बैंक की किस्त उतार रही महिला फ्लैट आवंटन किसी अन्य को, जब सब कुछ कंप्यूटराइज्ड तो फिर कैसे हो गई चूक, बात कुछ हजम नहीं हुई] पीड़िता ने लगाई कमिश्नर के दरबार में गुहार, बोली किश्त देकर भी रह रही हूं किराए पर
New Delhi/ GZB/ मेरठ। फ्लैट की बैंकों की किश्तें ममता उतार रही हैं और प्राधिकरण ने जो फ्लैट उन्हें आवंटित किया गया था उसमें कोई अमित पुत्र मुनेश रह रहे हैं। पहली बार जब ममता को पता चला कि जो फ्लैट उन्हें आवंटित किया गया है उसमें हवन पूजन कराने के बाद कोई अन्य परिवार रह रहा है तो वह सीधे वहां पहुंच गयीं। उन्होंने देखा कि उनके फ्लैट में कोई अन्य है तो वह पुलिस के पास जा पहुंची। मामला अवैध कब्जे का जानकार थाना पुलिस बगैर देरी किए मौके पर मुआयने के लिए पहुंच गयी। पुलिस ने जब पूछताछ की तो अमित ने प्राधिकरण से मिले आवंटन पत्र को पुलिस वालों के हाथ में थमा दिया। एक ही फ्लैट का एक आवंटन पत्र ममता के हाथ में और दूसरा अमित के हाथ में। पुलिस वाले बीच से निकल गए। आवंटन पत्र के साथ ही फ्लैट पर कब्जा भी अमित का। ममता ने जब तहकीकात की तो पता चला कि जो प्राधिकरण ने जो फ्लैट उसको आवंटित किया गया था, वहीं फ्लैट अमित को भी आवंटित कर दिया। हालांकि पूरी प्रक्रिया कंप्यूटराइज्ड थी, जब सवाल किया कि जब आवंटन कंप्यूटराइज्ड था तो ऐसा कैसे हो गया तो उसको जांच की बात कहकर टाल दिया।
मामला जीडीए से जुड़ा है। आयुक्त कार्यालय पहुंची ममता पत्नी सुधीर निवासी मोदीनगर ने बताया कि 1 सितंबर 2024 को जीडीए ने उसको ईडब्लूएस-भवन संख्या ए-15-ए आवंटन किया था। इस भवन की संपूर्ण धनराशि 5, 04, 425/- रुपए बैंक लोन लेकर भुगतान कर दी और बैंक के लोग की किश्त अब वह उतार रही है, लेकिन जो फ्लेट उन्हें आवंटित किया गया था उसमें कोई अमित रह रहा है। उसने बताया कि जब प्राधिकरण अफसरों से इसकी शिकायत की गई तो उन्होंने लीपापोती शुरू कर दी और जांच के नाम पर लगातार उसको चक्कर कटाते रहे। अब वह थक हारकर प्राधिकरण अध्यक्ष/मंडलायुक्त के यहां गुहार लगाने पहुंची है। पीड़िता का यह भी आरोप है कि इस सारे फसाद की जड़ जोन-2 के संपत्ति प्रभारी हैं। उनके खिलाफ बिजिलेंस जांच की मांग करते हुए ममता का कहना है कि जिस फ्लैट की वजह बैंक किश्तें उतार रही हैं वह उन्हें ही दिया जाना चाहिए।