CBI जांचों के बाद भी नहीं सुधरा रवैया

kabir Sharma
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जांच के बावजूद नहीं थम रहा खेल, डोर टू डोर ठेके को लेकर गंभीर आरोप, श्रीराम कंपनी के पूर्व सुपरवाइजर का आरोपों का बम

मेरठ। मेरठ छावनी परिषद (कैंट बोर्ड) लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में रही है। कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर सीबीआई की जांच चल रही है और गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन के इंस्पेक्टर योगेश यादव को सीबीआई ने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था। लंबे वक्त तक सलाखों के पीछे रहने के बाद इन दिनों वह जमानत पर हैं। नवंबर 2023 में सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम ने छावनी परिषद कार्यालय पर छापेमारी की। सफाई विभाग से जुड़े मामलों में रिश्वतखोरी और अवैध निर्माण के आरोपों की जांच हुई। सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। सफाई अधीक्षक वीके त्यागी और अन्य कर्मचारियों से लंबी पूछताछ हुई। कंप्यूटर हार्ड डिस्क और महत्वपूर्ण फाइलें जब्त की गईं। इससे पूर्व क्टूबर 2022 में सीबीआई ने संविदा कर्मचारियों और सुपरवाइजरों की भर्ती में अनियमितताओं पर छापा मारा। सेनेटरी सुपरवाइजर संजय को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया और बाद में जेल भेजा गया। आरोप था कि नियुक्तियों में मोटी रकम का लेन-देन हुआ। और भी पूर्व के मामलों की यदि बात करें तो 2016 से लेकर 2022 तक कई बार सीबीआई ने रिश्वतखोरी, अवैध निर्माण और टेंडर अनियमितताओं पर कार्रवाई की। कई कर्मचारी जेल जा चुके हैं। इन दिनों बोर्ड के डोर टू डोर ठेके को चलाने वाली आगरा की श्रीराम कंपनी के सुपरवाइजर सचिन जिन्हें रविन्द्रपुरी जलापूर्ति व सफाई की समुचित व्यवस्था ना होने के चलते हटा दिया गया था उन्होंने सोशल मीडिया पर आरोपों का बम फोड़ा है। उनके आरोपों में कितनी सच्चाई है यह ताे कैंट बोर्ड के वो अफसर बता सकते हैं जिन पर उन्होने आरोप लगाए हैं, लेकिन सुपरवाइजर बदले जाने के बाद भी सफाई की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। पूर्व में टोल के ठेके को लेकर भी आरोप लग चुके हैं। इन दिनों कैंट बोर्ड की रोड साइडों पर अवैध कब्जे कराने का मामला गरमाया हुआ है। व्हाइट हाउस के सामने सरकुलर रोड पर रोड साइड पर रेवेन्यू सेक्शन के स्टाफ पर मोटी रकम लेकर कब्जा करवा देने के आरोप लग रहे हैं। हैरानी तो इस बात की है कि जहां पर इस कब्जे की बात हो रही है वहीं पर फौजी अफसरों की कालोनी मल्होत्रा एन्कलेव है। जहां कब्जा हुआ है वहां रात के वक्त असामाजिक तत्व आते हैं जो मल्होत्रा एन्कलेव के फौजी अफसरों की सुरक्षा के लिए कभी भी खतरा साबित हो सकते हैं।

