रिफंड फाइलों पर अफसरों की कुंडली, देरी होने से बिजनेस में पूंजी की कमी भारी कमी, दावा करते हैं लेकिन अफसर रिफंड नहीं करते
नई दिल्ली। ITR रिफंड Late होने के चलते बाजार में नकदी की भारी कमी हो गयी है। नौबत यह आ गयी है कि व्यापारियों को कैश के लिए ब्याज तक देना पड़ रहा है। ऐसा नहीं कि उनके पास धन की कोई कमी हो, लेकिन कैश के लिए वो जो रकम आन लाइन ट्रांसफर कर रहे हैं उससे जो कैश ले रहे हैं, उस पर उन्हें ब्याज देना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर बाजार में अब ऑन लाइन के बदले केश का नया कारोबार तेजी से पनप रहा है। व्यापारियों का कहना है कि इसकें लिए कोई और नहीं बल्कि ITR रिफंड Late किया जा ना जिम्मेदार है। अफसर सब जानते हैं लेकिन उसके बाद भी रिफंड संबंधित फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे रहते हैं। तमाम स्तर पर शिकायतों के बाद भी रिफंड नहीं किया जा रहा है। हालांकि रिफंड भी आन लाइन होता है, लेकिन इसके मिलने से एक फ्लो जरूर बन जाता है।
महीनों बाद भी रिफंड नहीं
ITR फाइल करने के महीनों बाद भी लाखों करदाताओं को अपना रिफंड नहीं मिलता है। इससे व्यापारियों और बिजनेस करने वालों के लिए यह देरी बड़ी परेशानी का सबब बन रही है। कैश फ्लो प्रभावित होने से कारोबारी गतिविधियां बाधित हो रही हैं। आयकर विभाग ने अधिकांश रिफंड जारी कर दिए हैं, लेकिन हाई-वैल्यू और संदिग्ध क्लेम वाले मामलों में जांच के कारण देरी हो रही है।
वादे के बाद भी रिफंड नहीं
वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर फाइलिंग की अंतिम तारीख 16 सितंबर 2025 थी। विभाग के अनुसार, छोटे रिफंड तेजी से जारी हो रहे हैं, लेकिन जटिल रिटर्न्स, खासकर बिजनेस इनकम वाले (जैसे आईटीआर-3 या आईटीआर-4 फाइल करने वाले व्यापारी) में ज्यादा देरी देखी जा रही है। सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल ने नवंबर में कहा था कि गलत या संदिग्ध डिडक्शन क्लेम की जांच चल रही है, और बाकी रिफंड दिसंबर तक जारी कर दिए जाएंगे।
मुसीबतों का अंबार
रिफंड में देरी से व्यापारियों को टीडीएस और एडवांस टैक्स ज्यादा कटता है, इसलिए रिफंड बड़ा होता है। देरी से बिजनेस में पूंजी की कमी हो रही है। बिजनेस इनकम, डेप्रिशिएशन, लोन इंटरेस्ट और कैपिटल गेन वाले रिटर्न्स में डिस्क्रिपेंसी की संभावना ज्यादा होने से ये फ्लैग हो जाते हैं।बैंक डिटेल्स में गड़बड़ी, पैन-आधार लिंक न होना या फॉर्म 26AS/AIS में मिसमैच से रिफंड अटक जाता है।
यह कहना एक्सपार्ट का
टैक्स एक्सपर्ट्स डा. संजय जैन का कहना है कि इस साल ITR फॉर्म्स देर से रिलीज होने और सख्त वेरीफिकेशन के कारण प्रोसेसिंग धीमी हुई है। कई व्यापारी सोशल मीडिया और फोरम्स पर अपनी परेशानी जाहिर कर रहे हैं, जहां महीनों से “रिफंड पेंडिंग” का स्टेटस दिख रहा है।
देरी के मुख्य कारण:
- बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेट न होना या डिटेल्स में त्रुटि।
- आईटीआर ई-वेरीफाई न करना या देर से करना।
- टीडीएस क्रेडिट और रिपोर्टेड इनकम में मिसमैच।
- पुरानी डिमांड या स्क्रूटनी केस पेंडिंग होना।
- हाई-वैल्यू रिफंड पर अतिरिक्त जांच।
क्या करें अगर रिफंड अटका है?
- स्टेटस चेक करें: इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें → Services → Refund/Demand Status देखें।
- ईमेल चेक करें: विभाग की ओर से कोई नोटिफिकेशन या डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस आया हो तो तुरंत सुधारें।
- रिफंड री-इश्यू रिक्वेस्ट: अगर प्रोसेस्ड है लेकिन क्रेडिट नहीं हुआ, तो पोर्टल पर रिक्वेस्ट डालें।
- ग्रिवांस दर्ज करें: लंबी देरी पर e-Nivaran से शिकायत करें।
- रिवाइज्ड रिटर्न: गलती हो तो 31 दिसंबर 2025 तक संशोधित आईटीआर फाइल करें।
ये कहना है लोकेश अग्रवाल का
प्रदेश के बड़े व्यापारी नेता लोकेश अग्रवाल बताते हैं कि विभाग वक्त पर ITR की वसूली तो चाहता है लेकिन अफसर कभी भी वक्त पर रिफंड नहीं करते। लोकेश अग्रवाल ने बताया कि रिफंड में देरी की वजह से तमाम कारोबरी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। सरकार यदि टैक्स वसूली के लिए चाबुक चालती है तो उन अफसरों पर भी कार्रवाई करे जो रिफंड की फाइल को जब तक आगे नहीं बढ़ने देते जब तक मुंह मांगी मुराद ना मिल जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मोदी सरकार की वित्त मंत्री को एक समय सीमा तय करनी चाहिए।