कोई बूढ़ी मां तो कोई घर की खुशहाली तो कुछ की मनोकामना नौकरी की है, सभी चाहते हैं महादेव पूरी करें मनोकामना

हरिद्वार। सब की इच्छा भले ही अलग-अलग हो, लेकिन उनकी मंजिल एक है, वो है महादेव का प्रसन्न करना। वो चाहते हैं कि महादेव को प्रसन्न करें ताकि मनोकामना पूरी हो सकें। कुछ हरिद्वार से तो कुछ ऋषिकेष से कांवड़ ला रहे हैं। जो ऋषिकेष से कांवड़ लेकर आ रहे हैं, वो बता रहे हैं, इस साल ऋषिकेष से कांवड़ लाना बेहद कठिन हैं, लेकिन मनोकाना यदि पूरी हो जाए तो फिर सारे कष्ट मिट जाएंगे। हालांकि जो हरिद्वार से कांवड़ लेकर आ रहे हैं, उनकी भी भक्ती को कमतर नहीं आंका जा सकता। जुलाई के महीने की झुलसा देने वाली गर्मी के इस मौसम में वाकई यह दुरूह कार्य है, लेकिन मनोकामना जब पूरी करनी हो तो फिर ना जुलाई देखी जाती है फिर जनवारी जैसा ठंड का महिना क्योंकि अपनी मनोकमना पूरी करनी होती है। गुरूग्राम निवासी अक्षय की मां कई माह से बीमार हैं, उन्होंने महादेव की कांवड़ उठाकर जब हरिद्वार से शुरूआत की तो गंगाजी और भगवान शिव से मनोकामना मांगी कि उनकी बीमार मां ठीक हो जाएं। अक्षय ने बताया कि उनकी मां अरसे से बीमार हैं। काफी इलाज भी करा चुके हैं। झाड़ फूंक भी करा चुके हैं, नीम हकीमों को भी दिखाया, लेकिन उनकी मां को रोग क्या है यह किसी के भी समझ में नहीं आया। उन्होंने बताया कि मां के अलावा उनका कोई नहीं। यह बताते हुए उनकी आंखें नम हो गई। वो बताते हैं कि मां के बगैर वो नहीं रह सकते। हरिद्वार कांवड़ के लिए जाने से पहले मां को वह पड़ौसियों को देख भाल के लिए छोड़कर आए हैं। खुर्जा के वीरेन्द्र शंकर बतो हैं कि जब से छोटे भाई की शादी हुई और उनकी पत्नी घर में आयी है, तब से घर में क्लेश रहत है। वह अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करते हैं। वीरेन्द्र शंकर ने बताया कि उनका छोटा भाई भी उनको बहुत प्यार व सम्मान देता है, यह बात उनकी पत्नी निशा को पंसद नहीं। वह बहुत क्लेश करती है। भाई को अलग नहीं कर सकते। वीरेन्द्र शंकर ने बताया कि छोटे भाई की पत्नी घर में क्लेश ना करे इसी मनोकमना को पूरी करने के लिए वह कांवड़ उठाकर चले हैं। निशा उनकी पत्नी से भी झगड़ा करती है। जब तक छोटे भाई की शादी नहीं हुई थी तब तक घर में क्लेश नहीं था। ग्वालियर के रहने वाले एक अन्य कांवड़िया सुफल ने बताया कि वो चाहते हैं कि पुलिस विभाग में उनकी नौकरी लगे। लेकिन दो बार वह असफल हो चुके हैं। उनकी इच्छा है कि महादेव शिव शंकर उनकी यह मनोकामना पूरी करें। इसीलिए उन्होंने कांवड़ उठायी है। उन्होंने बताया कि ग्वालियर बहुत दूर है। इसके अलावा उनके साथी भी कांवड़ लेकर आए हैं, वो भी ग्वालियर से हैं। उनके कुल तीन साथी हैं जो ग्वालियर से कांवड़ उठाकर चले हैं।