दो दो हाथ के मूड में महा संघ, अपनी न्यायिक मांगों को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश दो दो हाथ के मूड में है। मेरठ में महासंघ का कहना है कि यदि न्यायिक मांगें भी नहीं मानी गयीं तो फिर सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। यदि ऐसा होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। मंगलवार को महासंघ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। महसंघ के अध्यक्ष विकेश कुमार के नेतृत्व में महामंत्री छोटू राम, संगठन मंत्री विनय कुमार, मंजू दयाल, कमल स्वरूप, धर्मेन्द्र, लोकेश, मीरा यादव, उषा, राजकुमार, सुनील, विवेक, शिप्रा कुशवाह आदि बड़ी संख्या में शैक्षणिक कार्य से जुड़े कर्मचारी नौचंदी स्थित बीएसए कार्यालय पर जुटे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय महासंघ ने अपनी 22 सूत्रीय न्यायिक मांगों काे लेकर तीन दिनी संघर्ष का बिगुल फूंका है। उन्होंने कहा कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व रसोई की विभिन्न 22 मांगों को लेकर बीस जून को तीन दिनी कार्यक्रम की शुरूआत हो चुकी है। मुख्य मांगों में पुरानी पेंशन की बहाली, वेतन विसंगती, उपार्जित अवकाश जो अन्य जिलों में दिए जा रहे हैं, इसके इतर मेरठ जनपद में कई बार आग्रह व अनुरोध किए जाने के बाद भी संबंधित अधिकारियों की नींद टूटती नजर नहीं आ रही है। राज्य कर्मचारियों की तर्ज पर निशुल्क कैशलेस चिकित्सा सुविधा, प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद सृजित कर पदोन्नति, सामूहिक बीमा योजना व दुर्घटना बीमा कवर, शिक्षा मित्रों से संबंधित समस्याएं जैसे मानदेय वृद्धि, अनुदेशकों से संबंधित समस्याएं, भोजन माताओं को 11 माह का मानदेय व मानदेय वृद्धि आदि की मांग सरकार के समक्ष प्रेषित की गयी हैं। 21 जून को शांति मार्च व 22 जून को विशाल धरना किया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर यह किया जा रहा है। मंगलवार को बीएसए को ज्ञापन इसी संबंध में दिया गया।