करीब पंद्रह साल हुए हादसे के बाद से था बंद, जापान में न्यूक्लियर एनर्जी की वापसी का बड़ा कदम, वैश्विक असर की आशंका
नई दिल्ली/टोक्यो। करीब पंद्रह साल से बंद पड़ा जापान को फुकुशिमा पावर प्लांट काशिवाजाकी-कैरिवा (Kashiwazaki-Kariwa) फिर से शुरू किया जाएगा। इसको बंद कर दिया गया था। दरअसल करीब पंद्रह साल पहले हुए एक हादसे के बाद जापान सरकार ने फुकुशिमा प्लांट को बंद करने का निर्णय लिया था। यह हादसा साल 2011 में हुआ था। जापान सरकार के इस फैसले को एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 2011 के भूकंप और सुनामी के बाद बंद हुए 54 रिएक्टरों में से यह पहला बड़ा कदम है.
अनुमति के साथ विरोध शुरू
फुकुशिमा पावर प्लांट काशिवाजाकी-कैरिवा (Kashiwazaki-Kariwa) को चलाए जाने की अनुमति के साथ ही इसका प्रबल विरोध भी शुरू हो गया है।पर्यावरण कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे ऊर्जा स्वतंत्रता का बड़ा कदम बता रही है। माना जा रहा है और विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि जापान सरकार का यह कदम यह घटना वैश्विक ऊर्जा नीतियों पर असर डाल सकता है, खासकर यूरोप और एशिया में न्यूक्लियर पावर की बहस को तेज करेगी। बताया गया है कि वोटिंग में क्षेत्रीय सरकार ने प्लांट को फिर से चलाने की मंजूरी दी। यह प्लांट TEPCO (टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी) का है, जो दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट है (7 रिएक्टरों के साथ कुल क्षमता 8,212 MW)।
बेहद महत्वपूर्ण
साल 2011 में हुए हादसे के बाद बंद कर दिए गए फुकुशिमा पावर प्लांट काशिवाजाकी-कैरिवा (Kashiwazaki-Kariwa) जापान के ऊर्जा जरूरतों के लिए बेहद अहम बताया जा रहा हे। फुकुशिमा आपदा के बाद जापान ने सभी न्यूक्लियर प्लांट बंद कर दिए थे। अब यह एनर्जी संकट और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बड़े कदम का प्रतीक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जापान की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों में मदद मिलेगी।