CBI, DGDE, PDDE, CEO सबके पास Director D.N Yadav की Binding Report थी, कैंट बोर्ड के डोर टू डोर करोड़ाें के घोटाले में विस्फोटक खुलासा, अब क्या करेंगे कैंट प्रशासन के तमाम आला अफसर, इस सजा को देने वाला गुनाहकार होगा बेपर्दा
नई दिल्ली/ मेरठ। कैंट बोर्ड के डोर टू डोर करोड़ों रुपए के घोटाले की फाइलों में अब विस्फोटक और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इन खुलासों को लेकर साउथ ब्लॉक नई दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्रालय के अफसरों से गोपनीय जांच की मांग भी की जा रही हैं। सबसे बड़ा खुलासा तोयह है कि ठेकेदार का पत्र और तत्कालीन यानि Ex-CEO के हस्ताक्षर खुद “जाली” निकले! जानकारों की मानें तो Director Central Command ने 2022 में ही इन्हें “Fabricated” घोषित कर दिया था
फिर भी बेगुनाहों को सजा क्यों
चींख चींख कर पूछा जा रहा है कि जब Director Central Command ने 2022 में ही इन्हें “Fabricated” घोषित कर दिया था तो फिर भी इन्हीं जाली दस्तावेज़ों के आधार पर दो मासूमों को सजा दी गई!! इस साज को देने वाले गुनाहगार को सजा कब मिलेगी। बेकसूर होते हुए भी बेगुनाह को सजा देने वाले को कब सजा दी जाएगी। ऐसा ना हो कि कहीं इंसाफ की आवाज ही घुटकर रह जाए।
Director D.N Yadav की Binding Report थी फिर भी आंखों पर पड़ा रहा पर्दा
CBI, DGDE, PDDE, CEO सबके पास Director D.N Yadav की Binding Report थी, जिसमें साफ़ लिखा था – “ये दस्तावेज़ बाद में बनाकर बैकडेट डाले गए” फिर भी इन्हें “सच्चा” मानकर सजा थोप दी गई – अब खेल खत्म! कैंट बोर्ड के करोड़ों रुपए के कूड़ा घोटाले में यह अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है। जिस एकमात्र दस्तावेज़ (ठेकेदार का पत्र दिनांक 02.04.2021 + Ex-CEO के हस्ताक्षर) को आधार बनाकर सफाई अधीक्षक वी.के. त्यागी और सफाई निरीक्षक अभिषेक को सजा दी गई थी,
वही दस्तावेज़ Director Central Command ने 3 साल पहले ही “जाली और बाद में गढ़ा हुआ” घोषित कर दिया था।
Director Central Command की Binding Statutory Enquiry Report में साफ लिखा है:
- ठेकेदार का पत्र (02. अप्रैल .2021) → SS के कंप्यूटर पर 01 जुलाई 2021 को टाइप मिला
- Work Order (30.मार्च.2021) → 09 अगस्त 2021 को टाइप मिला
- दो नोटशीटें → जुलाई 2021 में टाइप हुईं
- सभी फाइलों पर 02-मार्च अप्रैल 2021 की बैकडेट डाली गई
निष्कर्ष जो Director ने लिखा:
“ये दस्तावेज़ बाद में तैयार करके पुरानी तारीख डाली गई है – यह जालसाजी है।”
यह रिपोर्ट CVC Manual 6.2.3 के तहत “Binding” है।
इसकेस की सभी जांचों में इसे मानना अनिवार्य था।
फिर भी क्या हुआ?
- CBI ने अपनी PE रिपोर्ट में इस Binding Report का एक शब्द नहीं लिखा।
- DGDE और PDDE ने इसे नजरअंदाज किया।
- CEO ज़ाकिर हुसैन ने किसे बचाने के लिये इन्हीं जाली दस्तावेज़ों को “सच्चा” मानकर सजा लागू कर दी।
सबसे बड़ा सवाल

जब Director Central Command ने 2022 में ही साबित कर दिया था कि ठेकेदार का पत्र और Ex-CEO के हस्ताक्षर जाली हैं, तो फिर इन्हीं जाली कागजों के आधार पर दो कर्मचारियों को क्यों फँसाया गया? जवाब सिर्फ एक है, इन जाली दस्तावेज़ों को “सच्चा” दिखाकर ऊपर के बड़े अधिकारियों और ठेकेदार को बचाया गया। दो मासूम कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया।