पहले मोदी अब ट्रंप

kabir Sharma
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान एक इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘जब मेरी मां जीवित थीं, तो मैं मानता था कि मैं जैविक रूप से पैदा हुआ हूं। उनके निधन के बाद अपने सभी अनुभवों पर विचार करने के बाद मुझे यकीन हो गया कि भगवान ने मुझे भेजा है। यह ऊर्जा मेरे जैविक शरीर से नहीं हो सकती, बल्कि भगवान ने मुझे प्रदान की है…। मैं जब भी कुछ करता हूं, तो मुझे विश्वास होता है कि भगवान मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं।’ कुछ वैसा ही बयान एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का आया है। उसी तर्ज पर अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यूएस ट्रेड कोर्ट द्वारा उनके लिब्रेशन डे टैरिफ को रोक दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पेश की है जिसमें लिखा है कि वह ईश्वर के मिशन पर हैं और जो आने वाला है उसकाे कोई रोक नहीं सकता। मेनहेंटन में अंतराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय (Court of International Trade) ने फैसला सुनाया कि उन्हें इन नए टैरिफ को लागू करने का कोई अधिकार नहीं है। कई अन्य समानताएं भी हैं Court of International Trade उसी तर्ज पर भारतीय सुप्रीमकोर्ट भी अक्सर कई फैसलों को लेकर केंद्र सरकार के पेंच कस चुकी है।

यह टैरिफ उन देशों पर लगाया जाना था जो अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने International Emergency Economic Powers Act    (IEEPA)  के तहत इसे न्यायोचित ठहराने की कोशिश की, जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपात स्थिति में आर्थिक कदम उठाने की शक्ति देता है। लेकिन मैनहैटन स्थित तीन न्यायाधीशों की पीठ ने ट्रंप प्रशासन की दलील को खारिज करते हुए कहा कि “संविधान के तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है। यह शक्ति आपातकाल के नाम पर राष्ट्रपति को नहीं दी जा सकती।” अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी की,  “यह मामला राष्ट्रपति की बुद्धिमत्ता पर नहीं, बल्कि वैधानिक सीमाओं पर आधारित है। IEEPA की ऐसी व्याख्या जो राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने की अनुमति देती हो, असंवैधानिक होगी।”

भारत-पाक पर तर्क को भी किया खारिज
ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि यह टैरिफ नीतियां केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक थीं। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई में बढ़ते तनाव के समय ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ का इस्तेमाल राजनयिक दबाव के रूप में किया था ताकि युद्ध रोका जा सके। प्रशासन ने कोर्ट में दलील दी कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई की आशंका थी। ट्रंप ने स्थिति को संभालने के लिए टैरिफ नीति अपनाई। अदालत ने इस तर्क को यह कहकर खारिज कर दिया कि ऐसा कोई राजनीतिक या कूटनीतिक मकसद भी संवैधानिक सीमाओं को नहीं तोड़ सकता।
टैरिफ पर शेयर बाजार में असर
2 अप्रैल को लागू टैरिफ में चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर सबसे अधिक शुल्क लगाया गया था। लेकिन बाजार में हड़कंप मचने के बाद कई शुल्कों को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। 12 मई को चीन को कुछ राहत दी गई और दोनों देशों ने 90 दिनों की शांति अवधि पर सहमति जताई।

डोमिनिक मैक्लॉघलिन अलस्टेयर नए हैरी पाॅटर

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