मौतों के बाद भी NOC पर ना

kabir Sharma
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पांच साल में 3322 आग हादसों में 17 की मौतलगातार आग हादसों के बाद भी बगैर एनओसी मामलों में कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं, हजारों अवैध बिल्डिंगों में आग हादसों के बचाव के इंतजाम तक नहीं, लगातार हो रहे हैं आग हादसे, ऐसे तमाम अवैध कांप्लैक्स हैं जिन पर फायर एनओसी तक नहीं है, पीएल शर्मा रोड स्थित किंग बेकरी की फायर एनओसी के मामले में सीएफओ का रवैया बेहद खेद जनक है। फायर एनओसी ली गयी है या नहीं यह बताने तक को तैयार नहीं हालांकि साल 2022 की एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि किंग बेकरी को काेई एनओसी नहीं दी गयी है। यहां बता दें कि किंग बेकरी को सील किया गया है यह बात अलग है कि Meda के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने सील के दौरान किए गए अवैध निर्माण पर बजाए कार्रवाई के अवैध निर्माण को बचाने पर पूरी ताकत लगा दी, लेकिन Meda के नवागत VC से उम्मीद की जा रही है कि किंग बेकरी की अवैध इमारत को जरूर ध्वस्त कराएंगे, लेकिन यहां बात की जा रही है इस अवैध इमारत को एनओसी की जिसको सीएफओ आफिस बताने को तैयार नहींपांच साल के आंकडेसाल 2020-497-अग्निकांड-मृतक की संख्या पांचसाल 2021-671-अग्निकांड-मृतक की संख्या पांचसाल 2022-664-अग्निकांड-मृतक की संख्या दोसाल 2023-635-अग्निकांड-मृतक की संख्या एकसाल 2024-857-अग्निकांड-मृतक की संख्या चारसाल 2025-फरवरी-96-अग्निकांड-मृतक कोई नहींसीएफओ को चार बार राज्य सूचना आयोग की फटकारसैकड़ों की जान पर बन आयी, फिर भी नींद में सीएफओ

मेरठ। बीते पांच सालों में मेरठ में आग के 3322 हादसों में 17 की मौत के बावजूद फायर ब्रिगेड महकमे के अफसर बगैर एनओसी के चल रहे भवनों पर कार्रवाई को लेकर कतई गंभीर नहीं है। आग हादसों व उनमें होने वाली मौतों के जिन आंकड़ों का जिक्र किया गया है वो खुद सीएफओ ने दिए हैं। हालांकि यदि गैर सरकारी आग हादसों की संख्या की बात की जाए तो फरवरी 2025 तक बीते पांच साल में अनुमानित करीब 20 हजार आग हादसे हो चुके हैं। आग हादसों में मारने वालों की जिस 17 की संख्या की बात सीएफओ कर रहे हैं, मरने वालों का यह आंकड़ा भी निश्चित रूप से इससे ज्यादा हो सकता है। इतनी बड़ी संख्या में यहां आग हादसों और उनमें मारने वालों की संख्या के बाद भी बगैर एनओसी वाले भवनों पर कार्रवाई को लेकर इन हादसों को रोकने के लिए जिम्मेदार अफसर बिलकुल भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा भी इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेरठ में कितने भवन ऐसे हैं जिन पर फायर एनओसी नहीं है।

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कितने भवन जिन पर फायर एनओसी नहीं है उनके खिलाफ नोटिस, चालान व एफआईआर या अन्य कार्रवाई की गई हैं। इस प्रकार की कार्रवाईयों के बाद कितने भवन स्वामियों ने फायर एनओसी के लिए आवेदन किया है। बीते पांच सालों में साल दर साल कितनी फायर एनओसी जारी की गयी हैं। इस प्रकार की कोई भी जानकारी फायर बिग्रेड के अफसर देने को तैयार नहीं है। जनवाणी संवाददाता ने जो जानकारी फायर अफसरों से तलब की, उसमें किसी संस्था या व्यक्ति विशेष को लेकरजानकारी नहीं मांगी गयी बल्कि सिर्फ केस संख्या की जानकारी चाही, जिसको संस्था व व्यक्तियों की व्यक्तिगत सूचना बता कर जानकारी से इंकार कर दि


