चोरी-चोरी चुपके-चुपके लौट आयीं फिर से

kabir Sharma
9 Min Read
WhatsApp Channel Join Now

कैंट बोर्ड ने हटायी थी डेयरियां, करोड़ों की कीमत की जमीन करायी थी मुक्त, दीवारें खड़ी कर ले लिया था कब्जा, कुछ डेयरी संचालकों ने अब दीवारें भी गिरा दीं

मेरठ। कोर्ट के आदेश और एनजीटी की संख्ती के चलते छावनी इलाके से कैंट बोर्ड के आबादी के बीच अवैध रूप से संचालित की जा रही डेयरियों को खदेड़ने के लिए चलाए गए अभियान पर सवालिया निशान लग गया है। पूर्व में कैंट बोर्ड ने जो डेयरियां हटाईं और वहां दीवारें खड़ी कीं, वे अब चुपके-चुपके वापस लौट आई हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कैंट बोर्ड के अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इन डेयरियों के पशुओं से ना केवल सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा हैं, बल्कि आवारा पशुओं की समस्या को भी बढ़ावा दे रही हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।

जिम्मेदार कौन

जो पशु डेयरियां लौट रही हैं और इन डेयरियों के संचाकों ने जो सरकारी जमीन मुक्त कर वहां पर दीवार बना दी थी, कुछ स्थानों पर उस दीवार को भी गिराकर दोबारा से सरकारी करोडों रुपए कीमत की जमीन पर कब्जे के प्रयास हो रहे हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है। सूत्रां की मानें तो इसके पीछे इलाके कुछ भाजपाई नेता हैं जिनके इशारे पर ही ये डेयरियां लौटनी शुरू हो गयी हैं। बताया जाता है कि इलाके के इन भाजपा नेताओं के संगठन के बड़े नेताओं से संपर्क हैं, उनके बूते ही ये लोग सेटिंग गेटिंग कर इन डेयरियों को दोबारा से आबाद करा रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

इस साल भी कैंट बोर्ड ने अवैध डेयरियों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया था। मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) जाकिर हुसैन के निर्देश पर रेवेन्यू सेक्शन की टीम ने पूरे कैंट में संगठित होकर अवैध रूप से संचालित की जा रही डेयरियों के खिलाफ सघन अभियान चलाया था। कैँट बोर्ड की सख्ती के चलते डेयरी संचालक अपने पशुओं को ट्रकों में भरकर गांव देहात के इलाके में ले गए। वहीं उन्होंने कारोबार भी जमा लिया था। वहीं दूसरी ओर कैंट बोर्ड ने जो सरकारी जमीन डेयरियों से मुक्त करायी थी वहां पार्क बना दिए गए थे। कुछ जग दीवारें खड़ी कर दी गयी थीं। लेकिन अब कुछ समय से इन्हीं जगहों पर पशु फिर से रखे जा रहे हैं। घोसी मोहल्ला जैसे इलाकों में तो सबमर्सिबल पंप तक जब्त किए गए थे, लेकिन संचालक विरोध के बावजूद वापसी कर चुके हैं। आबूलेन पर होटल चलाने वाले एक शख्स ने बताया कि”कैंट बोर्ड ने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अफसरों की लापरवाही से ये डेयरियां रातोंरात लौट आईं। सड़कें तंग हो गई हैं। दूध दोहने के बाद डेयरियों के पशुओं को खुला छोडङ दिया जाता है जो गाय-भैंसें इधर-उधर भटकते हैं। लोगों का आरोप है कि बगैर सेटिंग के डेयरियों की वापसी मुमकिन नहीं। , जिससे कार्रवाई नाममात्र की हो रही है।

अफसरों की अनभिज्ञता पर सवाल

कैंट बोर्ड के अफसरों से संपर्क करने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अभियान जारी है, लेकिन मानव संसाधन की कमी से निगरानी मुश्किल हो रही है।” हालांकि, बोर्ड के सीईओ जाकिर हुसैन ने मई में ही कहा था कि “डेयरियों के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा।” सवाल यह उठता है कि आखिर हटाई गई डेयरियां कैसे लौट आईं और अफसरों को कैसे पता नहीं चला? क्या यह प्रशासनिक नाकामी का मामला है या कुछ और?

- Advertisement -

प्रभाव: शहरवासियों की परेशानी बढ़ी

  • ट्रैफिक और सुरक्षा: सड़कों पर पशु घूमने से वाहन चालकों को खतरा। हाल ही में मेरठ में आवारा पशुओं से जुड़ी कई दुर्घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं।
  • स्वास्थ्य जोखिम: अवैध डेयरियों से गंदगी फैल रही है, जिससे बीमारियां फैलने का डर।
  • कानूनी उल्लंघन: पशुपालन विभाग के नियमों का खुला उल्लंघन। मंत्री धर्मपाल सिंह ने हाल ही में कहा था कि अवैध पशु गतिविधियों पर सख्ती बरती जाएगी।

अब क्या होगा?

