नेशनल टीवी की निर्लजता

kabir Sharma
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शर्मसार हरकत की निंदा के बजाए बचाव, बराबरी के दर्जे के नाम पर घटिया पत्रकारिता, दुनिया भर में नेशनल मीडिया की थू-थू

नई दिल्ली। पटना के एक कार्यक्रम में युवती का नकाब नोंचने के मामले में बजाए सवाल पूछने के नेशनल टीवी के एंकर व एकराएं निर्लजता से सत्ताधारियां के सुर से सुर मिलाते नजर आए। बराबरी के दर्जे के नाम पर उस हरकत को सही ठहराने पर तुल गए जो किसी सभ्य समाज में स्वीकार नहीं की जा सकती, मानसिक रूप से बीमार ही कोई कर सकता है, लेकिन जिस तरह से नेशनल टीवी के एंकर व एंकराएं बचाव में तुले हैं उससे लगता है कि वो भी मानसिक रूप से बीमार हैं। इनकी हालत देखकर ऐसा लगता है कि ये भी NDA का एक घटक दल हैं। इस घटना की बुरी मज्जत करने वाले पूछ रहे हैं कि बराबरी का मतलब किसी भी बच्ची की शर्म हया को कोई भी मानसिक बीमार नोंच लेगा।

ये हुआ था

15 दिसंबर 2025 को पटना में आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटते वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक मुस्लिम महिला डॉक्टर (नुसरत परवीन) के नकाब को देखकर पूछा, “ये क्या है?” फिर खुद हाथ बढ़ाकर नकाब नीचे खींच दिया। वीडियो वायरल हो गया, और विपक्ष (RJD, कांग्रेस, SP, AIMIM) ने इसे महिला सम्मान का अपमान बताकर इस्तीफे की मांग की।

विपक्ष का बड़ा हमला

  • महबूबा मुफ्ती: “नीतीश जी को पद छोड़ना चाहिए!”
  • उमर अब्दुल्ला: “नीतीश का असली चेहरा सामने आ गया!”
  • जावेद अख्तर: “बिना शर्त माफी मांगो!”
  • RJD: “मानसिक स्थिति ठीक नहीं?”

महिला डॉक्टर इतनी आहत हुईं कि बिहार छोड़कर कोलकाता चली गईं और नौकरी जॉइन नहीं कर रही हैं। कोई बच्ची बिहार को रहने या नौकरी करने लायक ही ना समझे तो समझ लीजिए की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बेटियों को NDA के नेताओं से बचाने के लिए दिया गया था। इस बात में काफी सच्चाई इसलिए है क्योंकि BJP समेत NDA के घटक दलो के नेताओं की ऐसी हरकतों की खबरें आए दिन आती रहती हैं।

लेकिन गोदी मीडिया और NDA समर्थकों का बचाव देखिए!

  • केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह: “चेहरा दिखाने में डर कैसा? नौकरी लेनी है तो चेहरा दिखाओ!”
  • यूपी मंत्री संजय निषाद: “सिर्फ नकाब छुआ है, कहीं और छूते तो क्या होता?” (बाद में सफाई दी कि मजाक था)
  • कुछ चैनल्स: इसे “पितृ भाव” या “बेटी जैसा स्नेह” बताकर बचाव किया। जेडीयू ने कहा, “नीतीश ने बेटी समझकर किया।”
  • गोदी मीडिया: “हिजाब हटाना जरूरी था, वरना पहचान कैसे होती?” — वही चैनल्स जो विपक्ष के छोटे-छोटे मुद्दे पर 24×7 दिखाते हैं, यहां चुप्पी साधकर या बचाव में लगे रहे!

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