ये आंकडे इस साल के फरवरी माह तक के हैं। शहर में फरवरी माह के बाद भी कई बडेÞ आग हादसे हो चुके हैं। आॅयल डिपो में आग का हादसा इन बडेÞ अग्निकांड में शामिल हैं। बाईपास स्थित मिरास बिस्ट्रो जो बगैर एनओसी के संचालित किया जा रहा है उसमें भी दोबारा आग लग चुकी है।

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शहर में हो रहे आग हादसों को लेकर गंभीर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज कुमार चौधरी लगातार इस शहर को आग हादसों से बचाने की जंग लड़ रहे हैं, लेकिन सीएफओ का रवैया बेहद शर्मसार करने वाला व लापरवाही भरा है। मनोज चौधरी बताते हैं कि सूचना देने में आनाकानी पर राज्य सूचना आयोग मेरठ के सीएफओ को चार बार फटकार लगा भी चुका है। इतना ही नहीं यहां तक चेतावनी दी गयी कि यदि यही रवैया रहा तो 25 हजार का जुर्माना कर दिया जाएगा। राज्य सूचना आयोग की लगातार फटकारों के बाद भी सीएफओ व इससे जुडेÞ दूसरे अधिकारी अपना रवैया बदलने को तैयार नहीं। यह जानकारी देने में क्या आपत्ति हो सकती है कि बगैर फायर एनओसी वाले भवनों की संख्या कितनी है, कितने भवनों को नोटिस जारी किए गए हैं, कितने भवन स्वामियों ने फायर एनओसी के लिए आवेदन किया गया और कितनी फायर एनओसी जारी की गर्इं। अनेक ऐसे भवन हैं जहां बार-बार आग हादसे होते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उन पर ना तो फायर एनओसी है ना ही आग पर काबू पाने वाले किसी प्रकार के उपकरण हैं।


दिल्ली-देहरादून हाइवे के कंकरखेड़ा बाईपास स्थित मिरास बिस्ट्रो में दो बार भयंकर आग हादसे हुए हैं। करीब डेढ़ साल पहले हुए आग हादसे में तो वहां चल रहे कार्यक्रम के दौरान लगी आग में सैकड़ों जिनमें महिला व बच्चों की संख्या अधिक थी, उनकी जान पर बन आयी थी। मिराज बिस्ट्रो में आग का दूसरा वाक्या चंद रोज पहले हुआ था। गनीमत ये रही कि उस वक्त वहां कोई आयोजन नहीं था, लेकिन आग में पूरा मिरास बिस्ट्रो खाक हो गया। इसको लेकर भी जब जानकारी मांगी गयी तो व्यक्तिगत बताकर कुछ भी बताने से मना कर दिया। शहर के आग हादसों के इतर देश भर में होने वाली आग की घटनाओं से बजाय सबक लेकर बगैर एनओसी वाले भवनों पर कार्रवाई के कार्रवाई के नाम पर केवल खेल के चलता है। शहर में होटल, कोचिंग सेंटर, नर्सिंगहोम, बगैर किसी मानचित्र के बनाए जाने वाले अवैध कांप्लेक्स की कुल संख्या हजारों में है, लेकिन उसके बाद भी सीएफओ के स्तर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। कार्रवाई के सवाल पर व्यक्तिगत बताकर कुछ भी बताने से इंकार कर दिया जाता है। मेरठ में तैनात रहे पूर्व सीएफओ संतोष राय के लंबे कार्यकाल में बड़ी संख्या में बगैर फायर एनओसी वाले भवनों का निर्माण हुआ। बगैर फायर एनओसी जब कोई भवन बनकर तैयार हो जाता है कि तो इसके पीछे क्या खेल होता है यह आसानी से समझा जा सकता है।

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