खो गए तालाबों की सरगर्मी से तलाश

खो गए तालाबों की सरगर्मी से तलाश
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खो गए तालाबों की सरगर्मी से तलाश, खो गए तलाबों की सरगर्मी से की जा रही है तलाश-एसडीएम मवाना व सरधना को गुम हुए तलाबों की सरगर्मी से तलाश, मेरठ। जनपद की मवाना तहसील व सरधना तहसील के एसडीएम को गुम हो गए सौ से ज्यादा तलाबों की सरगर्मी से तलाश है। उन्हें यह जिम्मेदारी सीडीओ ने सौंपी है। गुम हुए सौ तलाबों की केवल तलाब ही नहीं करनी है तलाश किए गए तलाबों का स्टेटस मालूम कर उन्हें  उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना के तहत संतृप्त भी करना है। लेकिन इससे पहले बड़ा काम उनको कब्जा मुक्त कराने का करना है।

आसान नहीं तलाश का काम

प्रशासन सरधना व मवाना ब्लाक में गुम बताए जा रहे जिन सौ तलाबों की तलाश की बात कह रहा है, जमीनी हकीकत की यदि बात की जाए तो यह काम इतना आसान भी नहीं है। जमीनी हकीकत तो यह है कि जिन्हें कभी तलाब का दर्जा हासिल था वहां अब तलाब का नामो निशान भी नहीं रह गया है। जहां कभी तलाब हुआ करता था, वहां पूरी कालोनी बस गयी है। ज्यादातर गांवों में कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। कुछ तलाब पोखर में तब्दील हो गए हैं तो कुछ गडढे सरीखे रह गए हैं कुछ का अस्तित्व ही मिटा दिया गया है। यह काम किसी और ने नही बल्कि गांवों में दबंग प्रवृत्ति के लोगों ने किया है।

गायब हो गए, क्यों और कैसे पता नहीं

यूं तो जनपद मेरठ में गुम हुए तलाबों की संख्या करीब एक हजार से ज्यादा आंकी जाती है। ऐसा नहीं कि ये तलाब क्यो और कैसे गायब हो गए, इससे सिस्टम को चलाने वाले अंजान हों, ऐसा भी नहीं। दरअसल डर एक ही बात का है कि यदि तह तक गए और ईमानदारी से तहकीकात करनी पड़ गयी तो कई पूर्ववर्ती अधिकारियों की गर्दन नप जाएगी। गुम हुए तलाबों की सुरगकशी के नाम पर इस हलचल के पीछे सुप्रीमकोर्ट की फटकार को मुख्य वजह माना जा रहा है। ऐसा नहीं है कि मेरठ में ही तलाब गायब हुए हों, तलाब गायब होने के मामले में  सूबे के तमाम जनपदों में सिस्टम की लापरवाही का यदि हिसाब किताब करने बैठेंगे तो कसूर लगभग एक सरीखा नजर आएगा।

अमृत सरोबर व अटल योजना ने खोली पोल

तलाबों को लेकर सिस्टम की गंभीरता की पोल खोलने का काम अमृत सरोबर और अटल भूजल योजना  की लाॅचिंग के बाद हुआ। दरअसल राज्य सरकार भूमिगत जल के संरक्षण और प्रबंधन के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘अटल भूजल योजना’ की तर्ज पर राज्य सरकार ‘उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना’ की शुरुआत करने जा रही है। वर्तमान में अटल भूजल योजना प्रदेश के 10 जिलों में लागू है। लेकिन अब उन सभी 65 जिलों में भी योजना लागू करने की तैयारी है, जहां केंद्र की अटल भूजल योजना लागू नहीं है।  

इन जिलों में लागू है अटल भूजल योजना

केंद्र सरकार की अटल भूजल योजना प्रदेश के झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली व मेरठ के 26 ब्लॉकों में लागू है। अब शेष 65 जिलों में उप्र अटल भूजल योजना लागू की जा रही है। सीडीओ शशांक चौधरी ने बताया कि मेरठ के मवाना व सरधना ब्लाक के गांवों की पंचायतों को इसके लिए चिन्हित किया गया है।

जिले की जमीन से लगातार गायब हो रहे तालाबों के फिर से अस्तित्व में आने और जल से लबालब होने की उम्मीद जागी है। प्रदेश सरकार द्वारा तालाब विकास प्राधिकरण की घोषणा के बाद अधिकारी भी करीब एक हजार से अधिक गायब हो चुके तालाबों का रिकार्ड खंगालने में जुट गए हैं। उधर, जिले का गिरता जल स्तर पहले ही खतरे के निशान को छू रहा है। अब तालाबों की तलाश और विकास की उम्मीद धरती को जल बिना बंजर होती कोख को भी हराभरा करेगी।सुप्रीम कोर्ट तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के लिए पूर्व में आदेश दे चुका हैं, लेकिन इसके बावजूद तालाबों पर रात दिन हो रहे कब्जों से अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

यह कहना है सीडीओ का

सीडीओ शशांक चौधरी ने जानकारी दी कि सरधना व मवाना तहसील के गांवों में तलाबों को लेकर प्रशासन गंभीर है। एसडीएम सरधना व एसडीएम मवाना को निर्देशित किया गया है कि सौ तलाबों की पहचान कराकर उनकी सूची बनायी जाए। ऐसे तलाबों पर यदि  कब्जों की स्थित है तो वहां विधिक कार्रवाई कराकर उन्हें कब्जा मुक्त कराकर शासन की योजना से संतृप्त किया जाएा।

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