नाबालिग प्रबंधक मोहम्मद आमिर की गिरफ्तारी पर रोक, आर्थिक अपराध शाखा ने मुकदमा दर्ज कराया था, याची उतनी समय नाबालिग था और कोई भी लेना देना नहीं
इलाहाबाद। छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी बनाए बनाए गए नाबालिग प्रबंधक की गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। मदरसा रशीदिया इस्लामिक इत्तेफाक नगर Meerut में छात्रवृत्ति (वजीफा ) के 99,325 रुपये गबन के आरोपित नाबालिग प्रबंधक मोहम्मद आमिर की गिरफ्तारी पर रोक आदेश दिए गए हैं। साथ ही कोर्ट ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार व विपक्षी से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है ।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अचल सचदेव की खंडपीठ ने याची मोहम्मद आमिर के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है। मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 में 3 करोड़ रुपए मेरठ के 98 मदरसे व स्कूलों में छात्रवृत्ति वितरण के लिए दिए गए थे। इत्तेफाक नगर मदरसे के खाते में भेजी गई राशि 99,325 /- रुपये को नगद वितरण 334 बच्चों में कराया गया, लेकिन कुछ मदरसा /स्कूलों में पाई गई अनिमितताओं के कारण तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व लिपिक संजय त्यागी सहित अन्य मदरसा के कर्मचारियों के खिलाफ वर्ष 2019 में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी। याची के विरुद्ध आर्थिक अपराध शाखा थाना ईओडब्लू के इंस्पेक्टर नीतू राणा ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि नगद वितरण दिखाकर राशि गबन कर लिया जबकि नियमानुसार बच्चो के बैंक खातों में छात्रवृति ट्रांसफर होनी थी । याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दिया कि वर्ष 2010-11 के वितरण में याची को प्रबंधक बताया गया है, जबकि याची उतनी समय नाबालिग था और याची का कोई भी लेना देना नहीं है। बिना जांच के एफ आई आर हुई थी।
धनराशि निर्गत नहीं
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार दिसंबर 2024 में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू को अवगत भी कर दिया की मदरसा रसीदिया इस्लामीक इत्तेफाक नगर में भारत सरकार के द्वारा संचालित प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत कोई धनराशि निर्गत नहीं है और याची विद्यालय की प्रबंध समिति की सूची में किसी भी पद पर कार्यरत नहीं था, इसके बावजूद याची को पुलिस लगातार परेशान कर रही है, जिस पर हाइकोर्ट ने याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।