मेरठ/विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र ने ग्रॉन्ट थॉर्टन का पॉवर कारपोरेशन में नया टेण्डर घोटाला सामने आने के बाद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु अवैध ढंग से नियुक्त किये गये ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रॉन्ट थॉर्टन का नियुक्ति आदेश तत्काल रद्द करने की मांग की है।
संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 27 मई की शाम को ब्रेकडाउन अटेण्ड करने एवं उपभोक्ता सेवा को प्राथमिकता पर 87 अधिशासी अभियन्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का प्रबन्ध निदेशकों को आदेश जारी किया है जिससे अभियन्ताओं और कर्मचारियों में भारी रोष है। वहीं दूसरी ओर निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को भी प्रान्त भर में बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
संघर्ष समिति के मेरठ के पदाधिकारियों इंजी. सी पी सिंह, इंजी. कृष्ण कुमार सारस्वत, इंजी. निखिल कुमार, इंजी. निशान्त त्यागी,इंजी, प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, विवेक सक्सेना, प्रदीप डोगरा आदि एवं जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार आदि ने बताया कि 27 मई को चेयरमैन की वीडियो कॉफ्रेंसिंग के दौरान इस भीषण गर्मी में ब्रेकडाउन होने की सूचना मिलने पर कुछ अधिशासी अभियन्ताओं ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग मीटिंग छोड़कर उपभोक्ताओं का ब्रेकडाउन अटेण्ड करने का कार्य प्राथमिकता पर किया जिससे उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ न हो। इस पर चेयरमैन ने सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशकों को एक पत्र भेज कर ऐसे 87 अभियन्ताओं की सूची संलग्न कर उनपर तीन दिन के अन्दर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का एकतरफा आदेश जारी किया है। चेयरमैन के इस आदेश से अतिउत्साहित होकर कुछ प्रबन्ध निदेशकों ने भी इसी प्रकार के अनुशासनात्मक कार्यवाही के पत्र जारी किये है और बिजली कर्मियों और अभियन्ताओं का एक दिन का वेतन रोकने का आदेश भी जारी किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि ऊर्जा निगमों में हड़ताल थोपने के प्रयास में विफल हो जाने के बाद पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन औद्योगिक अशान्ति फैलाने के नये रास्ते तलाश रहे हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विगत 06 माह से चल रहे आन्दोलन के दौरान संघर्ष समिति का बिजली कर्मियों और अभियन्ताओं को यह स्पष्ट निर्देश रहा है कि किसी भी स्थिति में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए और सर्वोच्च प्राथमिकता पर ब्रेकडाउन अटेण्ड किया जाना चाहिए। इसी दृष्टि से 27 मई को अभियन्ताओं ने उपभोक्ता सेवा को प्राथमिकता देते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन किया किन्तु निजीकरण के लिए उतावले पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने इसी को आधार बनाकर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है जिससे ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर टकराव का वातावरण बन गया है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उपभोक्ता सेवा अटेण्ड करने को प्राथमिकता देने वाले किसी भी अभियन्ता या कर्मचारी को दण्डित किया गया तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी चेयरमैन की होगी। संघर्ष समिति ने कहा कि झूठा शपथ पत्र देने वाले और अमेरिका में लगी पेनाल्टी को स्वीकार करने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रान्ट थॉर्टन को पॉवर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग और चेयरमैन डॉ आशीष गोयल ने मिली भगत कर तीन दिन पहले क्लीन चिट दी थी। अब यह पता चला है कि सितम्बर 2024 में पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी किये गये डाटा कलेक्शन के एक टेण्डर में ग्रान्ट थॉर्टन ने भाग लिया था। निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने के पहले टेण्डर में कॉन्फिलिक्ट आॅफ इंटरेस्ट का प्राविधान था। चूंकि ग्रांट थॉर्टन ने सितम्बर 2024 में ही पॉवर कारपोरेशन के एक टेण्डर में हिस्सा लिया और उसकी टेक्निकल बिड खोले जाने के बाद उसे एल – 1 पाया गया। इस घटनाक्रम के बाद ग्रांट थॉर्टन निजीकरण के टेण्डर में भाग नहीं ले सकता था। इसीलिए चेयरमैन और निदेशक वित्त ने ग्रांट थॉर्टन की मदद करने के लिए कॉन्फिलिक्ट आॅफ इंटरेस्ट के प्राविधान को टेण्डर में हटा दिया और सितम्बर 2024 के डाटा कलेक्शन के टेण्डर को ठण्डे बस्ते में डाल दिया। अब ग्रांट थॉर्टन को निजीकरण के ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के मामले में क्लीन चिट देने के बाद सितम्बर 2024 में टेण्डर को अन्तिम रूप देने के लिए और इसका आदेश भी ग्रांट थॉर्टन के पक्ष में करने की कार्यवाही फिर शुरू कर दी गयी है। संघर्ष समिति ने कहा कि इन सब घटनाक्रमों से बिलकुल स्पष्ट हो गया है कि निजीकरण में कितना बड़ा घोटाला होने जा रहा है। संघर्ष समिति ने सारे घटनाक्रम और हो रहे घोटाले की निष्पक्ष जांच कर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन के दोषी व्यक्तियों पर कठोर कार्यवाही की मांग की है। निजीकरण के विरोध में कल राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन से उत्साहित उप्र के बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियन्ताओं ने सभी जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में व्यापक जन-सम्पर्क और विरोध प्रदर्शन किये। निजीकरण के विरोध में आंदोलन में जनपद-मेरठ में आज दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक विद्युत जानपद मण्डल प्रांगण, ऊर्जा भवन कार्यालय मेरठ में हुई विरोध सभा में भारी संख्या में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की।
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