
विभागीय पेंशनर को किस बात की सजा, बस यही ना कि जबरन मीटर लगाने से किया इंकार, बड़ा सवाल किस के आदेश पर काटा कनेक्शन
नई दिल्ली/मुरादाबाद। बिजली विभाग की मनमानी का एक चौंकाने वाला मामला जिगर कॉलोनी, सिविल लाइन से सामने आया है, जहाँ विभागीय पेंशनर के परिसर का वैध विभागीय संयोजन केवल इसलिए काट दिया गया क्योंकि पेंशनर ने जबरन मीटर लगाए जाने से इंकार किया। सबसे हैरानी की बात—विभागीय कनेक्शन पर मीटर न होने के कारण बिजली काटने का कोई आदेश, शासनादेश या दिशा-निर्देश मौजूद ही नहीं है, फिर भी कार्रवाई की गई।इस पेंशनर के पड़ोसियों के अनुसार पेंशनर एक दिन पहले ही ऑपरेशन के बाद अस्पताल से घर लौटे थे, उसी बीच विभागीय कर्मचारियों ने जबरन कनेक्शन विच्छेद कर दिया। इस क्रूर कार्रवाई से साफ झलकता है कि विभागीय तंत्र संवेदनशीलता और नियम दोनों से कोसों दूर है।
चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस पेंशनर का कनेक्शन किस के आदेश पर काटा गया है। वहीं दूसरी ओर पीवीवीएनएल एमडी व दूसरे सीनियर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। बताया गया है कि न कोई एमडी का आदेश, न ऊर्जा विभाग का परिपत्र, न कोई लॉगबुक निर्देश फिर भी बिजली काटने की कार्रवाई की गई, जैसे विभाग में कानून नहीं, बल्कि व्यक्तिगत तानाशाही चल रही हो। लोगों का आरोप है कि प्रबन्ध निदेशक और अध्यक्ष स्वयं इन आदेशों को लागू कराने में रुचि नहीं रखते, लेकिन फील्ड कर्मचारी “उपलब्धि” दिखाने के लिए बीमार, बुजुर्ग और पेंशनरों तक को परेशान करने से बाज नहीं आ रहे।
तीखी प्रतिक्रिया
इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने इस मामले पर संगठन से अपील करते हुए कहा:“हर संगठन अपने सदस्यों को निर्देश दे कि न मीटर लगाएंगे, न लगने देंगे। जब कर्मचारी ही मीटर नहीं लगाएंगे, तो विभाग बाहरी एजेंसी भेजेगा—जिसका विरोध करना आसान होगा।” उन्होंने कहा कि विभागीय संयोजन घरेलू या पेंशनरों को दिया जाने वाला वैध कनेक्शन होता है, इस पर मीटर लगाने या न लगाने को लेकर कोई दंडात्मक प्रावधान नहीं, मनमाने तरीके से बिजली काटना भारतीय बिजली अधिनियम–2003 की धारा 56 का स्पष्ट उल्लंघन, बीमार व बुजुर्ग व्यक्ति की बिजली काटना मानवीय संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है और यह स्वीकार्य नहीं है।