राशन घोटाले में चार्जशीट दाखिल

kabir Sharma
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चार सप्लाई इंस्पेक्टरों पर गाज संभव, राशन डीलरों की तुड़वाई जाएगी जमानत, फर्जी आधार व ई-पॉस साफ्टवेयर में की थी सेंधमारी, अपात्र गटक गए गरीबों का निवाला

नई दिल्ली/लखनऊ/ मेरठ। फर्जी आधार कार्ड और ई-पाॅस मशीन में सेंधमारी कर अंजाम दिए गए 350 करोड़ के राशन घोटाले में सीबीसीआईडी आगरा ने कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है। सीबीसीआईडी की चार्जशीट में घोटाले की परत दर परतें खोलकर रख दी गयी हैं। इस मामले में चार आपूर्ति निरीक्षकों पर गाज तय मानी जा रही है। ई-पॉस मशीनों से की गई धांधली से जुड़े करीब 350 करोड़ रुपये के राशन घोटाले की जांच में सीबीसीआईडी आगरा ने शासन को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर चार पूर्ति निरीक्षकों समेत 100 से अधिक लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है, जिसमें गिरफ्तारियां और संपत्ति जब्ती शामिल है। विभागीय जांच में सामने आया है कि फर्जी आधार कार्ड और ई-पॉस सॉफ्टवेयर में सेंधमारी कर अपात्र लाभार्थियों को राशन पहुंचाया गया, जबकि असली जरूरतमंद खाली हाथ लौटते रहे।

कैसे चला फर्जीवाड़ा सीबीसीआईडी ने खुलासा

मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 2018 से ही राशन वितरण में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्राप्त शिकायतों के बाद जांच शुरू हुई, जिसमें मेरठ में अकेले 350 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ। ई-पॉस मशीनों का इस्तेमाल करते हुए कोटेदारों और पूर्ति निरीक्षकों ने साठगांठ कर फर्जी बायोमेट्रिक एंट्री की। आधार कार्डों की फर्जीवाड़गी से अपात्र लोगों को सब्सिडी वाला अनाज बांटा गया, जो बाजार में कालाबाजारी हो गया। लखनऊ से प्राप्त विभागीय रिपोर्ट में छह पूर्ति निरीक्षकों की संलिप्तता साबित हुई है, जिनकी शह पर यह खेल चलता रहा। सीबीसीआईडी के अनुसार, मेरठ परिक्षेत्र में 96 मुकदमों की जांच चल रही है। पहले यह मामला एसटीएफ और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के पास था, लेकिन जून 2025 में इसे सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि शासन की मंजूरी मिलते ही आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इस मामले में कोटेदारों पर पहले ही एफआईआर दर्ज करायी जा चुकी है सभी जमानत पर बाहर हैं।

कोर्ट में चार्जशीट दाखिल

इस मामले में लेटेस्ट अपडेट में यूपी के जिन जिलों में घोटाला अंजाम दिया गया, उनमें मेरठ टॉप टेन में शुमार है। सीबीसीआईडी आगरा ने नवंबर 2025 की शुरुआत में ही शासन को रिपोर्ट भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक, चार मुख्य पूर्ति निरीक्षकों के नाम प्रमुखता से शामिल हैं, जिन पर रिश्वतखोरी और गबन के आरोप हैं। पुलिस चार्जशीट कोर्ट में पेश करने की तैयारी में जुटी है, और अगले कुछ दिनों में गिरफ्तारियां हो सकती हैं। मेरठ के जिलाधिकारी ने भी जिला पूर्ति विभाग को अलर्ट जारी किया है, जिसमें सभी ई-पॉस मशीनों का ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह घोटाला न केवल सरकारी खजाने को खोखला कर रहा था, बल्कि गरीबों के पेट की आग को और भड़का रहा था। ई-पॉस सिस्टम को मजबूत करने के लिए अब डिजिटल वजन मशीनों से लिंकिंग की योजना पर काम तेज हो गया है।” इसी बीच, मेरठ में हाल ही में हुई एक घटना ने चिंता बढ़ा दी है—एक कोटेदार की ई-पॉस मशीन में तकनीकी खराबी से 144 कार्ड धारकों को मार्च 2025 का राशन नहीं मिल सका, जो घोटाले की जड़ को और उजागर करता है।

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: ‘राशन के लिए लाइन में लगते हैं, घर लौटते खाली’

मेरठ के कंकर क्षेत्र की रहने वाली सुनीता देवी (45) ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हर महीने ई-पॉस पर अंगूठा लगाते हैं, लेकिन राशन का पूरा कोटा नहीं मिलता। ऊपर से खबरें आ रही हैं कि करोड़ों का घोटाला हो रहा है। हम जैसे लाखों परिवार भूखे सोने को मजबूर हैं।” इसी तरह, सरधना के एक कोटेदार ने बताया कि मशीनों की खराबी और सॉफ्टवेयर गड़बड़ी से वितरण प्रभावित हो रहा है, लेकिन जांच के डर से कोई बोलने को तैयार नहीं।

अपडेट की गयीं ई-पॉश मशीनें

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए पूरे राज्य में ई-पॉस सिस्टम का व्यापक अपडेट शुरू कर दिया है। दिल्ली की तर्ज पर मेरठ में भी डिजिटल वजन मशीनों को ई-पॉस से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे तौल में धांधली रुकेगी। खाद्य एवं रसद विभाग ने सभी जिलों में विशेष जांच टीम गठित की है, और दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द करने का सख्त निर्देश दिया गया है। यह मामला न केवल मेरठ तक सीमित है, बल्कि आगरा, बरेली और 34 अन्य जिलों में भी इसी तरह के घोटाले उजागर हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल ट्रांसपेरेंसी से भविष्य में ऐसी घटनाएं रुकेंगी, लेकिन अभी लाखों गरीबों को न्याय की प्रतीक्षा है। विकास की इस दौड़ में भ्रष्टाचार का यह काला साया कब मिटेगा?

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