दोबारा नाले में पहुंच जाता है गंदगी, जगह-जगह सिल्ट के पहाड़, लोगों का जीना हुआ दुश्वार, मंत्री की फटकार के बाद भी नहीं सुधरे
मेरठ। शहर में नालों की सफाई को लेकर नगर निगम की लापरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है। स्थानीय निवासियों की शिकायत है कि नालों की सफाई तो की जाती है, लेकिन निकाले गए कचरे और सिल्ट को सड़क किनारे छोड़ दिया जाता है, जो बारिश या हवा के झोंके से दोबारा नाले में पहुंच जाता है। इससे न केवल सफाई अभियान बेकार साबित हो रहा है, बल्कि दुर्गंध और जलभराव की समस्या भी बढ़ रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट व भाजपा समर्थक सुशील रस्तौगी ने शहर के नालों की सफाई के तरीके पर तमाम सवाल उठाए हैं।
नहीं बदल अफसरों का रवैया
प्रभारी मंत्री की लगातार नाराज और फटकार तथा प्रदेश के प्रमुख सचिव नगर विकास की फटकार के बाद भी नाला सफाई के मामले में नगर निगम के अफसरों का रवैया बदलता नजर नहीं आ रहा है। नाला सफाई के नाम पर नगर निगम नालों का कूडा कचरा निकलतवा तो है, लेकिन नाले के किनारे सड़क पर लगे सिल्ट के पहाड़ों को हटवाना शायद निगम के अफसर भूल जाते हैं। कई कई दिन तक यह सड़क पर पड़े इस कचरे के पहाड़ से दुर्गंध उठती है जो आसपास के इलाके को बीमार करने का कारती है। वहीं दूसरी ओर जो भी कूड़ा कचरा निकाला जाता है वह बाद में बहकर नाले में पहंच जाता है। इससे नाला सफाई के कोई मायने नहीं रह जाते।
फाइलों में बढ़ रही है नाला सफाई के बिलों का भीड़
फाइलों में नाला सफाई की रिपोर्ट लग जाती है और नाला सफाइ के नाम पर भारी भरकम बिल भी फाइलों में लग जाते हैं। भारी-भरकम पेमेंट भी हो जाती हैं पेमेंट के नाम पर बाबू को उसका कमीशन भी मिल जाता है और नाले की समस्या की जस की तस रहती है। मसलन बारिश में आसपास के इलाके में पानी का भराव। ऐसा नहीं कि सड़कों पर लगे कूड़े के पहाड़ों को लेकर नगरायुक्त अनभिज्ञ हो। कूडे के पहाड़ और सिल्ट के ढेरों को जब तक हटाया नहीं जाता तब तक नाला सफाई बेमाने हैं। नामा सफाई के नाम पर केवल निगम की फाइलों में पेमेंट हुए बिलों की संख्या ही बढ़ती जा रही है। इससे शहर के लोगो ंको खासकर जहां नाले की सफाई के दावे अफसर कर रहे हैं, उन्हें तो कोई राहत मिलती महसूस नहीं हो रही है।
शहर भर में नालों की सफाई
नगर निगम इन दिनों पूरे महानगर में नालों की सफाई का दावा कर रहा है। कुछ नालों पर काम भी चल रहा है, लेकिन सफाई के नाम पर केवल और केवल सड़क किराने सिल्ट के ढेर ही लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ नहीं हो रहा है।इससे न केवल सफाई अभियान बेकार साबित हो रहा है, बल्कि दुर्गंध और जलभराव की समस्या भी बढ़ रही है।
शहर के तमाम इलाकों जैसे मोहनपुरी, गढ़ रोड, मुंडाली और पटेल नगर में नाले कचरे से अटे पड़े हैं। जहां सफाई अभियान का दावा किया जा रहा है, वहां के आसपास के लोगों का कहना है कि सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। निकाला गया कचरा सड़क पर ही पड़ा रहता है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है और बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। व्यापारी नेता विपुल सिंहल और बेगमपुल व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष पुनीत शर्मा ने बताया कि ‘सफाई कर्मचारी नाला साफ करते हैं, लेकिन कचरा उठाकर ले जाने की जहमत नहीं उठाते। थोड़ी बारिश होते ही सब वापस नाले में पहुंच जाता है।
प्रमुख सचिव ने लगायी थी फटकार
नगर निगम का दावा है कि शहर में 315 नालों की सफाई का काम चल रहा है, जिसमें जेसीबी और पोक्लेन मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन 2025 में भी प्रमुख सचिव नगर विकास के निरीक्षण में नालों में सिल्ट अटी मिली थी, जिस पर अधिकारियों को फटकार लगाई गई थी। हाल के दिनों में भी शिकायतें जारी हैं कि अभियान सिर्फ कागजों तक सीमित है। नालों में जमा कचरा और दुर्गंध से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। मानसून से पहले सफाई न होने से जलभराव की समस्या हर साल दोहराई जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कचरे को तुरंत डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाना जरूरी है, लेकिन संसाधनों की कमी और निगम की उदासीनता इसे बाधित कर रही है। निवासी नगर निगम से मांग कर रहे हैं कि सफाई अभियान को प्रभावी बनाया जाए और निकाले गए कचरे को तत्काल हटाने की व्यवस्था की जाए। इस मुद्दे पर नगर निगम आयुक्त से जवाब मांगा गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्रभारी मंत्री भी नाराज
शहर के नालों की सफाई की स्थिति से प्रभारी मंत्री भी खासे नाराज हैं। उन्होंने जब-जब शहर के नालों की सफाई व्यस्था का निरीक्षण किया है तब तब सख्त लहजे में नाराजगी का इजहार किया है। बेहद कड़े लहजे में निगम के अफसरों से नाला सफाई को लेकर नाराजगी जतायी है। लेकिन उसके बाद भी शहर के नालों की सफाई व्यवस्था अभी तो दुरूस्त होती नजर नहीं आ रही है। हालांकि निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमर सिंह अवाना बताते हैं कि बड़े स्तर पर काम चल रहा है। नालों के किनारे निकाली गई सिल्ट हटाने में देरी की वजह इस मौसम में सिल्ट देर से सूखती है और जब तक सिल्ट सूख नहीं जाती तब तक उसको हटाया नहीं जा सकता।
नालों की ऐसी सफाई से तौबा
शहर के विभिन्न इलाकों में नाले कचरे से अटे पड़े हैं। निवासियों का कहना है कि सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। निकाला गया कचरा सड़क पर ही पड़ा रहता है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है और बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “सफाई कर्मचारी नाला साफ करते हैं, लेकिन कचरा उठाकर ले जाने की जहमत नहीं उठाते। थोड़ी बारिश होते ही सब वापस नाले में।” नगर निगम का दावा है कि शहर में 315 नालों की सफाई का काम चल रहा है, जिसमें जेसीबी और पोक्लेन मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन 2025 में भी प्रमुख सचिव नगर विकास के निरीक्षण में नालों में सिल्ट अटी मिली थी, जिस पर अधिकारियों को फटकार लगाई गई थी। हाल के दिनों में भी शिकायतें जारी हैं कि अभियान सिर्फ कागजों तक सीमित है।