जिस्म नहीं रूह भी कांप गई थी मर्डर की तरीके से

जिस्म नहीं रूह भी कांप गई थी मर्डर की तरीके से
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जिस्म नहीं रूह भी कांप गई थी मर्डर की तरीके से, कोतवाली के गुजरी बाजार सराय बहलीम के समीप 22 मई 2008 की रात को अंजाम दी गयी वारदात का वाक्या जिसने भी सुना उसका जिस्म नहीं रूह भी कांप गयी। पूरा शहर सकते में था। जितने निर्मम तरीके से सुनील ढाका, पुनीत गिरी व सुधीर उज्जवल की हत्या की गई थे उसकी गूंज मेरठ लखनऊ ही नहीं देश भर में सुनाई दी गयी थी।  23 मई 2008 को मेरठ कॉलेज के छात्र सुनील ढाका (27) निवासी जागृति विहार, पुनीत गिरि (22) निवासी परीक्षितगढ़ रोड और सुधीर उज्जवल (23) निवासी गांव सिरसली, बागपत के शव बागपत के बालैनी में नदी किनारे पड़े मिले। तीनों को गोलियां मारने के बाद गला काटकर मारा गया था। पुलिस की जांच में सामने आया कि 22 मई की रात तीनों का गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी के साथ झगड़ा हुआ था।

कांप गई रूह

पुलिस के आरोप पत्र के मुताबिक इजलाल ने अपने भाइयों के साथ मिलकर तीनों युवकों को पकड़ लिया। तीनों की पहले पाइपों से बुरी तरह पिटाई की। इसके बाद तीनों को गोलियां मारीं। इजलाल के दिल में तीनों युवकों के लिए नफरत इस कदर घर कर गई थी कि उसके एक इशारे पर उसके भाइयों ने पशु काटने के छुरे से तीनों युवकों के गले काट डाले। आंखे तक नोच ली गईं, कई अंग काटे गए, हर तरफ खून बिखरा था। इसके बाद समरर्सिबल चलाकर शवों को पानी से धोकर कार की डिग्गी में रखवाया। इसके बाद तीनों शव नदी किनारे ले जाकर गाड़ी सहित छोड़ आए।

दोस्ती का वास्ता देकर दगा
तीन दोस्तों को दोस्ती का वास्ता देकर बुलाया और बड़ी ही बेरहमी से तीनों को बारी बारी से क्रूरता से माैत के घाट उतार दिया।  पुलिस जांच में हत्या की वजह डिफैंस के गंगानगर की शीबा सिरोही थी जिससे मरने वालों और मारने वालों की गहरी दोस्ती थी। इसके अलावा इजलाल की जिस युवती से दोस्ती थी उसे तीनों युवकों का इजलाल से मिलना जुलना पसंद नहीं था। इसे लेकर कई बार इजलाल की तीनों युवकों से कहासुनी हो चुकी थी। इन तीन युवकों की हत्या कोतवाली मेरठ के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल के घर पर हुई थी। पुलिस के अनुसार हाजी इजलाल ने एक युवती के चक्कर में हुए विवाद के चलते अपने साथियों के साथ इस तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था।  हाजी इजलाल के घर में जिस जगह पर इस वारदात को अंजाम दिया गया, वहां सड़क से लेकर चबूतरे तक खून ही खून फैला था। पुलिस मौके पर पहुंचती इससे पहले ही खून साफ कर दिया गया।

सालों तैनात रही थी पीएसी

तीनों की हत्या का सच सामने आने के बाद  पुलिस ने मुख्य आरोपी इजलाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। यहां तक कई माह तक कोतवाली के गुदड़ी बाजार से लेकर शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस अलर्ट रही थी। इस हत्याकांड को लेकर मेरठ में चौतरफा हाहाकार मचा हुआ था। छात्र और गैर-राजनीतिक संगठनों ने ऐलान किया कि वे कातिलों को नहीं छोड़ेंगे। हत्यारोपी हाजी इजलाल मीट व्यापारी होने के साथ रसूख वाला था। उसने पुलिस से साठगांठ करने का भी खूब प्रयास किया।  हाजी इजलाल, उसके भाई अफजाल व परवेज समेत दस आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। कुल 14 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल हुई। इनमें हाजी इजलाल कुरैशी, परवेज और अफजाल पुत्रगण स्वर्गीय इकबाल, मेहराज पुत्र मेहताब, इसरार पुत्र रशीद, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र स्वर्गीय उस्मान और बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श, शम्मी और माजिद के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करते हुए हत्याकांड को साबित करने के लिए कुल 37 गवाहों के नाम दिए। युवती को इस मामले में इजलाल को घटना के लिए उकसाने का आरोपी बनाया गया। हालांकि युवती बाद में कोर्ट से स्टे ले आई थी।

फांसी तक की सजा का प्रावधान
इस मामले में पहले बागपत में रिपोर्ट दर्ज हुई थी, लेकिन बाद में इजलाल समेत बाकी आरोपियों के खिलाफ (अपराध संख्या 190/08)के तहत धारा 147, 148, 149, 364, 302, 201, 404, 411 और 3/2 गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज है।
एडवोकेट प्रमोद त्यागी बताते हैं कि इन धाराओं में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। अब इस मामले में सिर्फ एक आरोपी शम्मी जेल में है। बाकी सभी आरोपियों की जमानत हो चुकी है। पीड़ित परिजनों की आंखों से16 साल तक आंसू नहीं सूखे वहीं हर तारीख पर इंसाफ का इंतजार होता रहा। इस मामले में मुख्य आरोपी  हाजी इजलाल 14 वर्ष जेल में रहा, इसके बाद जमानत पर बाहर आ गया और अपना कारोबार में व्यस्त रहा। फैसले से पहले कड़ी सुरक्षा में उसे कोर्ट लेकर जाया गया।

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