटो शेयरों में बिकवाली देखने को मिली, जिससे सेंटीमेंट कमजोर हुआ।गिरावट दूसरी वजह रही भारतीय रुपया, जो आज 18 सितंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 0.3% गिरकर 88.06 के स्तप पर आ गया। फेडरल रिजर्व की ओर से 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बावजूद चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों ने अमेरिकी डॉलर को मजबूत बनाए रखा। इससे भारत जैसे इमर्जिंग बाजारों की करेंसी पर दबाव देखने को मिली। शुक्रवार की सुबह अच्छी खबर का इंतजार कीजिए। वेट एंड वांच की पाॅलिसी बेहतर होती है।