

पीएम श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था सेल्यूट, फौजियों ने जान दी लेकिन चौकी नहीं दी, हिन्दुस्तानी फौजियों के परम पराक्रम की कहानी
नई दिल्ली/जैसलमेर। पाकिस्तान की सीमा से सटा लोंगेवाल का इलाका। सामने तीन हजार पाकिस्तानी जवान और दुश्मन के पचास टेंक दूसरी ओर हिन्दुस्तान के माऋ 120 फौजी और उनके अफसर मेजर मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी। कुलदीप सिंह चंदपुरी के पास महज एक कंपनी थी जिसके बूते उन्होंने ठान लिया था पाकिस्तान के तीन हजार दुश्मनों और पचास टैंकों से निपटने की बात। उन्होंने नारा दिया था जान जाए लेकिन चौकी ना जाए और हुआ भी ठीक वैसा ही दुश्मन का लश्कर मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी ओर उनके 120 रणबांकुरों के सामने महज छटपटा कर रह गया। हालांकि इसमें कंपनी ने अपने कई बेश्मकीमती हीरे यानि फौजी जवानों को दुश्मन के हाथों गंवा दिया था। लेकिन दिन निकलते-निकलते जब हिन्दुस्तानी ऐयरफोर्स लोंगेवाल में कहर बनकर टूटी और पाकिस्तानी फौजी अपने टैंक और हथियार छोउ़कर भागने लगे तो वीरता की उस जीती जागती तस्वीर की जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिर गांधी ने पूरे देश और दुनिया को दी। उन्होंने कहा था कि हिन्दुस्तान को अपने सेना पर गर्व है।
जाबांजी की दी जाती है मिसाल
5 दिसंबर 1971 को लोंगेवाल के बार्डर पर जो जंग हुई वो केवल इंडियन आर्मी ही नहीं बल्कि दुनिया की शानदार जंग में शुमार की जाती है। “मात्र 120 जांबाज़ों ने 3000 दुश्मनों और 50 टैंकों को रोका” उस काली रात में जब पूरा देश सो रहा था, राजस्थान की रेतीली सरहद पर 120 भारतीय सैनिकों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया था।
ये हुआ था उस रात
रात के अंधेरे में पाकिस्तान ने अपना सबसे बड़ा दांव खेला था। करीब तीन हजार पाकिस्तान सैनिक और उनके साथ चीन में बने टी-59 पचास टैंकों की खेप। पाक फौज का प्लान लोंगेवाल फतेह कर सीधे जैसलमेर में घुसना वहां से जोधुपर को कब्जे में लेना और दिल्ली की ओर कूच करना लेकिन मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी ने पाक फौज के मंसूबों पर पानी फेर दिया। वो दीवार बनकर खड़े हो गए। पंजाब रेजिमेंट की अल्फा कंपनी, कमांडर मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी। उनके पास थे तीन जीप पर लगी रिकॉइललेस गन, कुछ मशीन गने और हौसला जो उस रात आसमान को छू रहा था। उनका संदेश आज भी हिन्दुस्तानी सेना के इतिहास में दर्ज है वो यह कि ना तो हम पीछे हट सकते हैं ना हटेंगे और लड़ाई जारी रहेगी मेजर चंदपुरी का रेडियो संदेश आज भी इतिहास में दर्ज है: “न हम पीछे हट सकते हैं, न हटेंगे। लड़ाई जारी रहेगी।” पूरा रात भर जवानों ने टैंकों को निशाना बनाया। पाकिस्तानी टैंकों की हेडलाइट्स ने ही उन्हें टारगेट बना दिया। सुबह होते-होते 12 टैंक जल चुके थे, बाकी रेत में फंस गए।
सुबह का करिश्मा
सूरज निकलते ही भारतीय वायुसेना के हंटर विमानों ने पाकिस्तानी सेना पर कहर बरपाया। हवा में पाकिस्तानी टैंक धुआँ बनकर उड़ते दिखे। पाकिस्तान को 37 टैंक, 500+ जवान गंवाने पड़े। भारतीय पक्ष – सिर्फ 2 शहीद और 5 घायल।
आज भी गूंजता है वो नारा
“ये चौकी नहीं छोड़नी… ये हिंदुस्तान की आन-बान-शान है!” परमवीर चक्र विजेता मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी (रिटायर्ड ब्रिगेडियर) की बहादुरी को पूरा देश सलाम करता है।