मेरठ/ निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे कर्मचारी ऊर्जा मंत्री के बयान पर बुरी तरह से उखडे हुए हैं। उन्होंने 22 जून को होने वाले महापंचायत का न्यौता ऊर्जा मंत्री व यूपीपीसीएल चेयरमैन को भी भेजा है। आंदोलनकारियों ने बताया कि महापंचायतमें बड़ी संख्या में किसान, उपभोक्ता व अन्य संगठन भी शामिल होंगे। वहीं दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री के निजीकरण के समर्थन में दिए गए बयान के बाद आंदोलनकारी बुरी तरह से उखडेÞ हुए हैं। उनमें भारी गुस्सा है। उन्होंने कहा कि उन पर जबरन आंदोलन थोपा जा रहा है। आंदोलन शुक्रवार को यह आंदोलन 198वें दिन में प्रवेश कर गया।
22 जून की महापंचायत का ऊर्जामंत्री व पावर चेयरमैन को भेजा न्यौता
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति , उप्र ने ऊर्जा मंत्री श्री अरविन्द कुमार शर्मा द्वारा निजीकरण के पक्ष में दिये गये बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संघर्ष समिति ने आगामी 22 जून को लखनऊ में आयोजित बिजली महापंचायत में ऊर्जा मंत्री को आमंत्रित करते हुए कहा है कि ऊर्जा मंत्री महापंचायत में आकर बिजली कर्मियों, किसानों और आम उपभोक्ताओं को बिजली के निजीकरण का लाभ समझाये तो बेहतर होगा। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने कल दिये गये बयान में ग्रेटर नोएडा और आगरा में बिजली के निजीकरण की प्रशंसा करते हुए कहा है कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजीकरण के बाद बहुत सुधार हुआ है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि आगरा में जब 01 अप्रैल 2010 को बिजली व्यवस्था टोरेंट पॉवर कम्पनी को सौंपी गयी थी तब पावर कारपोरेशन का 2200 करोड़ रुपए का उपभोक्ताओं पर बकाया था। इस 2200 करोड़ रुपए को टोरेंट पॉवर कम्पनी को एकत्र कर पॉवर कारपोरेशन को देना था। पॉवर कारपोरेशन इसके एवज में टोरेंट पॉवर कम्पनी को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि देती। आज 15 वर्ष से अधिक व्यतीत हो गया है किन्तु टोरेंट पॉवर कम्पनी ने इस 2200 करोड़ रुपए के बकाये का एक पैसा भी पॉवर कारपोरेशन को नहीं दिया है। इसके अतिरिक्त पॉवर कारपोरेशन रुपए 5.55 प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीद कर रुपए 4.36 प्रति यूनिट की दर पर टोरेंट पॉवर कम्पनी को देता है। इस प्रकार 1 वर्ष में लगभग 2300 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति करने में पॉवर कारपोरेशन को सालाना 274 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। विगत 15 वर्ष में यह घाटा 2500 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री इसे उपलब्धि मानते हैं तो उन्हें बताना चाहिए कि पूर्वांचल विद्युत वितनण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से और कितना घाटा होने वाला है। यदि ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी इतना अच्छा काम कर रही है तो उप्र सरकार उसका लाईसेंस समाप्त कराने के लिए मा. सर्वोच्च न्यायालय में क्यों मुकदमा लड़ रही है।निजीकरण के विरोध में ऊर्जा भवन पर हुृई विरोध सभा में इं सी पी सिंह, इं कृष्ण कुमार सारस्वत, इं निखिल कुमार, इं अलोक त्रिपाठी, इं राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार आदि उपस्थित रहे।