महापौर ने दिए थे नगरायुक्त को कार्रवाई के आदेश, चार साल बाद भी अभियान नहीं, बारिश में फिर टापू बनेगा शहर
मेरठ। सफाई में बाधक बन रहे नाले नालियों पर कब्जों को लेकर नगरायुक्त गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। नगर निगम के पिछले बोर्ड में इस संबंध में पार्षद गफ्फार ने पुरजोर तरीके से आवाज उठायी थी, लेकिन उसके बाद भी निगम अफसर कार्रवाई के मूड में नहीं लगता है कि निगम प्रशासन अपने ही महापौर के आदेशों पर कार्रवाई के मूड में नजर नहीं आ रहा है। बारिश के मौसम में होने वाले जलभराव से निपटने के लिए महापौर ने बोर्ड बैठक में नगरायुक्त को पूरे महानगर में जहां भी नाले नालियों पर कब्जा किया हुआ है उनको ध्वस्त किए जाने के आदेश दिए थे। ये आदेश ८ अप्रैल २०२१ को बाकायदा प्रोसीडिंग में दर्ज हैं। इस पर तत्कालीन महापौर सुनीता वर्मा के साइन हैं। तत्कालीन महापौर के इन आदेशों को चार साल से ज्यादा का अरसा हो गया है, लेकिन नगरायुक्त इस पर कार्रवाई को तैयार नहीं।
कमिश्रर व डीएम को उतरना पड़ा था पानी में
इस साल भादों के महीने में भयंकर बारिश हुई थीं। बारिश के चलते शहर के कई इलाकों में जबरदस्त पानी भर गया थाद्ध। हालात उस वक्त बेहद नाजुक हो गए थे जब कोतवाली के बुढानागेट इलाके में जबरदस्त जलभराव हो गया। लोगों के घरों मे ंपानी भर गया। इलाके के लोगों ने पहले नगर निगम के अफसरों को फोन किए, लेकिन जब काल रिसीव नहीं हुई तो लोग भाजपा नेताओं के घर जा पहुंचे। भाजपा नेताओं ने राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को झकझोरा बस फिर क्या था उसके बाद वो सब हुआ जो कमिश्रर और डीएम के बारिश के पानी में उतरने के बाद होना चाहिए था।
अब भी भी नींद में निगम प्रशासन
उम्मीद की जा रही थी कि अब शहर में कम से कम बारिश में जलभराव नहीं होगा, जहां-जहां ब्लाकेज हैं वो खुलवा दिए जाएंगे और जिन्होंने नाले नालियों पर पक्के निर्माण कर लिए हैं उन्हें भी ध्वस्त कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हो ना सका। नाले नालियों पर कब्जों की बात की जाए तो शहर के पुरानी आबादी वाले तमाम इलाकों में अवैध कब्जो के चलते नाले नालियां गुम हो गयी हैं। निगम के पिछले बोर्ड में पार्षद रहे गफ्फार अहमद ने बताया कि निगम की फाइलों में ८ अप्रैल २०२१ को तत्कालीन महापौर के साइनों वाला कागज आज भी मौजूद है। जिसमें नगरायुक्त को शहर में नाले नालियों पर किए गए कब्जों को हटाने के लिए ध्वस्तकरण अभियान चलाने को कहा गया है, लेकिन कहां-कहां ध्वस्तीकरण अभियान चलाकर नाले नालियों को मुक्त कराया गया है, इसकी जानकारी निगम प्रशासन के आला अफसरों को भी नहीं है। निगम प्रशासन को यदि चार साल बाद भी महापौर के आदेशों पर कार्रवाई की फुर्सत नहीं निकाल पा रहा है तो पूर्व पार्षद गफ्फार अहमद सवाल पूछ रहे हैं कि निर्वाचित पार्षदों व आम आदमी के कामों की कितनी सुनवाई की जा रही होगी, इसका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। पूर्व पार्षद गफ्फार ने बताया कि जब तक नालियों पर किए गए कब्जे हटाए नहीं जाएंगे तब तक ना तो जलभराव की समस्या से निपटा जा सकता है और ना ही स्वच्छ भारत अभियान की रैकिंग में मेरठ के आने की कोई उम्मीद है।