नाला बनते ही फिर करा दिए कब्जे

kabir Sharma
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मेरठ। जीआईसी के बाहर किए गए कब्जे हटवाने को नाला बनवाया गया। दरअसल उद्योग बंधु की डीएम के साथ होने वाली बैठक में अनेकों बार जीआईसी के बाहर अवैध कब्जों का मामला उठाया जाता था। एक लंबे इंतजार व जद्दोजहर के बाद तय किया गया कि जीआईसी के बाहर जहां पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए गए हैं, वहां नाला बना दिया जाए। इससे दो फायदे होंगे पहला तो यह कि गंगाप्लाजा से बच्चापार्क और सीएमसी कांप्लैक्स के आसपास के इलाके जो बारिश के दौरान पानी जमा हो जाता है। दुकानों में पानी भर जाता है उससे निजात मिल सकेगी। दूसरा और सबसे बड़ा फायदा यह कि उद्योग बंधु की बैठकों में व्यापारी नेता विपुल सिंहल व विष्णु दत्त पराशर सरीखे लोग जिन अवैध कब्जों की ओर बार-बार अफसरों को ध्यान दिला रहे हैं वो अवैध कब्जे भी हटवा दिए जाएगे। सो तय हुआ कि नगर निगम गंगा प्लाजा से लेकर बच्चापार्क तक नाला बनवाएगा और जो अवैध कब्जे सरकारी जमीन पर किए गए हैं उनको भी हटवा दिया जाएगा। उद्योग बंधु की बैठक में तैयार किया गए ऐजेंडा का प्रस्ताव बनाकर नगर निगम प्रशासन को काम सौंप दिया गया। काम शुरू भी करा दिया गया और उसको अंजाम तक भी पहुंचा दिया गया। सीएमसी कांप्लैक्स से जीआईसी के मोड तक सड़क और नाला बनवा दिया गया। इसके अलावा गंगा प्लाजा से बच्चापार्क तक नाले का निर्माण भी करा दिया गया। लेकिन इस काम पर जितनी रकम खर्च की गयी और जिस मकसद से की गयी वो सब बेकार चली गयी।

गंगा प्लाजा से लेकर बच्चापार्क तक जो नाला बनवाया गया है, वहां कब्जे हटाने की बात तय हुई थी, लेकिन नाला बनवाने वालों ने जो नाला बनाया गया है उस पर ही अवैध कब्जे उन्हीं लोगों के करा दिए जो सालों से वहां सरकारी जमीन पर अवैध काविज हैं। दरअसल हुआ यह कि जब नाला बनवाया जा रहा था तब मौका था कि अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा जमा बैठे लोगों को खदेड़ दिया जाए लेकिन इससे की जाने वाली हफ्ता वसूली के चलते इन्हें नाला निर्माण के दौरान भी नहीं हटाया गया। जब तक नाले के निर्माण का कार्य चला ये लोग वहीं पर जमे रहे। इनमें से कई ने तो वहां पर बाकायदा पक्के फड बना लिए हैं। ऐसा नहीं कि इस सब की जानकारी नगर निगम, जिला प्रशासन या पुलिस को नहीं है। जिला प्रशासन कहीं भी शहर में यदि सरकारी जमीन पर कब्जा होता है तो उसको हटावने की जिम्मेदारी उसी की है। नगर निगम के पास अपना प्रवर्तन दल है जिसकी सेलरी के नाम पर हर माह मोटी रकम खर्च की जाती है। प्रवर्तन दल से इसी प्रकार के कार्य लिए जाते हैं, लेकिन हफ्ता वसूली के चलते ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा जिससे लगे कि जो सेलरी प्रवर्तन दल को दी जा रही है उसकी एवजी में काम भी लिया जा रहा है। यहां मुददा प्रवर्तन दल की सेलरी नहीं बल्कि जीआईसी के बाहर सरकारी जमीन पर लोगों को बैठाए जाने का है। नए बनाए गए नाले पर कब्जा करा दिए जाने का है। जब नाले पर कब्जा करा दिया है तो निगम अफसर बताएं कि वहां नियमित रूप से कैसे सफाई कार्य कराया जाएगा। इसके अलावा जब बारिश आएगी और कूडा कचरा बहकर नाले में जमा हो जाएगा तो उसकी सफाई कैसे होगी। क्योंकि नाले पर तो कब्जे करा दिए हैं।

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जिस नाले को लेकर अफसर फूले नहीं समा रहे हैं वो नाला बारिश के मौसम में मुसीबत बनने वाला है दरअसल जिस तरह से नाला एल शेप में ट्रांसफार्मर के पास तीन स्थानों से मोडा दिया गया है उसके बाद वहां से कचरा अडने तय है। कचरा अडेगा तो नाला ओवर फ्लो करेगा। साथ ही इससे पानी भरेगा। पानी भरेगा तो वही पुरानी मुसीबत खड़ी होगी जो इस नाले के बने बगैर भी थी। जिस तरह से नाला बनवाया गया है वो अभियंताओं की काबलियत पर भी सवाल खड़े करता है।

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