किसने बेची सदर की यह रोड

kabir Sharma
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आर्मी अफसरों की कालोनी को हो सकता है खतरा, देर रात तक रहता है पीने पिलाने वालों का जमघट, गाली गलौच हंगामा कानून व्यवस्था को खतरा

मेरठ। छावनी के सरकुलर रोड इलाके में नैन्सी होटल के समीप व व्हाइट हाउस के सामने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे कर बनाए गए होटल ढावे यहां से चंद कदम की दूरी पर स्थित आर्मी अफसर फैमली कालोनी मल्होत्रा एन्क्लेव की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा है। यूं तो यह ढावे होटल दिन निकलते ही एक्टिव मोड में आ जाते हैं, लेकिन यहां सबसे ज्यादा भीड़ शाम ढलने के बाद उस वक्त शुरू होती है जब पीने पिलाने के शौकीन यहां जमा होते हैं और देर रात तक इनकी महफिल सजती है।

ओपन स्ट्रीट बार से क्यों बेखर आबकारी व पुलिस

इस महफिल को देखकर लगता है कि इस इलाके में ओपन स्ट्रीट बार की परमिशन अफसरों ने दी है। यदि नहीं दी है तो सदर पुलिस व आबकारी अधिकारी इससे अंजान क्यों हैं। कई बार तो यहां देर रात दो से तीन बजे तक पीने पिलाने वाले देखे जा सकते हैं। यूं कहने को भले ही ढावानुमा यह होटल रात करीब 12 बजे तक बंद हो जाता हो, लेकिन सरूर के शौकीन से यह पूरा इलाका जरूर गुलजार रहता है। मल्होत्रा एन्क्लेव की यदि बात की जाए तो यहां तमाम बड़े फौजी अफसरों के परिवार रहते हैं। लेकिन फौजी कालोनी के पास बना यह होटल अब खतरे की वजह बन सकता है।

पीने पिलाने की सुविधा

इस ढावे में आने वालों के लिए पीने पिलाने की भी सुविधा का इंतजाम किया गया है। नाम ना छापे जाने की शर्त पर सरकुलर रोड के एक कार गैराज में काम करने वाले मिस्त्री ने बताया कि होटल के पीछे मकान के कमरों में पीने पिलाने के शौकीनों के लिए तमाम सुविधाएं मुहैय्या करायी गयी हैं। यहां तक सुनने में आया है कि जिनके पास शराब खत्म हो जाती है ऑन डिमांड उनके लिए शराब की भी व्यवस्था होटल संचालक की ओर से करा दी जाती है। यह बात अलग है कि इसके लिए प्रिंट रेट से कई बार डबल वसूले जाते हैं।

भारत सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा

सरकुलर रोड स्थित जिस जगह का यहां उल्लेख किया जा रहा है, वह जगह भारत सरकार की है। वहां पर यह ढावानुमा होटल किस की अनुमति ने बनाया गया है। या यह मान लिया जाए कि अफसरों की मिलीभगत से यहां ढावा गुलजार रहता है। आसपास के लोगों ने बताया कि नैन्सी के समीप पहले यहां कुछ कच्चे कमरे हुआ करते थे। बाद में वो पक्के मकान में तब्दील हो गए। और फिर देखते ही देखते इन मकानों के पीछे पहले छोटे-छोटे खोखे रखे गए जो बाद में बड़े होटल बन गए हैं। जहां यह होटल बनाया गया है वो भारत सरकार की जमीन है। मसलन यहां होटल अवैध ही नहीं बल्कि भारत सरकार की जमीन पर कब्जा कर बनाया गया है।

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होटल ही नहीं बाकि भी अवैध

सरकुलर रोड की जिस जगह की बात की जा रही है वहां सरकारी जमीन पर कब्जा कर केवल अवैध होटल ही नहीं बनाया गया है बल्कि फल व सब्जी की दुकाने ंभी बना दी गयी हैं। फल सब्जी की ये दुकानें तो सरकारी जमीन पर कब्जे से और आगे बढ़कर मेन रोड तक पहुंच जाती हैं। जिनकी वजह से रोड पर कई बार जाम भी लग जाता है। आमतौर पर यहां खरीदारी करने वाले गाड़ियों से पहुंचते हैं। ये लोग रोड पर ही गाड़ी लगा देते हैं और फिर खरीदारी करते हैं, जिसकी वजह से जाम लगा रहता है।

वजह क्या कार्रवाई के बजाए बांध लिए हाथ

ये अवैध होटल व दूसरी दुकानें पुलिस व अफसरों को नजर नहीं आते। या फिर इन से सेटिंग गेटिंग कर यहां सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है। वर्ना क्या वजह है कि ना तो पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और ना ही संबंधित अधिकारी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे व अवैध निर्माण का संज्ञान लेने को तैयार है। सरकारी जमीन पर अवैध होटल व दूसरी दुकानों के पीछे भले ही कोई भी क्यों ना हो, लेकिन ये कभी भी आर्मी अफसरों की फैमली मल्होत्रा एन्क्लेव की सुक्षा के लिए जोखिम साबित हो सकते हैं।

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