शिकंजे के बावजूद गड़बड़ियां

सीबीआई की इन कार्रवाइयों के बावजूद छावनी क्षेत्र में अवैध निर्माण खासतौर से 22 बी का मामला खासा चर्चा में रहा, जिसकी जांच में डीजी डिफेंस के निर्देश पर डायरेक्ट डीएन यादव बोर्ड आए थे। इसके अलावा डेयरी संचालन और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शिकायतें मिलती रहती हैं। 2025 में भी रक्षा संपदा विभाग की जांचों में अवैध कब्जे और निर्माण सामने आए हैं। महकमे में चर्चा आम हे कि आज भी कुछ अधिकारी अभी भी पुराने तरीके से काम कर रहे हैं। बोर्ड मे इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा डोर टू डोर ठेके को लेकर है। श्रीराम कंपनी के जिस सुपरवाइजर सचिन को हटा दिया गया है, उसके यदि आरोपों की बात की जाए तो कैंट बोर्ड के कुछ बड़े अफसरों की बुनियाद हिलाने को वो आरोप काफी हैं। वहीं दूसरी ओर बोर्ड के ठेकेदार ने भले ही सुपरवाइजर सचिन को हटाकर दूसरे को जिम्मेदारी दे दी हो, लेकिन छावनी के पांच वार्ड में सफाई इंतजाम में कोई सुधार हुआ हो ऐसा लगता नहीं।

पुराने दाग धोने का प्रयास

छावनी परिषद के मौजूदा सीईओ जाकिर हुसैन के नेतृत्व में सफाई और विकास कार्यों पर फोकस है, लेकिन भ्रष्टाचार के पुराने दाग मिटने में समय लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सख्त निगरानी और पारदर्शी प्रक्रिया से ही यह समस्या जड़ से खत्म हो सकती है। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई का प्रतीक है, जहां जांचें होती हैं, लेकिन सिस्टम में सुधार की जरूरत बनी हुई है।

मेरठ छावनी परिषद में CBI जांच: क्या हुआ विस्तार?

कैंट बोर्ड में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर सीबीआई की जांचें समय-समय पर हुई हैं, लेकिन हाल के वर्षों (2024-2025) में इसकी कोई नई विस्तारित कार्रवाई या बड़ा अपडेट सामने नहीं आया है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सीबीआई की प्रमुख कार्रवाइयां 2022 और 2023 में हुई थीं, जिनमें रिश्वतखोरी, अवैध निर्माण और भर्ती घोटालों पर फोकस था।

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जांचों का विस्तृत इतिहास

  • नवंबर 2023 की बड़ी कार्रवाई: CBI की 15 सदस्यीय टीम ने छावनी परिषद कार्यालय पर छापा मारा। सफाई विभाग से जुड़े मामलों में रिश्वत और अवैध निर्माण के आरोपों की जांच हुई। सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। सफाई अधीक्षक वीके त्यागी, अभिषेक गंगवार समेत कई कर्मचारियों से पूछताछ हुई। कंप्यूटर हार्ड डिस्क, फाइलें और दस्तावेज जब्त किए गए। यह कार्रवाई देर रात तक चली।
  • अक्टूबर 2022 का भर्ती घोटाला: संविदा कर्मचारियों और सुपरवाइजरों की भर्ती में अनियमितताओं पर CBI ने छापेमारी की। सेनेटरी सुपरवाइजर संजय को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया और जेल भेजा गया। आरोप था कि नियुक्तियों में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ। CEO उस समय घर से फरार बताए गए थे।
  • पुराने मामले: 2016 से 2022 तक CBI ने कई बार रिश्वतखोरी, टेंडर गड़बड़ी और अवैध कब्जों पर कार्रवाई की। कई कर्मचारी गिरफ्तार हुए और जेल गए।

कोई नया विस्तार नहीं

वर्तमान में (दिसंबर 2025 तक) मेरठ छावनी परिषद से जुड़ी सीबीआई की कोई नई जांच, छापेमारी या चार्जशीट की खबर नहीं है। हालांकि डेयरी संचालन की शिकायतें अभी भी आती रहती हैं, लेकिन CBI स्तर पर कोई ताजा विस्तार नहीं हुआ। मौजूदा सीईओ जाकिर हुसैन के कार्यकाल में विकास और सफाई पर जोर है, पर पुराने आरोपों का असर बरकरार है।भ्रष्टाचार रोकने के लिए पारदर्शी टेंडर और सख्त मॉनिटरिंग की जरूरत विशेषज्ञ बताते हैं। यदि कोई नई शिकायत दर्ज होती है, तो जांच आगे बढ़ सकती है, लेकिन फिलहाल पुरानी कार्रवाइयों पर ही मामला ठहरा हुआ प्रतीत होता है।

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