कैंट में छुट्टा पशुओं को दूर तक खदेड़ा, घेराबंदी कर कंपनी बाग के पिछले इलाके में किया बंद, काली पलटन मंदिर वाले रास्ते पर बोर्ड के डंडाधारियोंका सख्त पहरा
मेरठ/ कैंट बोर्ड का स्टाफ शनिवार को सुबह से ही हाथों में लाठी डंडे लेकर सड़कों पर उतर आया। मुख्य बाजारों में नजर आने वाले छुट्टा पशुओं को दूर तक खदेड़ा गया। माल रोड से कंकरखेड़ा फ्लाई ओवर तक सड़कों पर नजर आने वाले छुट्टा पशुओं को कर्मचारी घेरकर लाए और उन्हें कंपनी बाग के पिछले वाले गेट से भीतर कर दिया गया। सुबह दस बजे वहां करीब बीस छुट्टा गोवंश नजर आ रहे थे। हालांकि कर्मचारियों की घेराबंदी के बाद भी कुछ छुट्टा पशु उन पर भारी पडेÞ और घेराबंदी तोड़कर भाग गए। केवल यही नहीं बल्कि पूरे कैंट में शनिवार को छुट्टा पशुओं को लेकर बोर्ड स्टाफ की सख्ती नजर आयी। सरकुलर रोड पंजाब सेंटर वाले चौराहे से वाया रेस रोड होकर काली पलटन मंदिर वाले रास्ते पर बोर्ड के डंडाधारियोंका सख्त पहरा था।
काली पलटन से गायब
काली पलटन मंदिर छुट्टा पशुओं की कैंट में मुख्य पनागाह है। डेयरियों से निकलर घूमते हुए यहां पहुंचने वाले छुट्टा पशुओं को भरपेट चारा ही नहीं बल्कि तमाम प्रकार के व्यंजन भी खाने को मिलते हैं। काली पलटन मंदिर को छुट्टा पशुओं का अभ्यारण भी कहा जाता है, लेकिन शनिवार को यहां छुट्टा पशु नजर नहीं आए तो मंदिर आने वालों ने भी राहत की सांस ली।
सुप्रीमकोर्ट के आदेश से क्या खत्म होगी समस्या
छुट्टा पशुओं के अलावा कुत्ते सरीखे पशुओं की समस्या क्या खत्म हो सकेगी इसको लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं। सड़कों पर घूमते गाय-बैल और अन्य पशु खासतौर से कुत्ते हादसों का कारण बनते हैं और लोगों की मुसीबत बने हुए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से इस मुसीबत से निजात की उम्मीद जगी है। लोगों का यह भी मानन है कि सुप्रीमकोर्ट का आदेश आने के बाद अब कैंट अफसरों को कार्रवाई में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा भी हुआ है जब छुट्टा पशुओं की पैरवी को हिन्दू संगठन जा पहुंचे, लेकिन इस आदेश से उन्हें बड़ा सहारा मिलेगा। कैंट में छुट्टा पशुओं आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। बच्चे स्कूल जाते समय डरते हैं।