IIMT में पत्रकारिता दिवस, आजादी से ऐन पहले पत्रकारिता को सबसे कड़े दमघोटू काले कानूनों का सामना करना पड़ा। मगर इसी दौर को पत्रकारिता का भारतीय सुनहरा दौर भी माना जाता है। जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो के साथ पत्रकारों ने आजादी के आंदोेलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज पत्रकारिता के लिए एक आम आदमी के हाथ में भी करिश्माई एप्लिकेशंस से लैस मोबाइल है जिससे वो अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकता है। पत्रकारिता के छात्रों को झकझोरते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं अमर उजाला में डिप्टी न्यूज एडीटर रविंद्र राणा ने कहा कि आज शायद पत्रकारिता में ना ही वो धार बाकी है ना ही पत्रकारों की जबान में वो बेबाकी है जिसके दम पर सरकार को झुकाने का दम भरा करते थे। मगर इन्हीं हालात में भारत और दुनिया भर के पत्रकार खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। बुधवार को आईआईएमटी विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज विभाग में विश्व पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला समाचार पत्र में डिप्टी न्यूज एडिटर डा0 रविंद्र राणा ने कहा कि भारत में पत्रकारिता सबसे खराब हाल में जा रही है। फिर भी छात्रों को मनोबल गिराने की जरूरत नहीं है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं। उन्होंने सवालों के जवाब भी दिए। जनसंचार एवं फिल्म एंड टेलीविजन स्टडीज विभाग के डीन डाॅ सुभाष चंद्र थलेड़ी ने भी पत्रकारिता के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने छात्रों को बताया कि किसी भी खबर को लिखने से पहले उससे जुड़ी सारी सरकारी योजनाओं और बाकी तथ्यों का भी सही से अध्ययन कर लेना चाहिए। उन्होंने आईआईएमटी विश्वविद्यालय की ओर से विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ पत्रकार डा0 रविंद्र राणा को स्मृति चिन्ह के साथ सम्मानित किया। कार्यक्रम का समन्वयन निशान्त सागर और संचालन विभोर गौड़ ने किया। विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा, विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डाॅ नरेंद्र कुमार मिश्रा, डाॅ विवेक सिंह, डाॅ पृथ्वी सेंगर ने कार्यक्रम में सहयोग किया।