जांच पर क्लीनचिट भारी

kabir Sharma
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डीएन यादव की जांच पर क्लीनचिट भारी, करोड़ों के घोटाले में अफसरों को राहत पर सवाल, डीएन यादव की रिपोर्ट से उजागर हुआ था घोटाला

मेरठ/कैंट बोर्ड के डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के करोड़ों रुपए के घोटाले में हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही मामले की जांच कर रही ऐजेंसी सीबीआई ने आरोपियों को क्लीनचिट दे डाली। याद रहे कि इस मामले की जांच को डीजी डिफैंस के निर्देश पर मेरठ छावनी पहुंचे डायरेक्टर डीएन यादव ने फाइलों में गंभीर गड़बड़ियां मिलने पर सेनेट्री सेक्शन हेड बीके त्यागी व इंस्पेक्टर योगेश यादव व अभिषेक गंगवार को नोटिस थमा दिए थे। इससे पहले जो डोर टू डोर कलेक्शन का जो ठेका आगरा की अग्रवाल फर्म को दिया गया था, उसके रेट को 15.60 से 18.57 लेकर भी तत्कालीन बोर्ड सदस्य एडवोकेट विपिन सोढ़ी ने आपत्ति की थी। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट चला गया। साथ ही रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर सीबीआई ने भी जांच शुरू की थी। दरअसल मंत्रालय ने ही आग्रह किया था कि पूर्व में चल रही जांचों के साथ डोर टू डोर कूडा कलेक्शन की भी जांच शामिल कर ली जाए, जांच तो शामिल की गई लेकिन डायरेक्टर डिफैंस डीएन यादव को क्लीनचिट देकर एक सिरे से ही खारिज कर दिया है। 23 जनवरी 2024 पेश की गई जांच रिपोर्ट में करोड़ों रुपए की जिस घोटाले में कंप्यूटर सील किए गए सेनेट्री के तीन अफसरों को नोटिस थमाए गए, उसमें कोई अनियमितता नहीं लिखकर क्लीनचिट दे डाली।

विपिन सोढी गए थे हाईकोर्ट

इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गए कैंट बोर्ड के तत्कालीन सदस्य एडवोकेट विपिन सोढ़ी ने डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के रेट रिवाइज कर 15.60 लाख से 18.57 लाख किए जाने गलत बताते हुए एफआईआर की मांग याचिका में की है।
यह कहना है विधि विशेषज्ञों का
सीनियर एडवोकेट अनिल बक्शी ने बताया कि हाईकोर्ट ही नहीं किसी भी अदालत में विचाराधीन मामले में किसी भी पुलिस या सीबीआई सरीखी कोई जांच यदि क्लीनचिट देती है तो उसके कोई मायने नहीं। अंतिम निणर्य अदालत का होता है। उन्होंने आरूषी हत्याकांड का उदाहरण देते हुए बताया कि जब मामला अदालत में चली रहा हो तो जांच ऐजेंसी को मेरिट पर निष्कर्ष का अधिकार नहीं है।

डायरेक्टर ने पकड़ी खामियां

जांच के लिए मेरठ छावनी पहुंचे डायरेक्टर डीएन यादव की जांच रिपोर्ट में भारी खामियों का उल्लेख है,फिर भी क्लीनिचट में उनको लेकर एक शब्द नहीं लिखा। बोर्ड के रिकार्ड में भी तमाम सबूतों की बात कही जा रही है जो क्लीनचिट पर सवाल उठा रहे हैं।

डायरेक्टर मध्य कमान की जांच के बिंदू

डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के कथित घोटाले की जांच में जो तथ्य इंगित किए गए हैं उनमें चार नोटशीटें जुलाई-अगस्त 2021 में टाइप, लेकिन तिथियां मार्च-अप्रैल 2021 बैकडेटेड (इसी के चलते आज तक कंप्यूटर सील हैं), डिजिटली मेटाडेटा से गड़बड़ी सिद्ध, कई कंप्यूटर व हार्डडिस्क सील, ड्यूप्लिकेट और आॅरिजनल बिल में भारी अंतर, एक ही इनवॉइस नंबर पर अलग-अलग राशि के बिल, ड्यूप्लिकेट में रकम में लाखों का अंतर, एमएसडब्लू नियम 2016 का उल्लंघन करते हुए काम शुरू होने से चार माह पहले ही बिल। क्लीनचिट देने में रेट रिवाइज को गलती नहीं माना है।

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