क्षेत्रवासियों ने जिलाधिकारी और कैंट बोर्ड प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है, जहां लोग #MeerutCanttDairyScam जैसे हैशटैग चला रहे हैं। यदि जल्द कार्रवाई न हुई तो बड़े आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है।

क्या कहता है कानून

पशु डेयरियों को चलाने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान हैं, जो मुख्य रूप से पशु कल्याण, स्वास्थ्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और नगर निगम नियमों पर आधारित हैं। अवैध डेयरी वे मानी जाती हैं जो बिना लाइसेंस, गलत स्थान पर (जैसे आवासीय क्षेत्रों में), अतिक्रमण या पशु क्रूरता के साथ संचालित होती हैं। ये नियम केंद्र और राज्य स्तर पर लागू होते हैं, मेरठ जैसे शहर में जहां आवारा पशुओं और शहरी अतिक्रमण की समस्या आम है।

कानून/अधिनियमविवरणअवैध डेयरी से संबंध
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA Act), 1960 (विशेष रूप से धारा 11)पशुओं के साथ क्रूरता (जैसे ओवरक्राउडिंग, अपर्याप्त भोजन/पानी, गंदगी में रखना) को रोकता है। दंड: 3 महीने की जेल और/या ₹50 तक जुर्माना। आवारा पशुओं को छोड़ना भी अपराध।अवैध डेयरियां अक्सर पशुओं को अस्वास्थ्यकर स्थितियों में रखती हैं, जो इस धारा का उल्लंघन है। गर्भवती या बीमार पशुओं को रखना/मारना प्रतिबंधित।
भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 (धारा 428 और 429)पशु को मारना, घायल करना या अपंग बनाना अपराध। दंड: 2-5 साल की जेल और जुर्माना। आवारा पशु भी संरक्षित।डेयरी संचालक यदि पशुओं को सड़कों पर छोड़ते हैं या दुर्व्यवहार करते हैं, तो यह लागू होता है।
भारतीय वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (संशोधित 2002)वन्य/घरेलू पशुओं के अवैध व्यापार, शिकार या रखरखाव पर रोक। अनुसूची 1 में संरक्षित प्रजातियां (जैसे कुछ हिरण)। दंड: 3-7 साल की जेल।यदि डेयरी में संरक्षित प्रजातियां अवैध रूप से रखी जाती हैं, तो यह उल्लंघन।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) एक्ट, 2006दूध उत्पादों के उत्पादन के लिए लाइसेंस अनिवार्य। स्वच्छता और गुणवत्ता मानक।बिना FSSAI लाइसेंस वाली डेयरियां अवैध, दूध बिक्री पर रोक।
उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 (और स्थानीय नियम)शहरी क्षेत्रों में डेयरियां केवल नामित जोन (जैसे औद्योगिक/ग्रामीण) में अनुमत। अतिक्रमण हटाना।मेरठ कैंट जैसे क्षेत्रों में सड़क/आवासीय अतिक्रमण अवैध; कैंट बोर्ड/नगर निगम कार्रवाई कर सकता है।
WhatsApp Group Join Now

2. अवैध डेयरी क्या मानी जाती है?

  • लाइसेंस की कमी: पशुपालन विभाग, स्थानीय पंचायत/नगर निगम या FSSAI से अनुमति न होना।
  • स्थान संबंधी उल्लंघन: आवासीय या व्यावसायिक क्षेत्रों में संचालन, जहां पशु गंदगी/ट्रैफिक समस्या पैदा करें।
  • पशु कल्याण उल्लंघन: ओवरलोडिंग (एक जगह 5-10 से अधिक पशु बिना सुविधा), गंदा शेड, अपर्याप्त चारा/पानी।
  • पर्यावरण प्रभाव: गंदगी से जल प्रदूषण; पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत दंडनीय।
  • उत्तर प्रदेश विशेष: राज्य में गौवंश संरक्षण नियम (गौकशी निषेध अधिनियम, 1955) लागू; अवैध डेयरियां अक्सर आवारा गायों से जुड़ी होती हैं। योगी सरकार ने 2017 से अवैध बूचड़खानों/डेयरियों पर सख्ती बढ़ाई।

3. दंड और कार्रवाई

  • जुर्माना और जेल: पहली बार ₹500-₹5,000 जुर्माना; दोहराव पर 6 महीने-3 साल जेल।
  • जब्ती: पशु, वाहन या उपकरण जब्त (जैसे मेरठ कैंट में हालिया अभियान)।
  • कार्रवाई प्रक्रिया: स्थानीय पुलिस, पशु कल्याण बोर्ड या नगर निगम शिकायत पर छापा मार सकता है। PETA या अन्य NGOs भी मुकदमा दायर कर सकते हैं।
  • उदाहरण: गाजियाबाद में आवारा गाय पीटने पर IPC 428 के तहत गिरफ्तारी।

4. वैध डेयरी चलाने के लिए आवश्यकताएं

  • लाइसेंस प्राप्त करें: जिला पशुपालन अधिकारी से पंजीकरण; FSSAI के लिए दूध उत्पादन लाइसेंस।
  • स्थान: कम से कम 1 एकड़ भूमि, पशुओं के लिए हवादार शेड (प्रति पशु 40-50 वर्ग फुट)।
  • स्वास्थ्य जांच: पशुओं का टीकाकरण अनिवार्य; दूध परीक्षण।
  • पर्यावरण क्लियरेंस: बड़े डेयरी के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से NOC।
  • उत्तर प्रदेश में: ‘उत्तर प्रदेश पशुधन विकास विभाग’ से संपर्क; ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन।

सलाह

WhatsApp Channel Join Now
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *